नए सिरे से होगी 107 कॉन्ट्रैक्ट टीचर्स की नियुक्ति
नए सिरे से होगी 107 कॉन्ट्रैक्ट टीचर्स की नियुक्ति
डिजिटल डेस्क, नागपुर। यूनिवर्सिटी शैक्षणिक सत्र 2019-20 के लिए अपने विविध विभागों, लॉ कॉलेज और एलआईअी कॉलेज में करीब 107 सहायक प्राध्यापकों की कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर नियुक्ति करने वाला है। नए सत्र के लिए नए सिरे से नियुक्तियां करने का निर्णय यूनिवर्सिटी में आयोजित बोर्ड ऑफ डीन्स की बैठक में लिया गया। जानकारी के अनुसार इस बार हिंदी और अंग्रेजी विभाग में भी शिक्षकों की नियुक्ति होगी। इसके अलावा लॉ कॉलेज में पिछले वर्ष से अधिक कॉन्ट्रैक्ट शिक्षक नियुक्त होंगे। हां, एलआईटी में पिछले वर्ष से कम कॉन्ट्रैक्ट शिक्षकों की नियुक्ति होगी। जल्द ही यूनिवर्सिटी इसके लिए विज्ञापन जारी करेगा। बता दें कि अब तक जारी चुनाव के कारण जो आचार संहिता लगी थी, उसकेचलते कॉन्ट्रैक्ट शिक्षकों की नियुक्ति का निर्णय ठंडे बस्ते में था।
पिछले वर्ष हुई थी 72 टीचर्स की नियुक्ति
पिछले वर्ष यूनिवर्सिटीने ऐसे 72 शिक्षकों की नियुक्ति की थी जिनका कॉन्ट्रैक्ट 30 अप्रैल को पूरा हो गया। वैसे तो यूनिवर्सिटी ने बीते सत्र में 92 शिक्षक पदों के लिए कॉन्ट्रैक्ट आधार पर नियुक्ति करने का निर्णय लिया था। इसमें यूनिवर्सिटी को करीब 700 उम्मीदवारों के आवेदन प्राप्त हुए थे। जिसमें से 432 के आवेदन पात्र माने हुए। साक्षात्कार के बाद 72 शिक्षकों का चयन किया गया था। 17 नवंबर 2018 से जब दूसरे सेमिस्टर की शुरुआत हुई, तब इन्हें अध्यापन की जिम्मेदारी दी गई थी। इन्होंने विवि के कैंपस के विविध विभागों, लक्ष्मीनारायण इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, डॉ. बाबासाहब आंबेडकर लॉ कॉलेज में अपनी सेवाएं दीं। यूजीसी के मापदंड पूर्ण करने वाले उम्मीदवारों को नियुक्ति जाती है। इन्हें असिस्टेंट प्रोफेसर का पद और 24,000 रुपए प्रतिमाह वेतन दिया गया था।
खाली पदों के कारण हो रहीं नियुक्तियां
यूनिवर्सिटी में बीते लंबे समय से करीब 250 शिक्षकों के पद खाली है। स्थायी पदभर्ती की प्रक्रिया को राज्य सरकार पहले ही रोक चुकी थी। इस सब का असर सीधे विद्यार्थियों पर पड़ रहा था। जल्द ही यूनिवर्सिटी में नैक का मूल्यांकन भी हाेना है, इतनी बड़ी संख्या में शिक्षकों के खाली पद यूनिवर्सिटी के ग्रेडेशन पर भी बुरा प्रभाव डालता है। यूनिवर्सिटी द्वारा 38 विभागों और 3 महाविद्याालयों का संचालन होता है। यहां नियमित शिक्षकों के पद खाली होने के कारण बड़ी संख्या में कांट्रिब्यूटरी शिक्षकों की नियुक्तियां की जाती हैं, जिन्हें प्रति लेक्चर के हिसाब से वेतन दिया जाता है, लेकिन लेक्चर पूरा होने के बाद ये शिक्षक सेवाभार से नियुक्त हो जाते हैं। इसके बाद विभाग में कोई शिक्षक नहीं मिलता।