पेंशन की मांग: पूर्व सांसद केसी त्यागी ने मोदी को लिखा पत्र, आपातकाल योद्धाओं को मिले 50 हजार प्रति माह

  • जनता दल (यू) के मुख्य प्रवक्ता केसी त्यागी की मांग
  • आपातकाल योद्धाओं को 50 हजार प्रति माह पेंशन मिले

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-25 15:41 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली. पूर्व सांसद और जनता दल (यू) के मुख्य प्रवक्ता केसी त्यागी ने 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ घोषित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार जताया है और कहा है कि आपातकाल के योद्धाओं को लोकतंत्र सेनानी घोषित कर स्वतंत्रता सेनानियों जैसे अलग अधिनियम बनाकर सम्मानित किया जाए। त्यागी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा कि आपातकाल में लोकतंत्र की रक्षा के लिए जेलों में बंद रहे लोकतंत्र सेनानियों को ताम्र पत्र प्रदान कर सम्मानित किया जाए और इनकी खराब आर्थिक स्थिति को देखते हुए सभी जीवित सेनानियों को 50 हजार रूपये प्रति माह की सम्मान निधि दी जाए। जदयू नेता ने कहा कि आपातकाल के दौरान जेलों में बदर रहे परिवार के कम से कम एक सदस्य को रोजगार उपलब्ध कराया जाए और 70 वर्ष से अधिक आयु वाले लोकतंत्र सेनानियों को आयुष्मान योजना में शामिल करते हुए उन्हें इलाज की सुविधा मुहैया कराई जाए। उन्होंने प्रधानमंत्री को बताया कि उत्तरप्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र सहित एनडीए शासित 11 राज्य सरकारों द्वारा लोकतंत्र सेनानियों को सम्मान निधि दी जा रही है, लेकिन शेष राज्यों में वे इस सम्मान से वंचित हैं। श्री त्यागी ने पत्र की कॉपी केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भेजी है।

संविधान हत्या दिवस घोषित करने के निर्णय को निरस्त किया जाए

मध्य प्रदेश में पंचस (समता, समानता, सम्यकता, सम्मान व स्वाभिमान के लिए) अभियान चलाने वाले भास्कर राव रोकड़े ने केंद्र सरकार से 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रुप में घोषित करने के निर्णय को वापस लेने की मांग की है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संविधान हत्या दिवस घोषित करके बड़ी भूल की है। अगर शीघ्र भूल सुधार न की गई तो इसका वैश्विक स्तर पर भारत की छवि पर विपरित असर पड़ सकता है। यहां प्रेस क्लब में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में रोकडे ने बताया कि उन्होंने इस बारे में प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा है और उनसे आग्रह किया है कि सरकार के इस निर्णय से असंजस की स्थिति उत्पन्न हुई है। दुनियाभर में यह संदेश प्रसारित होगा कि भारत में संविधान की हत्या होने के बाद बिना नया संविधान बनाए भारत मरे हुए संविधान के सहारे चल रहा है। लिहाजा संविधान हत्या दिवस घोषित करने के निर्णय को बड़ी भूल मानते हुए उस निर्णय को निरस्त किया जाए।

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