एसिड अटैक ने दी जीवन भर की पीड़ा, अब सामान्य जीवन के लिए जद्दोजहद

एसिड अटैक ने दी जीवन भर की पीड़ा, अब सामान्य जीवन के लिए जद्दोजहद

Bhaskar Hindi
Update: 2020-01-10 05:40 GMT
एसिड अटैक ने दी जीवन भर की पीड़ा, अब सामान्य जीवन के लिए जद्दोजहद

डिजिटल डेस्क, नागपुर। एसिड अटैक पर आधारित "छपाक" फिल्म शुक्रवार को रिलीज हो चुकी है। यह एसिड अटैक पीड़िता लड़की की कहानी पर आधारित है। इसके कारण समाज में एक बार फिर एसिड अटैक की घटनाओं पर चर्चा शुरू हो गई। इसी संदर्भ में भास्करहिंदी डॉट काम ने पिछले 40 दिनों से एसिड अटैक के कारण इलाज करवा रही नागपुर की एक इंजीनियरिंग कॉलेज की छात्रा की पीड़ा महसूस करने की कोशिश की। यह किसी दिल दहलाने वाली दास्तां से कम नहीं। हम इस निष्कर्ष पर भी पहुंचे कि उसकी पीड़ा को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। 

पूरा परिवार झेल रहा दर्द 
एसिड अटैक के बाद उपचार करवा रही 18 साल की अर्चना (परिवर्तित नाम) 40 दिन पहले तक एक सामान्य लड़की थी। वह अपने भविष्य के सपनों में खोई हुई थी। वह देश की टॉप इंजीनियर बनकर अपने परिवार का नाम रोशन करना चाहती थी। इसके लिए उसने नागपुर के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लेकर शिद्दत से पढ़ना शुरू कर दिया। जब वह घर से कॉलेज निकलने के लिए बस का इंतजार कर रही थी, उसी समय एक मनचले युवक ने उस पर एसिड अटैक कर दिया। इसके बाद उसकी जिंदगी एक नए मोड़ पर खड़ी हो गई। वर्तमान में पूरा परिवार इस जद्दोजहद में है कि वह सामान्य जीवन कैसे शुरू करे। कॉलेज, पढ़ाई फिलहाल दूर की सोच हो गई।

डॉक्टरों ने कहा- वह अपनी स्थिति देख सके ऐसी मानसिक हालत नहीं 
एसिड अटैक के बाद उपचार करवा रही अर्चना अपने चेहरे की हकीकत से अब भी अनजान है। उसे खुद को निहारे लंबा वक्त गुजर गया। आईने का सामना वह कैसे कर पाएगी? इस सवाल के साथ परिवार का कोई भी सदस्य उसका ‘सामना’ नहीं कर पाता है।   परिवार वाले और अस्पताल के कर्मचारी हमेशा इस बात का ख्याल रखते हैं कि उसे किसी तरह इसका पता न लगे। इसलिए अस्पताल में उसके आस-पास आईनों का प्रयोग करना बंद कर दिया गया। डॉक्टर के अनुसार, फिलहाल उसकी मानसिक स्थिति इसके लिए पूरी तरह से तैयार नहीं है। इसके लिए विशेष काउंसलिंग की जरूरत है। घर वाले इस बारे में ज्यादा बात नहीं करते हैं। देखभाल करने वाले अर्चना को दूसरी बातों से बहला कर उसके सवालों को टाल देते हैं।

 परिवार को डर कहीं चेहरा देखकर वह होश न गंवा दे
अर्चना की देखभाल कर रही उसकी बहन के अनुसार, अर्चना जानना चाहती है कि वह कैसी दिख रही है? घर वाले कभी भी उसके सामने स्मार्ट फोन लेकर नहीं जाते हैं। उन्हें डर है कि वह स्मार्ट फोन के जरिए अपना चेहरा देखकर होश न गंवा दे। घर का कोई भी सदस्य घटना के बारे में  उसके सामने बात तक नहीं करता है। सामने बेड पर वह दाईं करवट लेटी थी। चेहरा खुला है और आंखें भी। उसके चेहरे के दाएं हिस्से पर ही एसिड अटैक हुआ था। उसे देख मुंह को कलेजा आ जाता है। नजरें बचाकर कुछ पूछने की कोशिश की गई, तो  जवाब देने के बजाय अपनी बहन को देखने लगी और फिर जब बात शुरू हुई, तो उसके तल्ख सवालों के सामने हमारे सवाल सुन्न पड़ गए।

देखने वालों को केवल जला शरीर नजर आता है, मन के घाव नहीं
देखने वालों को एसिड अटैक झेलने वाले का जला हुआ शरीर ही नजर आता है पर उसके मन पर पड़े फफोलों तक किसी की नजर नहीं पहुंचती है। जहां मेरी बहन पल-पल उस शरीर की पीड़ा को झेल रही है। उसके उसे एक ऐसा दर्द झेलना बाकी है जो एक बार नहीं बल्कि जिंदगी के हर लम्हे में पीड़ा देगा। तेजाब के कारण केवल उसका चेहरा ही नहीं, शरीर के दूसरे हिस्से भी जल गए हैं। अभी प्लास्टिक सर्जरी तो हो गई मगर असली समस्या इसके बाद की है। शरीर पर पड़े घाव ठीक भी हो जाए, पर तेजाब की जलन पल-पल उनके मन को कितनी पीड़ा पहंुचा रही है, ये कोई नहीं जान पाता है। ---अपर्णा, पीड़िता की बहन

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