भुजबल की जमानत पर अदालत ने फैसला 18 दिसंबर तक रखा सुरक्षित

भुजबल की जमानत पर अदालत ने फैसला 18 दिसंबर तक रखा सुरक्षित

Bhaskar Hindi
Update: 2017-12-08 14:03 GMT
भुजबल की जमानत पर अदालत ने फैसला 18 दिसंबर तक रखा सुरक्षित

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मुंबई की एक विशेष अदालत ने महाराष्ट्र सदन घोटाले और मनी लॉन्डरिंग के आरोप में जेल में बंद राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री छगन भुजबल के जमानत आवेदन पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि वह अपना फैसला 18 दिसंबर को सुनाएगी। भुजबल व उनके भतीजे समीर को प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले साल गिरफ्तार किया था। तब से दोनों मुंबई की भायखला जेल में बंद है। सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता हितेन वेणेगावंकर ने विभिन्न कारण बताकर भुजबल की जमानत का कड़ा विरोध किया। 

भुजबल को जमानत के विरोध में ईडी

ईडी क कहना है कि यदि भुजबल को जमानत दी जाती है, तो इसका मामले पर विपरीत असर पड़ेगा। घोटाले से जुड़ी रकम की वसूली में दिक्कत आएगी। इसके अलावा भुजबल पर काफी गंभीर आरोप हैं। इसलिए उन्हें जमानत देना उचित नहीं होगा। वहीं भुजबल के वकील ने कहा कि मेरे मुवक्किल पर महाराष्ट्र सदन के कथित घोटाले को लेकर लगाया गया आरोप एक राजनीतिक षडयंत्र का हिस्सा है। सुप्रीम कोर्ट ने मनी लांडरिंग की धारा 45 को असंवैधानिक ठहराया दिया है। इसलिए ईडी अब मेरे मुवक्किल को हिरासत में रखने की मांग नहीं कर सकती है। इसके अलावा मेरे मुवक्किल का पासपोर्ट ईडी के पास जमा है। इसलिए मेरे मुवक्किल के विदेश जाने की संभावना नहीं है। 21 महीने से जेल में बंद मेरे मुवक्किल को जमानत पाने का अधिकार है। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। 

भुजबल की दलील

गुरुवार को विशेष अदालत में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता हितेन वेणेगांवकर ने जमानत का विरोध करते ने कहा था कि अब तक डेढ सौ करोड रुपए से अधिक की संपत्ति ही हमने जब्त की है। बाकी संपत्ति की तलाश अभी जारी है। यदि भुजबल को जमानत दी जाती है, तो हमे घोटाले से जुड़ी राशि का पता लगाने में परेशानी होगी। जस्टिस एस आजमी के सामने भुजबल के जमानत आवेदन पर सुनवाई हुई। हालांकि भुजबल ने अपने जमानत आवेदन में दावा किया कि अब इस मामले की जांच पूरी हो चुकी है। उनकी हिरासत की जरुरत नहीं है। उन पर लगाए गए आरोप निराधार हैं। इसलिए उन्हें जमानत प्रदान की जाए।

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