नागपुर: सीएसआर फंड को लेकर जिला परिषद गंभीर नहीं, कागजों पर खर्च हो रही निधि

  • उद्योजक कर रहे खानापूर्ति
  • उद्योजकों की सामाजिक दायित्व निभाने की मानसिकता नहीं
  • विपक्ष की मांग पर उद्योजकों के साथ बैठक कर सीएसआर फंड जुटाने का निर्णय

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-07 14:04 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिले के ग्रामीण क्षेत्र में हजारों उद्योग हैं। उद्योग के आसपास के क्षेत्र में सीएसआर फंड से विकास करना संबंधित उद्योग समूह का सामाजिक दायित्व बनता है। उद्योजकों की सामाजिक दायित्व निभाने की मानसिकता नहीं है। जिला परिषद की आमसभा में एक साल पहले विपक्ष ने उद्योजकों से संपर्क कर सीएसआर फंड का जिले के विकास के लिए उपयोग करने की मांग की थी।

विपक्ष की मांग पर उद्योजकों के साथ बैठक कर सीएसआर फंड जुटाने का निर्णय लिया गया। परंतु उस दिशा में कोई कदम नहीं उठाए गए। एक साल में किसी भी उद्योजक के साथ सीएसआर फंड के संबंध में बैठक नहीं हुई। विपक्ष के नेता आतिश उमरे ने कहा कि इस विषय पर जिला परिषद गंभीर नहीं है। आमसभा के बाद रात गई, बात गई कहावत को चरितार्थ कर सीएसआर फंड की चर्चा को भूला दिया गया।

जिला परिषद ने सीएसआर फंड का विकासकार्यों के लिए उपयोग करने में गंभीरता नहीं दिखाने पर उन्होंने अपने स्तर पर उद्योगों को पत्र दिए। उद्योजकों में सामाजिक दायित्व की भावना नहीं रहने का अनुभव रहा। बुटीबोरी एमआईडीसी में 150 से अधिक उद्योग चालू हैं। इंडोरामा, सीएट, केईसी कंपनियों को कई बार पत्र देकर परिसर के स्कूलों में सीएसआर फंड से बुनियादी सुविधा उपलब्ध करने का अनुरोध किया। कंपनी प्रबंधनों का सकारात्मक प्रतिसाद नहीं मिला।

जनता पर प्रदूषण की मार

उद्योग शुरू होने पर आसपास के परिसर में प्रदूषण फैलता है। उसका परिणाम आसपास के गावों में नागरिकों के स्वास्थ्य पर पड़ता है। उसके बदले में संबंधित उद्योग के सीएसआर फंड से विकास अपेक्षित है। उद्योग के लिए किसानों ने जमीन दे दी। संबंधित स्थानीय निकाय ने विकास के लिए निधि की आस में अनापत्ति प्रमाणपत्र दे दिए। उद्योग चालू होने पर उद्योजक आम जनता को भूल गए। उद्योजक सीएसआर कागजों पर खर्च कर खानापूर्ति कर रहे हैं और परिसर की जनता प्रदूषण की मार झेल रही है।

जिप प्रशासन की मौन भूमिका

उद्योजकों से सीएसआर फंड जुटाने की आमसभा में चर्चा हुई। प्रशासन को इस विषय में पहल करने की सूचना दी गई। प्रशासन ने मौन भूमिका अख्तियार की है। सूत्र बताते हैं कि प्रशासन ने जिप के दायरे में आनेवाले किसी भी उद्योजक को सीएसआर फंड के लिए साधा पत्र तक भेजना जरूरी नहीं समझा।


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