अनदेखी: प्लास्टिक कचरा संकलन कागजों तक सीमित
{निधि और जमीन के अभाव में लड़खड़ा रहे हैं केंद्र
डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहरों की तर्ज पर गांवों में घनकचरा प्रबंधन का जिला परिषद सीईओ सौम्या शर्मा का महत्वाकांक्षी प्रकल्प कागजों तक सीमित है। असंभव को संभव कर दिखाने का उन्होंने हौसला तो दिखाया, लेकिन उस पर प्रत्यक्ष अमल करने में उन्हें पसीने छूट रहे हैं। निधि के अभाव में आंशिक बदलाव कर संपूर्ण घनकचरा प्रबंधन की जगह प्लास्टिक कचरा संकलन से शुरुआत करने की पहल की है। उसमें भी बाधाएं आने से प्रकल्प लड़खड़ा जाने की सूत्रों से जानकारी मिली है।
सीईओ की मंशा : शहरों की तर्ज पर गांवों में घनकचरा प्रबंधन होगा। गांवों में संकलन किया जाने वाला कचरा तहसील स्तर पर ले जाया जाएगा। तहसील में कचरे पर प्रक्रिया केंद्र स्थापित किए जाएंगे। कचरे का विलगीकरण कर गीला, सूखा अलग-अलग किया जाएगा। मेडिकल वेस्ट संकलन के लिए स्वतंत्र व्यवस्था रहेगी। गीले कचरे से कंपोस्ट खाद की निर्मिती की जाएगी। उसे किसानों को सस्ते दाम में बेचा जाएगा। सूखे कचरे पर प्रक्रिया कर उपयोगी वस्तुएं बनाई जाएंगी। कचरा विलगीकरण का काम महिला बचत समूहों को दिया जाएगा। महिलाओं के हाथ को काम मिलने से उनका आर्थिक सक्षमीकरण होगा। मेडिकल वेस्ट संकलन की अलग से व्यवस्था की जाएगी। कचरा संकलन व्यवस्था से गांव स्वच्छ होकर संक्रामक बीमारियों से नागरिकों को संरक्षण मिलेगा।
प्लास्टिक कचरा का संकलन होगा : संपूर्ण घनकचरा प्रबंधन व्यवस्था खड़ी करने के रास्ते में बाधा आने पर प्लास्टिक कचरा संकलन से शुरुआत करने पर सहमति बनी। निधि के अभाव में तहसील स्तर पर प्रक्रिया केंद्र स्थापन करना संभव नहीं रहने पर संकलन केंद्र स्थापित करने का निर्णय लिया गया। जिले की 13 तहसीलों में संकलन केंद्र स्थापित करने में दिक्कत आने पर पहले 3 तहसीलों में प्रयोग करने का तय हुआ। गांवों से संकलित किया जाने वाला प्लास्टिक कचरा प्रक्रिया केंद्रों में पहुंचाया जाएगा। संकलन केंद्र का प्रारूप तैयार हो चुका है, लेकिन प्रत्यक्ष शुरुआत नहीं होने से कागजों तक सीमित है। निधि और जमीन के अभाव में अन्य केंद्र लड़खड़ा रहे हैं।