आंख में धंसी हंसिया को जटिल सर्जरी से निकाला, जानिए क्या है हकीकत
आंख में धंसी हंसिया को जटिल सर्जरी से निकाला, जानिए क्या है हकीकत
डिजिटल डेस्क, नागपुर । मेडिकल के ट्रॉमा सेंटर में अत्यंत जोखिमपूर्ण सर्जरी में बिना किसी भारी नुकसान के आंख में 9 सेमी धंसी हंसिया निकालकर महिला को बचा लिया गया है। यह ऑपरेशन पूरे तीन घंटे चला। यवतमाल के आसोली निवासी 65 वर्षीय महिला मीराबाई को गंभीर हालत में 22 जनवरी को ट्रॉमा सेंटर लाया गया था। उसके दाई आंख में हंसिया धंसी था। ट्राॅमा सेंटर के न्यूरोसर्जन अत्यंत विशेष इस मामले में जीवन बचाने में सफल रहे हैं।
सर्जरी करने वाली टीम का नेतृत्व करने वाले डॉ. पवित्र पटनायक, एसोसिएट प्रोफेसर व हेड न्यूरोसर्जन ने बताया कि, मरीज के ट्रॉमा सेंटर पहुंचने के डेढ़ घंटे के भीतर एक्स-रे, स्कल और ब्रेन का थ्रीडी सीटी स्कैन जैसी सभी जांच पूरी हो गई थीं। इससे उपचार तत्काल शुरू करने में काफी मदद मिली। साथ ही अत्याधिक रक्तस्राव की आशंका के कारण पहले ही पर्याप्त रक्त की व्यवस्था करना भी मददगार साबित हुआ। सर्जरी के 24 घंटे बाद मीराबाई को वेंटिलेटर से हटा लिया गया है। फिलहाल वे सचेत हैं और सभी निर्देश समझ रही हैं। हालांकि इस तरह की सर्जरी में बाद में संक्रमण का खतरा होता है, इसलिए जब तक मरीज की अस्पताल से छुट्टी नहीं होती, स्थिति गंभीर ही मानी जाएगी।
टीम में शामिल
मीराबाई की सर्जरी करने वाली टीम में न्यूरोसर्जन डॉ. अंकुर सांघवी, डॉ रामानुज काबरा, डॉ. पलक जायस्वाल, एनेस्थीसिया टीम में डॉ. ढोमणे, डॉ. शोमा चाम, डॉ. वैद्य, डॉ. विशाखा, डॉ. नेहा और डॉ. हर्ष, नेत्र विशेषज्ञ डॉ. दिव्यांजना और डॉ. शीतल, मैक्सियोफेशियल सर्जन डॉ. विकास मेश्राम, रेडियोलॉजिस्ट शिवकुमार राठोड़, जवाहर राठोड़, नर्स प्रणिता और स्वाति और रेसीडेंट डॉक्टर डॉ. शुभम, डॉ. रोशन और डॉ. मकरंद शामिल थे।
तीन घंटे चली सर्जरी
यह अत्याधिक जोमिखपूर्ण सर्जरी थी और लगभग तीन घंटे चली। टीम ने काफी तेजी और पूरी सर्तकता से काम किया। हालांकि, सबसे बड़ी चिंता हंसिया निकालने के बाद होने वाले रक्त स्राव के कारण जीवन के खतरे को लेकर थी। दिमाग को बगैर किसी बड़ा नुकसान पहुंचाए हंसिया निकालना और मरीज की जान बचाना बड़ी चुनौती थी। हंसिया दाई आंख से होता हुआ इंटीरिअर क्रेनियल फोस्सा से होता हुआ कई महत्वपूर्ण अंदरूनी हिस्सों तक धंसी थी। सर्जरी के दौरान आंतरिक अंगों को नुकसान पहुंचाए बिना हंसिया निकाल लिया गया।
-डॉ पवित्र पटनायक