अवैध पंडालों को लेकर हाईकोर्ट ने पूछा- क्यों न मनपा आयुक्तों को भेजा जाए जेल ?

अवैध पंडालों को लेकर हाईकोर्ट ने पूछा- क्यों न मनपा आयुक्तों को भेजा जाए जेल ?

Bhaskar Hindi
Update: 2017-11-02 12:57 GMT
अवैध पंडालों को लेकर हाईकोर्ट ने पूछा- क्यों न मनपा आयुक्तों को भेजा जाए जेल ?

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि जब तक किसी महानगरपालिका के आयुक्त को जेल नहीं भेजा जाएगा, तब तक कोर्ट के आदेश कागज तक ही सीमित रहेगे। गणेश उत्सव के दौरान सार्वजनिक स्थानों पर पंडाल बनाने की अनुमति न देने को लेकर कोर्ट के आदेश का पालन न होने से कोर्ट ने नाराजगी जताई है। हाईकोर्ट ने कहा कि अब समय आ गया है कि अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए, तभी उन तक कोर्ट का संदेश पहुंचेगा। कोर्ट ने कहा कि यह किसी एक महानगरपालिका की समस्या नहीं है, बल्कि सभी महानगरपालिकाओं में कोर्ट का आदेश लागू करने को लेकर एक जैसी स्थिति है। 

कोर्ट की सख्त टिप्पणी

जस्टिस अभय ओक और जस्टिस एके मेनन की खंडपीठ ने मौखिक रुप से तल्ख टिप्पणी करते हुए मुंबई महानगर पालिका, नई मुंबई महानगरपालिका और कल्याण डोंबीवली महानगरपालिका के आयुक्त को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। खंडपीठ ने इन तीनों महानगरपालिका आयुक्तों से जानना चाहा है कि क्यों न उनके खिलाफ न्यायालय की अवमानना की कार्रवाई की जाए? इससे पहले खंडपीठ के सामने तीनों महानगरपालिकाओं की ओर से हलफनामा दायर किया गया। जिस पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने पाया कि इस बार गणेशोत्सव के दौरान नई मुंबई में 62 अवैध पंडाल बनाए गए थे। मुंबई में 42 जबकि कल्याण डोंबीवली इलाके में 36 पंडाल अवैध रुप से बने थे। मनपा ने इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की थी। गौरतलब है कि साल 2015 में हाईकोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया था कि सार्वजनिक स्थलों और ट्रैफिक में रुकावट पैदा करनेवाली जगहों पर पंडाल की अनुमति न दी जाए।

कोर्ट ने पूछा पंडालों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की

खंडपीठ ने कहा कि आखिर महानगरपालिकाओं ने इन पंडालों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की? हमे महानगरपालिकाओं के रुख को देखकर महसूस होता है कि जब किसी महानगरपालिका के आयुक्त को जेल नहीं भेजा जाएगा तब तक कोर्ट के आदेश कागज तक ही सीमित रहेगे और कोर्ट का संदेश अधिकारियों तक नहीं पहुंचेगा।  क्योंकि अधिकारी ऐसे तरीके खोजते है कि कोर्ट के आदेश को लागू न करना पड़े। नई मुंबई के अवैध पंडाल के बारे में खंडपीठ ने कहा कि यहां के अधिकारियों ने पंडालों को लेकर विवेक का इस्तेमाल ही नहीं किया है। इस दौरान मुंबई महागनरपालिका के वकील ने कहा कि हमने पंडाल हटाने के लिए पुलिस सहयोग की मांग की थी। लेकिन हमे जरुरी सहयोग नहीं मिला। इस पर खंडपीठ ने कहा कि यदि स्थानीय स्तर पर पुलिस ने सहयोग नहीं दिया तो मुंबई मनपा को राज्य के पुलिस महानिदेशक व मुंबई पुलिस आयुक्त से बात करनी चाहिए थी। खंडपीठ ने फिलहाल माले की सुनवाई 30 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी है। 

नागपुर में मिले 129 अवैध पंडाल

इस बीच अधिवक्ता प्रमोद कठने ने नागपुर महानगरपालिका की ओर से अवैध पंडाल के बारे में खंडपीठ को जानकारी दी। उन्होंने मनपा आयुक्त अश्विनी मुदगल की ओर से दायर हलफनामे की प्रति खंडपीठ के सामने पेश की। उन्होंने कहा कि अगस्त 2016 से सितंबर 2017 के बीच 2004 पंडाल लगे। जिनमें 129 पंडाल अवैध पाए गए। महानगरपालिका ने अवैध पंडाल बनानेवालों से न सिर्फ जुर्माना वसूला, बल्कि ऐसे लोगों के खिलाफ आपराधिक मामला भी दर्ज कराया है। उन्होंने कहा कि अवैध पंडालों के लिए मनपा ने अलग कमेटी बनाई है। इसके अलावा मनपा ने पांच उड़न दस्ते भी बनाए हैं। हलफनामे पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने नागपुर मनपा के वकील से कहा कि वे अगली सुनवाई के दौरान पंडालों की वर्गीकृत जानकारी दे।

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