करवटें बदलती सियासत के बीच भागवत और गडकरी का आह्वान - आत्मीयता का संबंध जोड़ें
करवटें बदलती सियासत के बीच भागवत और गडकरी का आह्वान - आत्मीयता का संबंध जोड़ें
डिजिटल डेस्क, नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ.मोहन भागवत व केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितीन गडकरी ने लोगों से आत्मीयता का संबंध जोड़ने का आव्हान किया है। समाज व राजनीति के मामले में व्यक्तिगत संबंध को सबसे बड़ी ताकत कहा है। भागवत ने कहा है कि आत्मीयता ही संघ की विचारधारा हैं। गडकरी के अनुसार नेता व कार्यकर्ता के बीच दूरी कम होना चाहिए। कार्यकर्ताओं में नकारात्मकता की वृति को कम करने का काम भी किया जाना चाहिए। गुरुवार को संघ विचारक विलास फडणवीस की स्मृति में शिक्षाविद विवेक पांढरीकर को पुरस्कार प्रदान किया गया। दान पारमिता संगठन की सहायता से कार्यक्रम का आयोजन सांइटिफिक सभागृह लक्ष्मीनगर में किया गया। भागवत व गडकरी इसी कार्यक्रम में मंच साझा कर रहे थे। आरंभ में गडकरी ने कहा कि िवलास फडणवीस के जीवन से प्रतिकूल स्थिति में कार्य करने की प्रेरणा मिलतीहै। राजनीति में चमकेस अर्थात प्रचार में आगे रहनेवालों की कमी नहीं है। लेकिन सामाजिक कार्य के लिए आत्मीयता के भाव की आवश्यकता है। कार्यकर्ता में गुणदोष हो सकता है। दोषों को दूर करना संगठन का काम है। गणितीय सूत्र का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अलग अलग बढ़ने के बजाय सब साथ मिलकर बढ़ने का भाव होना ही चाहिए। उत्तम आत्मीयता से ही िवचारधारा बनती है। सरसंघचालक डॉ.भागवत ने कहा कि संघ के कार्य का आधार ही शुद्ध सात्विक प्रेम है। संघ के मामले में जिव्हाड़ा अर्थात आत्मीयता ही विचारधारा है। बड़े कार्य करनेवाले महापुरुषों ने भी कमजोरों के विकास के लिए कार्य किया है। इस्तेमाल करने की दृष्टि से नुकसान होता है। दृष्टि ऐसी हो कि सब अपने लगे। चुनाव में परोपकार की प्रवृति देखने को मिलती है। लेकिन परोपकारी स्वभाव प्रेम के बिना नहीं हो सकता है। कार्यक्रम की प्रस्तावना अविनाश संगवई ने रखी। दान पारमिता संगठन के डॉ. विलास डांगरे उपस्थित थे। विवेक पांढरीकर को एक लाख रुपये का पुरस्कार दिया गया।
गडकरी बोले-हमारी राजनीति में चकमेश अर्थात प्रचार में रहनेवाली कंपनी बहुत है। कार्यकर्ता के प्रति अपनेपन का भाव प्राकृतिक होना चाहिए। वह आर्टिफिसियल अर्थात कृत्रिम नहीं होना चाहिए। कार्यकर्ता के प्रति अपनेपन का भाव होना चाहिए। कार्यकर्ता के गुणदोष स्वीकार किए जाने चाहिए। कार्यकर्ताओं के दोषों को कम करना संगठन की जिम्मेदारी है।
भागवत बोले-हमारा कार्यकर्ता राज या लोकमान्यता मिलने न मिलने के बाद भी समाधान खोजता है, तब आत्मीयता की याद आती है। हर क्षेत्र में आत्मीयता से कनेक्क्शन जोड़ने की आवश्यकता है। हर क्षेत्र में अच्छे लोग हैं। ऐसा कुछ नहीं है जो पहले कभी नहीं हुआ हो। कोई न कोई आगे रहेगा। तुम अच्छे हो पर हमारे हो क्या...यह देखा व सोचा जाता है। आत्मीयता का भाव रहा तो कई समस्याएं दूर हो जाएगी।
महाराष्ट्र सहित आर्थिक मुद्दों पर भाजपा, संघ के बीच हुआ मंथन
उधर दिल्ली में महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट पर भाजपा और संघ के पदाधिकियों ने गुरुवार को अहम बैठक की। महाराष्ट्र सदन में कई घंटे चली इस बैठक में रेल मंत्री पियुष गोयल, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और गिरिराज सिंह शामिल हुए। संघ के सह कार्यवाह गोपल कृष्ण, संगठन महामंत्री बी एल संतोष, के अतिरिक्त भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जे पी नड्डा, महाराष्ट्र चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव भी इस बैठक में मौजूद थे। सूत्रों के अनुसार बैठक में महाराष्ट्र में चल रही राजनीतिक खींचतान और किसानों की समस्याओं को लेकर चर्चा हुई। हालांकि इस चर्चा को पूरी तरह से गोपनीय रखा गया। इसके अतिरिक्त बैठक में संघ के सहयोगी स्वदेशी जागरण मंच और आर्थिक विषयों पर काम करने वाले उसके 6 संगठन भी शामिल हुए। बैठक में मौजूद एक पदाधिकारी के अनुसार यह भाजपा, संघ और सरकार के बीच होने वाली नियमित बैठक थी। इसमें किसानों के मुद्दे, अर्थव्यवस्था और भारत द्वारा आरसीईपी समझौते से पीछे हटने के मुद्दे पर चर्चा हुई।