कयासों का दौर: क्या विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा कम मतदान का असर, बढ़ाने के प्रयास तो धरे रह गए
- भाजपा की जीत का अंतर कम था
- मतदान बढ़ाने के राजनीतिक दलों के प्रयास रह गए धरे
- भाजपा को 5% कम मत मिले थे
डिजिटल डेस्क, नागपुर. लोकसभा चुनाव में नागपुर क्षेत्र में कम मतदान के परिणाम को लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि मतदान कम होने का सबसे अधिक परिणाम भाजपा पर पड़ेगा। साथ ही विधानसभा चुनाव में भी इसका असर दिखेगा। खास बात है कि मतदान बढ़ाने के लिए राजनीतिक दलों ने दावे व प्रयास तो काफी किए थे, लेकिन सारे प्रयास धरे रह गए। यह अवश्य है कि इस बार मतदान प्रतिशतांक 2019 के मतदान प्रतिशतांक के लगभग समान है।
भाजपा की जीत का अंतर कम था
2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा जीती थी, लेकिन विधानसभा चुनाव में दो भाजपा विधायक पराजित हो गए थे। नितीन गडकरी ने चुनाव लड़ा तब सभी 6 विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के विधायक थे। 6 माह के अंतराल में हुए विधानसभा चुनाव में उत्तर नागपुर में विधायक मिलिंद माने व पश्चिम में सुधाकर देशमुख पराजित हो गए। दो अन्य विधानसभा क्षेत्र में भाजपा की जीत का अंतर कम था।
कांग्रेस ने दी थी कड़ी चुनौती : दक्षिण नागपुर में मोहन मते व मध्य नागपुर में विकास कुंभारे को कांग्रेस उम्मीदवार ने कड़ी चुनौती दी थी। पश्चिम नागपुर में कांग्रेस के विकास ठाकरे ने 49% मत पाए थे। उत्तर नागपुर में नितीन राऊत को 51.6% मत मिले थे। लोकसभा चुनाव में उत्तर नागपुर में भाजपा उम्मीदवार गडकरी पिछड़ गए थे। इस बार भी उत्तर व पश्चिम नागपुर में भाजपा को कांग्रेस से चुनौती मिलती दिखी है।
भाजपा को 5% कम मत मिले थे : 2019 के लोकसभा चुनाव में गडकरी ने पश्चिम नागपुर में 54.02 प्रतिशत मत पाए थे। मध्य नागपुर में उन्हें 55.55 प्रतिशत मत मिले थे। उसी वर्ष विधानसभा चुनाव में दोनों क्षेत्र में भाजपा को 5 प्रतिशत कम मत मिले थे। पूर्व नागपुर में भाजपा की स्थिति अच्छी रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव में पूर्व नागपुर में नितीन गडकरी को 57.21 प्रतिशत मत मिले थे। विधानसभा चुनाव में भाजपा के कृष्णा खाेपड़े ने 53.06 प्रतिशत मत पाए। दक्षिण पश्चिम नागपुर में लोकसभा चुनाव में भाजपा को 53.82 प्रतिशत मत िमले थे। विधानसभा चुनाव में 49.34 प्रतिशत मत मिले।
भाजपा का मिशन 48 कसौटी पर : मतदान कम होने को लेकर भले ही मतदाता व प्रशासन की उदासीनता को जिम्मेदार ठहराया जाए, लेकिन राजनीतिक दलों के बूथ प्रबंधन की भी विवेचना होगी। भाजपा का मिशन 48 तो कसौटी पर रहेगा। भाजपा ने बूथ प्रबंधन के लिए मंत्री, सांसद, विधायक को जिम्मेदारी दी थी। जिले में केंद्रीय मंत्री गडकरी, उपमुख्यमंत्री फडणवीस, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बावनकुले सहित अन्य नेताओं ने बूथ कार्यकर्ता के तौर पर कार्य किया। बूथ प्रबंधन में मतदाता सूची की पड़ताल व आनेवाली अड़चनों की जानकारी जुटाना भी शामिल था।