हज़रत बाबा ताजुद्दीन जैसे सूफ़ी संत की देन है देश में भाईचारा और एकता

नागपुर हज़रत बाबा ताजुद्दीन जैसे सूफ़ी संत की देन है देश में भाईचारा और एकता

Bhaskar Hindi
Update: 2023-01-22 12:15 GMT
हज़रत बाबा ताजुद्दीन जैसे सूफ़ी संत की देन है देश में भाईचारा और एकता

डिजिटल डेस्क, नागपुर. हज़रत सैय्यद बाबा मुहम्मद ताजुद्दीन रहमतुल्लाह अलैह के 100वें उर्स शरीफ़ के पावन अवसर पर मदरसा अल जामिअतुर्रज़विय्यह दारूल ऊलूम अमजदिय्यह के तत्वावधान मे आयोजित तीन दिवसीय भव्य अंतरराष्ट्रीय इस्लामिक सुन्नी इज्तिमा का दूसरा दिन सुबह दरगाह परिसर में सुल्तानुल उलेमा हज़रत मुफ़्ती क़ौसर हसन साहब की सरपरस्ती में ख़त्मे बुख़ारी की नूरानी महफ़िल के साथ शुरू हुआ, जिसमें 26 उलेमा और 11 मुफ़्ती को सनदे इजाज़ते हदीस से भी सम्मानित किया गया।

वक्ताओं ने की देश की उन्नति में योगदान देने की अपील

विभिन्न प्रांतों से आए विशाल संख्या में अक़ीदतमंदों की मौजूदगी में इज्तिमागाह के ख़ूबसूरत गुंबद के साये में लगभग 150 उलेमा व मशाइख़ से सजे नूरानी स्टेज से देश के वक्ताओं ने अपने बयान मे मुस्लिम समाज से सूफ़िज़्म के मार्ग को अपनाकर उच्च शिक्षा प्राप्त करते हुए देश की उन्नति में अपना योगदान देने की पुरज़ोर अपील की। साथ ही ये भी संदेश दिया कि,  जिस तरह हज़रत बाबा ताजुद्दीन की शख़्सियत ने अपने सभी अनुयायियों को शांति का संदेश देते हुए इस्लामी शरीयत के तहत एकता और भाईचारा का प्रसार किया, उसी मार्ग पर चलते हुए हमारा भी ये नैतिक और सामाजिक दायित्व है कि, अपने आचरण में भी औलिया के पदचिन्हों पर चलते हुए उनका सच्चा अनुयायी होने का सबूत अपने नेक क़िरदार से समाज मे पेश करे। मुस्लिम समाज के युवाओं को पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्ललाहु अलैहि व आलिही व सल्लम के बताए हुए मार्ग पर चलते हुए महिलाओं का सम्मान करते हुए अपने पारिवारिक जीवन को भी महत्व देने की अपील की गई तथा हर बुराई से बचते हुए विशेषतः नशे से बचते हुए सत्य के मार्ग पर चलने की नसीहत की गई।

यह रहे मुख्य अतिथि व वक्ता

दूसरे दिन के प्रमुख अतिथि व मुख्य वक्तताओं में मुल्के यमन से तशरीफ़ लाए फ़ज़ीलतुश्शैख़ हज़रत शेख़ हमीद मुशाइद अल हलीमी साहब और फ़ज़ीलतुश्शैख़ हज़रत अहमद सलेमी अहमद साहब तथा देश के प्रमुख उलेमा किराम में हज़रत मन्नान रज़ा ख़ान साहब, हज़रत मुफ़्ती कौसर हसन साहब, हज़रत मुफ़्ती मुतीउर्रहमान साहब, हज़रत जमाल रज़ा ख़ान साहब, हज़रत सैय्यद सलमान अशरफ़ साहब, हज़रत डॉक्टर सैय्यद फ़ज़लुल्लाह चिश्ती साहब, हज़रत उमर रज़ा ख़ान साहब, हज़रत सैय्यद अब्दाल हसनी हुसैनी साहब, हज़रत सैय्यद तलहा अशरफ़ साहब, हज़रत शाहनवाज़ अज़हरी साहब, हज़रत इज़हार अहमद अमजदी साहब, हज़रत अब्दुल मन्नान कलीमी साहब, हज़रत डॉक्टर हसन रज़ा साहब, और दिगर प्रख्यात उलेमा व मशाइख़ मौजूद रहे।
 

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