मनपा में गजब कुर्सी मोह, कामास्तव प्रावधान
नागपुर मनपा में गजब कुर्सी मोह, कामास्तव प्रावधान
डिजिटल डेस्क, नागपुर. दो साल पहले तत्कालीन मनपा आयुक्त तुकाराम मुंढे ने 72 अधिकारियों और कर्मचारियों को मूल विभाग समेत अन्य स्थानों पर स्थानांतरित किया था, लेकिन उनके जाते ही सामान्य प्रशासन विभाग ने दोबारा उन अधिकारियों और कर्मचारियों को ‘कामास्तव प्रावधान’ का प्रयोग कर मनचाही स्थानों पर नियुक्त कर दिया। कई साल बीत जाने के बाद भी मूल विभाग में उनकी वापसी नहीं हुई है। 490 मान्य पदों में से फिलहाल 322 पदों पर ही कर्मचारी हैं, इनमें से भी 110 के अन्य विभागों में होने से संपत्ति कर की वसूली नहीं हो पा रही है। कर विभाग के सहायक आयुक्त की ओर से कई बार जीएडी को सूचना दी गई, लेकिन कर्मचारियों को वापस मूल विभाग में नहीं भेजा जा है। यही स्थिति नगर रचना विभाग, लोककर्म विभाग में भी बनी हुई है। लापरवाही की हद यह है कि इस साल जनवरी माह में भी करीब 200 कर्मचारियों के ट्रांसफर का आदेश जीएडी ने जारी किया है, लेकिन कर्मचारी अब भी अपने विभागों में नहीं पहुंचे हैं।
प्रशासकीय कामों में दिक्कत
कई सालों से लगातार सेवानिवृत्ति और नई भर्ती पर पाबंदी के चलते मनपा में प्रशासकीय कामों में खासी दिक्कत हो रही है। मनपा के नगर रचना विभाग, कर विभाग, स्वास्थ्य विभाग और लोककर्म विभाग में आला अधिकारियों का नियंत्रण नहीं होने से जनता को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इन विभागों के कई कर्मचारियों ने ऊंची पहुंच के दम पर अन्य विभागों में नियुक्ति ले रखी है। वेतन मूल विभाग से निकलने के बाद भी अन्य विभागों में बरसों से जमे रहने को लेकर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। नियमों के तहत प्रत्येक तीन साल में कर्मचारियों को मुख्यालय के अलावा जोन कार्यालयों में स्थानांतरण किया जाना चाहिए। इसके साथ ही आमदनी के प्रमुख स्रोत यानी कर वसूली के लिए लक्ष्य भी दिया जाना चाहिए, लेकिन सालों से दोनों नियमों का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है।
दूसरे विभागों में तैनात कर-निरीक्षक
मनपा ने शहर में 6.50 लाख संपत्तियों का मूल्यांकन करने की जिम्मेदारी निजी कंपनी को दी गई थी। साइबरटेक कंपनी और अनंत टेक्नोलॉजी के माध्यम से संपत्तियों के सर्वेक्षण से 350 करोड़ रुपए के टैक्स से आमदनी होने की उम्मीद थी। दोनो कंपनियों ने आधुनिक तकनीक से संपत्ति सर्वेक्षण कर दिया है। अब नए सिरे से ऑनलाइन प्रक्रिया में कर निर्धारण और वसूली की जिम्मेदारी कर विभाग के निरीक्षकों को दी गई है, लेकिन कर निरीक्षकों की ओर से लापरवाही हो रही है। यही नहीं, कई अन्य विभागों में बरसों से कर विभाग के कर्मचारी कार्यरत हैं। अपनी राजनीतिक पहुंच के दम पर दूसरे विभागों में बगैर काम के कार्यरत बने हुए हैं। मनपा नियमावली में अत्यावश्यक कामों के चलते कामास्तव कालावधि केवल 6 माह दी जा सकती है, लेकिन सालों बीत जाने के बाद भी कर निरीक्षक अपने विभागों में काम पर नहीं लौटे हैं। वहीं, दूसरी ओर कर विभाग में संपत्तियों के सर्वेक्षण के बाद भी कर वसूली के लिए कर्मचारियों का कृत्रिम अभाव बना हुआ है।
साल 2004 से नई नियुक्ति नहीं होने को आधार बनाकर मनपा में कर्मचारियों की कृत्रिम कमी बना दी गई है। निर्वाचन कक्ष और सूचना प्रौद्योगिक विभाग की जिम्मेदारी संभालने वाले सहायक आयुक्त महेश धामेचा, सूचना तकनीकी विभाग के स्वप्निल लोखंडे, नागरी सुविधा केन्द्र के प्रमुख कमलेश झांझड़, लोककर्म विभाग में कनिष्ठ अभियंता अनंत मानकर समेत कई कर्मचारी कामास्तव प्रावधान का बखूबी इस्तेमाल कर रहे हैं। जीएडी से ट्रांसफर आदेश मिलते ही कामास्तव आदेश कराकर समिति विभाग और वित्त विभाग में कर्मचारी पहुंच जाते हैं। दोनों विभागों में काम का बोझ नहीं होने से खासी सुविधा मिलती है। यही स्थिति उद्यान एवं लोककर्म विभाग में भी बनी हुई है। कनिष्ठ और वरिष्ठ क्लर्क के साथ ही सहायक और अधीक्षक भी मूल विभाग को छोड़कर अन्य सुविधाजनक विभागों में डटे हैं।
मनपा के कर विभाग को दो हिस्सों में विभाजित किया गया है। कर विभाग में 14 कर निरीक्षक और 24 कनिष्ठ निरीक्षक पदों को मान्यता दी गई है, जबकि कर वसूली विभाग में 72 निरीक्षक और 08 कनिष्ठ निरीक्षक के पद मान्य हैं। कर विभाग में संपत्तियों का सर्वेक्षण और परिसीमन कर टैक्स को लागू किया जाता है, जबकि दूसरे विभाग को संपत्ति कर की वसूली करना होता है। पिछले कई सालों से 6.50 लाख संपत्तियों से केवल 200 करोड़ का टैक्स ही मिल रहा है। संपत्तियों को तकनीक की सहायता से सर्वेक्षण के बाद कर वसूली से 350 करोड़ से अधिक की टैक्स मिलने की उम्मीद की गई थी, लेकिन कर विभाग के निरीक्षकों के अन्य विभागों में कामास्तव में डटे रहने से वसूली में बाधा हो रही है। सामान्य प्रशासन विभाग के आला अधिकारी लगातार कर्मचारियों की कमी का बहाना बता रहे है, लेकिन अन्य विभागों में मौजूद कर्मचारियों को मूल विभाग में वापस भेजने को लेकर कार्रवाई नहीं हो रही है।