महाराष्ट्र में 4 महीने में करीब 5000 बच्चों की मौत, रिपोर्ट से हड़कंप

महाराष्ट्र में 4 महीने में करीब 5000 बच्चों की मौत, रिपोर्ट से हड़कंप

Bhaskar Hindi
Update: 2017-09-18 07:42 GMT
महाराष्ट्र में 4 महीने में करीब 5000 बच्चों की मौत, रिपोर्ट से हड़कंप

डिजिटल डेस्क,मुंबई। 4 महीनों में 4915 बच्चों की कुपोषण से मौत। शायद ये आंकड़ा स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाने के लिए काफी है,लेकिन एकात्मिक बाल विकास योजना (ICDS) आयुक्त कमलाकर फंड ने स्पष्टीकरण देते हुए इन बच्चों की मौत का कारण कुपोषण नहीं बल्कि अन्य बीमारियों से होना बताया है। 

ज्यादातर बच्चे नहीं मना सके पहला जन्मदिन

ICDS की रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र में जनवरी से अप्रैल महीने के बीच आंगनबाड़ी केंद्रों में पंजीकृत 4915 बच्चों की मौत हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक 0 से 1 साल के बीच के 3697 शिशु और 1 से 5 साल के 1218 बच्चों की मौत हुई है। इसको लेकर राज्य सरकार पर सवाल उठाए जा रहे हैं। इस पर जवाब देते हुए कमलाकर फंड ने कहा कि बच्चों की मौत केवल कुपोषण नहीं बल्कि अन्य कारणों से भी होती है। उन्होंने ISDS की रिपोर्ट में कुपोषण के अलावा मलेरिया, निमोनिया, हैजा रोग, डायरिया, सांप काटने, हादसा और संक्रामक रोगों बच्चों की मौत का कारण बताया है। इसलिए यह कहना उचित नहीं होगा कि हजारों बच्चों की मौत केवल कुपोषण के कारण हुई है। 

उन्होंने बताया कि रिपोर्ट में बच्चों की मौत के आंकड़े आंगनबाड़ी केंद्रों, सर्वेक्षण, अभिभावकों और एएनएम से मिली जानकारी के आधार पर तैयार की गई है। रिपोर्ट में कहीं पर ऐसा नहीं लिखा है कि पोषण आहार के अभाव में बच्चों की मौत हुई है। फंड ने कहा कि प्रदेश में कुपोषण और बालमृत्यु दर कम करने के लिए महिला व बाल विकास और स्वास्थ्य विभाग विभिन्न योजनाओं के माध्यम से एकजुट होकर प्रयास कर रहा है। फंड ने बताया कि राज्य में 553 बाल विकास एकात्मिक बाल विकास प्रकल्प के माध्यम से 1 लाख 8 हजार आंगनवाड़ी केंद्रों में कुपोषण को रोकने के लिए काम किया जा रहा है। लगभग 2 लाख 7 हजार आंगनबाड़ी कर्मचारी कार्यरत हैं। इसके अलावा ज्यादा कुपोषणग्रस्त इलाकों में सीडीपीओ के रिक्त पदों को भरा जा रहा है। महिला व बाल विकास विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि आंगनबाड़ी में बच्चों को पोषण आहार उपलब्ध करना पड़ता है। इसलिए ICDS की तरफ से हर बच्चे के जन्म और मौत की रिपोर्ट बनाई जाती है। बच्चों की संख्या के अनुपात में पोषक आहार के लिए सरकार से राशि मिलती है।  

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