कृषि कार्यालय पर ताला देख संतप्त किसानों ने दिया धरना 

गोंदिया कृषि कार्यालय पर ताला देख संतप्त किसानों ने दिया धरना 

Bhaskar Hindi
Update: 2023-04-11 13:40 GMT
कृषि कार्यालय पर ताला देख संतप्त किसानों ने दिया धरना 

डिजिटल डेस्क, गोंदिया. सालेकसा तहसील दुर्गम आदिवासी बहुल एवं नक्सल प्रभावित क्षेत्र मानी जाती है। यहां के नागरिकों को शासकीय कर्मचारियों की उदासीनता के चलते शासन की अनेक योजनाओं से वंचित रहना पड़ता है। ऐसा ही एक उदाहरण सोमवार 10 अप्रैल को प्रकाश मंे आया। सप्ताह का पहला कार्य दिवस होने के बावजूद कृषि अधिकारी का कार्यालय दोपहर 11.45 मिनट पर खोला गया। जिससे गांव के नागरिकों के साथ वहां उपस्थित किसानों ने भी रोष जताया। 

नियमानुसार कार्यालय सुबह 9.30 बजे खुलना चाहिए था एवं सभी शासकीय कर्मचारियों का कार्यालय में उपस्थित रहना अपेक्षित था। लेकिन सालेकसा के कृषि कार्यालय में सोमवार को कुछ अलग ही चित्र दिखाई दिया। कृषि कार्यालय के कर्मचारियों की लेटलतीफी से त्रस्त स्थानीय नागरिकों एवं किसानों ने देर से आए कर्मचारियों को रोककर उनके देर से आने का कारण पूछा, तो कर्मचारियों ने अभद्र तरीके से उत्तर देते हुए अपना ही बचाव करने का प्रयास किया। जिससे नागरिकों का रोष बढ़ गया एवं वहां उपस्थित लोगों में से राहुल हटवार ने कार्यालय में बैठकर ही धरना आंदोलन शुरू कर दिया तथा सभी अनुपस्थित कर्मचारियों का एक दिन का वेतन काटकर देर से आने पर उन्हें कारण बताओ नाटिस दिए जाने की मांग की।

जब तक कार्रवाई नहीं की जाती तब तक धरना देने की चेतावनी दी। इस का अन्य उपस्थित लोगों ने भी उनका समर्थन किया। इसके बाद तहसील कृषि अधिकारी कुंभारे ने राहुल हटवार को सभी देर से आने वाले कर्मचारियों पर कार्रवाई कर एक दिन का वेतन काटने का आश्वासन दिया। जिसके बाद धरना आंदोलन खत्म किया गया। सभी शासकीय कर्मचारी अपने मुख्यालय मंे रहे इसके लिए उन्हें निवास भत्ता दिया जाता है। लेकिन कोई भी शासकीय कर्मचारी सालेकसा तहसील मुख्यालय में नहीं रहते बल्कि रेलवे की समय सारणी के अनुसार अपडाउन करते हैं। जिससे शासकीय कार्यालयों में लगभग रोज ही देर से पहुंचते हंै। यह चित्र अब आम हो गया है। कर्मचारी यदि मुख्यालय में रहना शुरू करेंगे तो यह समस्या निर्माण नहीं होगी। ऐसा भी राहुल हटवार ने कहा और कर्मचारियों पर मुख्यालय में रहने की सक्ती बरतने की मांग की। इस अवसर पर ओबीसी संघर्ष कृति समिति के अध्यक्ष मनोज डोये, सुनील असाटी, अनिल शेंदरे, मायकल मेश्राम, बाजीराव तरोणे, गोल्डी भाटिया आदि उपस्थित थे। 

 

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