भीमा-कोरेगांव हिंसा : जांच में ढीलाई बरतने पर सुप्रीम कोर्ट की महाराष्ट्र सरकार को फटकार

भीमा-कोरेगांव हिंसा : जांच में ढीलाई बरतने पर सुप्रीम कोर्ट की महाराष्ट्र सरकार को फटकार

Bhaskar Hindi
Update: 2018-02-20 14:34 GMT
भीमा-कोरेगांव हिंसा : जांच में ढीलाई बरतने पर सुप्रीम कोर्ट की महाराष्ट्र सरकार को फटकार

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पुणे के भीमा कोरेगांव में हिंसा की घटना की जांच में बरती जा रही ढीलाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को जमकर फटकार लगाई। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को सक्त लहजे में पूछा कि इस हिंसा की घटना के मुख्य आरोपी मिलिन्द एकबोटे को अब तक हिरासत में क्यों नहीं लिया गया। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने बीती 7 फरवरी को एकबोटे की अंतरिम जमानत के मामले में 20 फरवरी तक गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान कर दिया था। एकबोटे के अंतरिम जमानत के मामले में कोर्ट में सुनवाई हुई।

महाराष्ट्र सरकार को फटकार,14 मार्च को होगी अगली सुनवाई
कोर्ट ने इस मामले पर अगली सुनवाई 14 मार्च को मुकर्रर की है। इस अवधि के दौरान एकबोटे को गिरफ्तारी से संरक्षण भले ही मिल गया है, लेकिन मामले की जांच में जो ढीलाई बरती जा रही है, उसको लेकर कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को कड़े शब्दों में फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार इस मामले की जांच कर जरुरत पड़ने पर एकबोटे को हिरासत में ले सकती है। जांच में एकबोटे किस तरह से जांच एजेंसी को सहियोग करते है, इसे देखने के बाद ही उनकी जमानत के बारे में अंतिम फैसला लिया जाएगा। ऐसे में राज्य सरकार एकबोटे के खिलाफ कार्रवाई को लेकर क्या कदम उठाती है, यह देखना दिलचस्प होगा।

यह है मामला
इस घटना के चलते 2 जनवरी को महाराष्ट्र बंद रखा गया था, जिस दौरान कई जिलों में हिंसक घटनाएं हुई। 1 जनवरी को यह हिंसा भड़की थी। इस दौरान कोरेगांव भीमा में 1 जनवरी 1818 को पेशवा बाजीराव पर ब्रिटिश सैनिकों की जीत की 200वीं सालगिरह मनाई जा रही थी। दलित नेता 200 साल पुरानी इस परंपरा को 1 जनवरी के दिन मराठाओं पर महार दलितों की बड़ी जीत के जश्न के रूप में मनाते हैं। बताया जाता है कि 1 जनवरी 1818 को ब्रिटिश फ़ौज की तरफ से 800 महार दलितों ने करीब 28 हजार से अधिक मराठाओं को जंग में हराया था।

 

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