ठोस कदम: छोटी जोत के किसानों के लिए मॉडल फॉर्म बनाने की जरूरत, नेट जीरो लक्ष्य करना है हासिल

  • किसानों की आय दोगुनी करने पर हो रहा काम
  • नेट जीरो लक्ष्य हासिल करने के लिए ई-मोबिलिटी आरएंडडी रोडमैप पर रिपोर्ट जारी

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-16 15:24 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली. केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने छोटी जोत के किसानों के लिए मॉडल फॉर्म बनाने की जरूरत बताई है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में सीमांत किसान हैं, जिनका ख्याल रखा जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है, जिस पर तेजी से काम हो रहा है। चौहान ने यह बात मंगलवार को 96वें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) स्थापना एवं प्रौद्योगिकी दिवस 2024 का उद्घाटन करने के बाद कही। इस अवसर पर उन्होंने वैज्ञानिकों से कहा कि हम चार सल के लक्ष्य निर्धारित करें और चार साल बाद हम कहें कि हमने यह लक्ष्य पूरे किए। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत को 2047 तक विकसित भारत बनाने के लक्ष्य को पूरा करने में कृषि संबंधित क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। कृषि मंत्री ने कहा कि आज हम यह संकल्प लें कि दलहन और तिलहन में भी भारत को आत्मनिर्भर बनाएंगे। इसके लिए भारत पूरा साथ देगी। दलहन के लिए समृद्धि पोर्टल बना है। किसानों के लिए जागरूकता अभियान चलाना होगा। कार्यक्रम में केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और कृषि राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर आदि प्रमुखता से मौजूद थे।

नेट जीरो लक्ष्य हासिल करने के लिए ई-मोबिलिटी आरएंडडी रोडमैप पर रिपोर्ट जारी

उधर केंद्र सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर अजय कुमार सूद ने मंगलवार को यहां नेट जीरो लक्ष्य हासिल करने के लिए भारत के लिए ई-मोबिलिटी आरएंडडी रोडमैप पर एक रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट को वैश्विक ऑटोमोटिव क्षेत्र की विस्तृत क्षितिज स्कैनिंग और भविष्य की अत्याधुनिक तकनीकी आवश्यकताओं की पहचान करने के बाद तैयार किया गया है। ई-मोबिलिटी आरएंडडी रोडमैप तैयार करने के लिए चार महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अनुसंधान किया गया, जिसमें ऊर्जा भंडारण सेल, ईवी एग्रीगेट्स, सामग्री और रिसाइकिल, चार्जिंग और ईंधन भरना शामिल है। यह रिपोर्ट अगले पांच वर्ष में इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनकर वैश्विक नेतृत्व प्रदान प्राप्त करने के लिए रास्ता बताती है। प्रोफेसर सूद ने कहा कि 2030 तक उत्सर्जन तीव्रता में 45 प्रतिशत की कमी और 2047 तक ऊर्जा स्वतंत्रता का लक्ष्य हासिल करना है, ताकि 2070 तक शुद्ध-शून्य प्रतिबद्धता प्राप्त की जा सके। इस दृष्टिकोण के एक महत्वपूर्ण हिस्से के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को व्यापक रूप से अपनाना, स्वदेशी ऊर्जा भंडारण प्रणालियों का निर्माण और चार्जिंग बुनियादी ढांचे के नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन करना आवश्यक होगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में ई-मोबिलिटी वैल्यू चेन आयात पर बहुत अधिक निर्भर करती है। इसे कम करने और ऑटोमोटिव क्षेत्र में घरेलू अनुसंधान एवं विकास क्षमताओं को मजबूत करना आवश्यक हो गया है।


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