न्यायिक अधिकारियों को आवास देने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज
न्यायिक अधिकारियों को आवास देने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने 15 साल तक सेवा देनेवाले न्यायिक अधिकारियों को स्थायी निवास देने के लिए सरकार को नीति बनाने का निर्देश देने की मांग से जुड़ी जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। यह याचिका सामाजिक कार्यकर्ता केतन तिरोडकर ने दायर की थी। बुधवार को न्यायमूर्ति भूषण गवई व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई।
इस दौरान तिरोड़कर ने कहा कि आईएएस व आईपीएस अधिकारियों को सोसायटी बनाने के लिए सरकार की ओर से जमीन दे दी जाती है और वे वहां पर अपना स्थायी मकान बना लेते हैं लेकिन न्यायिक अधिकारियों को स्थायी मकान देने के लिए सरकार के पास कोई नीति नहीं है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में इस विषय पर दिशा-निर्देश दिए हैं। लिहाजा सरकार को इन दिशा-निर्देशों को लागू करने के लिए कहा जाए। उन्होंने कहा कि न्यायिक अधिकारियों को सुविधाएं प्रदान करने को लेकर सरकार की ओर से सार्थक पहल नहीं की जाती है।
इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि न्यायिक अधिकारी अपनी परेशानी को कोर्ट के सामने लाने के लिए सक्षम हैं। फिलहाल हम इस मामले में हम दखल नहीं देंगे। यह कहते हुए खंडपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया।