किसी को भनक भी नहीं लगी और 10 दिनों में एक-एक कर गायब हो गईं 29 ग्रीन बसें

किसी को भनक भी नहीं लगी और 10 दिनों में एक-एक कर गायब हो गईं 29 ग्रीन बसें

Bhaskar Hindi
Update: 2019-06-19 05:34 GMT
किसी को भनक भी नहीं लगी और 10 दिनों में एक-एक कर गायब हो गईं 29 ग्रीन बसें

डिजिटल डेस्क, नागपुर। इथेनॉल आधारित ग्रीन बसों को शहर की सड़कों पर दौड़ाने की केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की योजना को तगड़ा झटका लगा है। विवादों के बीच स्केनिया कंपनी अपनी 30 में से 29 ग्रीन बसें चोरी-छिपे बंगलुरु लेकर भाग गई। परिवहन समिति सभापति बंटी कुकड़े की सक्रियता से किसी तरह एक बस रोकने में सफलता मिली। जैसे ही इसकी भनक लगी, सभापति कुकडे एमआईडीसी स्थित स्केनिया कंपनी के बस डिपो में पहुंच गए। 29 बसें जा चुकी थीं। सिर्फ एक बस खड़ी थी, उसे भी ले जाने की तैयारी थी। तुरंत उसकी हवा निकाली गई। सभापति ने मनपा प्रशासन को इसकी सूचना देकर डिपो में सुरक्षा जवान तैनात करने के आदेश दिए। इन बसों को नागपुर में चलाने का श्रेय यहां के कई नेता केंद्र में ले चुके हैं। यहां तक की शहर की उपलब्धियों में इन बसों को बताने में गर्व महसूस करते थे।

अब यह है दिक्कत

स्केनिया कंपनी चोरी-छिपे 29 ग्रीन बसों को लेकर भागने में कामयाब हो गई। इसके बाद भी प्रशासन कार्रवाई को लेकर असमर्थ दिख रहा है। इसकी कई वजह है। बसों की आरसी बुक मनपा के नाम नहीं है। एमआईडीसी स्थित पार्किंग की जगह भी कंपनी के नाम है। संपूर्ण पूंजी और गाड़ी की मिल्कियत भी कंपनी की है। सिर्फ मनपा को किलोमीटर के हिसाब से कंपनी को निधि का भुगतान करना है। इसके अलावा बैंक गारंटी और बिल का आर्बिट्रेशन को लेकर दो मामले में कोर्ट में लंबित है। ऐसे में कार्रवाई को लेकर मनपा असमंजस में है। 

देश में इसे मॉडल की तरह पेश किया

केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की पहल पर नागपुर शहर में इथेनॉल आधारित ग्रीन बसें शुरू की गई थी। देश भर में इसे मॉडल की तरह पेश किया गया था। आरंभ के 6 महीने स्केनिया कंपनी ने  5 ग्रीन बसें शहर में पायलट प्रोजेक्ट के तहत विशेष रुट पर  चलाई। इसके बाद स्केनिया कंपनी की 55 ग्रीन बसें विविध चरणों में सड़कों पर चलाई जानी थी। 55 के बजाए स्केनिया कंपनी ने शहर में 30 बसें लाईं। 28 का रजिस्ट्रेशन हो चुका था, रजिस्ट्रेशन नहीं होने के कारण 2 एमआईडीसी स्थित डिपो में खड़ी थीं। इस बीच मनपा प्रशासन और स्केनिया कंपनी के बीच रॉयल्टी सहित अन्य कुछ मुद्दों पर मतभेद उभरे, तो स्केनिया कंपनी ने बस चलाने से इनकार कर दिया। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने दिल्ली में कंपनी के अधिकारियों के साथ बैठक की और उन्हें आश्वस्त कराते हुए बस चलाने को कहा, लेकिन स्केनिया कंपनी ने केंद्रीय मंत्री की भी नहीं मानी और अगस्त 2018 से शहर में ग्रीन बसों को चलाना बंद कर दिया। 

स्केनिया कंपनी ले गई बसें

अगस्त से लेकर अब तक सभी 30 बसें डिपो में खड़ी थीं। पिछले 10 दिनों में स्केनिया कंपनी ने एक-एक कर सभी ग्रीन बसों को बंगलुरु ले जाना शुरू कर दिया। इसकी जानकारी न मनपा प्रशासन को दी और न केंद्रीय मंत्री को। सोमवार रात तक स्केनिया कंपनी 29 बसें लेकर चोरी-छिपे बंगलुरु भाग गई। इस दौरान न प्रशासन को भनक लगी और सत्तापक्ष को। सोमवार को किसी अज्ञात सूत्र से सभापति बंटी कुकड़े को इसकी भनक लगी तो वे देर रात सीधे डिपो पहुंचे। वहां एकमात्र बची ग्रीन बस को भी ले जाने की तैयारी शुरू थी। उन्होंने तुरंत प्रशासन को इसकी सूचना दी और दो सुरक्षा रक्षक वहां भेज दिए। प्रशासन गहरी नींद में रहा।  स्केनिया कंपनी के साथ वहां दो सुरक्षा रक्षक भी तैनात कर दिए, जिस कारण बस वहां से निकल नहीं पाई। मंगलवार को यह प्रशासन और सत्तापक्ष में चर्चा का विषय बना रहा। 

अगस्त से बंद थी सभी बसें 

कार्रवाई पर भ्रम

विशेष यह कि पिछले 10 दिन से चल रहे इस घटनाक्रम की मनपा प्रशासन को खबर तक नहीं। पूछने पर परिवहन विभाग के अधिकारी बगले झांकते दिखे। अब कार्रवाई की बात कर रहे हैं। परिवहन विभाग के व्यवस्थापक शिवाजी जगताप ने कहा कि कानूनी सलाह लेकर इस पर कार्रवाई की जाएगी। हालांकि एफआईआर दर्ज करने की भी बात कर रहे हैं। हालांकि अहम सवाल यह भी है कि न तो बसें मनपा की थीं और न ही स्केनिया कंपनी पर मनपा का किसी तरह का बकाया है, इसलिए कार्रवाई कैसे करें, इसे लेकर भ्रम की स्थिति बनी है। स्केनिया कंपनी के खिलाफ कार्रवाई को लेकर कानूनी सलाह ली जाएगी। उसके बाद कोई कार्रवाई की जाएगी। हालांकि इसके पहले उन्हें नोटिस दिया जा चुका था।  -शिवाजी जगताप, 

व्यवस्थापक, परिवहन विभाग 

स्केनिया कंपनी सभी जगह से अपनी सेवाएं बंद करने के चक्कर में है। इसके पहले गोवा और ठाणे में भी इसी तरह स्केनिया कंपनी ने अपनी सेवाएं अचानक बंद कर दी है। अब नागपुर में भी यहीं किया गया। फिलहाल उनकी एक भी बस अब सड़क पर नहीं दौड़ रही है।  -बंटी कुकड़े, सभापति, परिवहन समिति 
 

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