कृषि विश्वविद्यालय नगर निगम को नहीं देगा अपनी दो सौ एकड़ जमीन, सैटेलाइट सिटी प्रोजेक्ट के लिए मांगी थी
कृषि विश्वविद्यालय नगर निगम को नहीं देगा अपनी दो सौ एकड़ जमीन, सैटेलाइट सिटी प्रोजेक्ट के लिए मांगी थी
डिजिटल डेस्क, जबलपुर। जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के बोर्ड ने विश्व विद्यालय की 200 एकड़ बेशकीमती जमीन नगर निगम को देने से साफ इंकार कर दिया है । विश्वविद्यालय का तर्क है कि जिस जमीन को नगर निगम सैटेलाइट सिटी प्रोजेक्ट के लिए मांग रही है उस जमीन से विश्वविद्यालय प्रतिवर्ष तीन करोड़ रूपये की आय अर्जित करता है।इतना ही नहीं इस जमीन पर कृषकों के लिए उन्नत बीज तैयार किए जाते हैं और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के संचालन के साथ ही इस जमीन पर पाली हाउस के रिसर्च कार्य भी चल रहे हैं । तीन जेनरेशन का यह रीडर किसानों के लिए काफी फायदेमंद है ।
किसान निर्भर हैं यहां के बीज पर
आसपास के जिलों के साथ ही प्रदेश के किसान जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय द्वारा तैयार किए गए उन्नत बीजों पर निर्भर रहता है और इन्हीं बीजों के दम पर ही किसान अच्छी खेती कर रहे हैं । विश्वविद्यालय के बोर्ड में किसान , शिक्षाविद और राज्य सरकार के दो सचिवों के साथ ही उत्तराखंड पंतनगर विश्वविद्यालय एवं अन्य विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि भी मौजूद थे । 22 सदस्यों के इस बोर्ड ने निर्णय लिया है कि इस जमीन को नगर निगम को ना दिया जाए । बोर्ड के इस फैसले से नगर निगम को अवगत करा दिया गया है ।
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने की थी सैटेलाइट सिटी की घोषणा
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जबलपुर दौरे में सैटेलाइट सिटी की घोषणा की थी इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि इस सिटी को 100 एकड़ में विकसित किया जाएगा । जबलपुर नगर निगम ने 100 की जगह 200 एकड़ जमीन की डिमांड कृषि विश्वविद्यालय से कर डाली । विश्वविद्यालय सूत्र का कहना है कि सैटेलाइट सिटी कहीं और भी बसाई जा सकती है किंतु कृषि विश्वविद्यालय की यह जमीन किसानों के हित में ऐसे ही रहना ज्यादा जरूरी है ।
इनका कहना है
एक्ट में प्रावधान है कि विश्व विद्यालय की चल एवं अचल संपत्ति का स्थानांतरण या उसे किसी को सौंपने का निर्णय अथवा किसी और द्वारा अधिग्रहित किए जाने का निर्णय बोर्ड ही ले सकता है । बोर्ड ने जो फैसला किया है किसानों के हित में है इसलिए जमीन देने का प्रश्न ही नहीं उठता । डॉ प्रदीप कुमार बिसेन कुलपति जेएनकेवीवी जबलपुर