पुरातत्व के जानकारों ने बताया भगवान विष्णु की प्रतिमा, पंचायत के किया आधीन

प्राचीन प्रतिमा को देखने पहुंचे इंटैक के सदस्य पुरातत्व के जानकारों ने बताया भगवान विष्णु की प्रतिमा, पंचायत के किया आधीन

Bhaskar Hindi
Update: 2023-01-19 13:46 GMT
पुरातत्व के जानकारों ने बताया भगवान विष्णु की प्रतिमा, पंचायत के किया आधीन

डिजिटल डेस्क,कटनी। विजयराघवगढ़ जनपद पंचायत अंतर्गत हरदुआ खुर्द गांव में तालाब खुदाई के दौरान मिली प्राचीन प्रतिमा को देखने बुधवार को इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरर हैरीटेज के सदस्य मौके पर पहुंचे। टीम में कोरबा निवासी पुरातत्व के जानकार हरि सिंह ने बताया कि यह प्राचीन प्रतिमा है। सदस्यों में मोहन नागवनी और राजेन्द्र सिंह शामिल रहे। यहां पर मंगलवार को तालाब को खोदते समय दो फुट गहराई में मजदूरों को यह प्रतिमा दिखाई दी। जिसके बाद प्रतिमा को सुरिक्षत निकाला गया, इस प्रतिमा को फिलहाल पंचायत के आधीन कर दिया गया है। प्रशासन इसकी जानकारी जबलपुर पुरातत्व विभाग को भेज चुका है। संभवत: एक-दो दिनों के अंतराल में अधिकारी पहुंचेगे। जिसके बाद प्रतिमा को लेकर और अधिक तस्वीर स्पष्ट होगी।

प्राचीन युग की कई धरोहरें

इंटक के सदस्य राजेन्द्र सिंह बताते हैं कि जिले में बौद्धकालीन युग की कई धरोहरें हैं, चाहे वह रुपनाथ मंदिर में अशोक सम्राट के शांति के संदेश का शिलालेख हो, या फिर बिलहरी के साथ अन्य जगहों में मिली प्रतिमा। मोहन नागवंशी बताते हैं कि कैमोर पर्वत में कई ऐसी जगहें हैं,जहां पर प्राचीन प्रतिमाएं मिली हैं। इन्होंने बताया कि कटनी से भी बौद्ध कालीन युग में लोगों का आना-जाना होता रहा है। प्रमाण के रुप में यह प्रतिमाएं हैं।

कलेक्टर ने जबलपुर से बुलाई टीम

प्रतिमा की पहचान के लिए कलेक्टर अवि प्रसाद ने जहां मंगलवार सुबह इंटैक के सदस्यों को यहां पर भेजा। वहीं इसकी जानकारी जबलपुर पुरातत्व विभाग को भी दे दी है। परीक्षण के उपरांत ही इस प्रतिमा के बारे में और अधिक बताया जा सकता है। बताया जाता है कि मनरेगा के तहत एक पुराने तालाब का ही जीर्णोद्धार किया जा रहा था। तालाब की गहराई पहले से ही करीब 25 फुट थी।  दो फीट की और अधिक खुदाई हुई थी यह प्रतिमा मिली। खुदाई के दौरान प्रतिमा खंडित भी हो गई।

इनका कहना है

प्राथमिक रुप से देखकर यह कहा जा सकता है कि यह प्राचीन प्रतिमा भगवान विष्णु की है। परीक्षण के बाद तस्वीर स्पष्ट होगी।
- शिवाकांत दीक्षित, पुरातत्व विभाग जबलपुर
 

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