सेहत: सर्वाइकल कैंसर टीका अभी कागजों में , वित्तमंत्री ने बजट में बढ़ाने पर दिया जोर
- नागपुर में साल भर से स्वदेशी एचपीवी वैक्सीन का इंतजार
डिजिटल डेस्क,नागपुर। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार (1 फरवरी) को अंतरिम बजट 2024-25 पेश करते हुए स्वास्थ्य क्षेत्र की चुनौतियों से निपटने पर ध्यान दिया। इस बजट में सर्वाइकल कैंसर टीकाकरण को बढ़ाने की घोषणा की गई है। इसके तहत 9-14 साल की लड़कियों का टीकाकरण करके कैंसर के जोखिमों को कम करने पर ध्यान दिया जाएगा, लेकिन इसकी गंभीरता जमीनी धरातल पर कुछ और है।
बीत गए 15 माह : सरकार ने सर्वाइकल कैंसर को नियंत्रित करने के लिए भारत का पहला स्वदेशी ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) को टीकाकरण में शामिल करने का संकेत दिया था। सितंबर 2022 में वैक्सीन लांच के समय यह संकेत दिए गए थे, लेकिन 15 माह बाद भी मेडिकल में यह वैैैक्सीन नहीं पहुंची। न ही इस बारे में मेडिकल प्रशासन को कोई सूचना मिली है। मेडिकल में हर साल कैंसर के 2300 नए मरीजों का पंजीयन होता है। इसमें दूसरे क्रमांक पर सर्वाइकल कैंसर पीड़ित महिलाओं का समावेश होता है। इनका प्रमाण 15 फीसदी यानि 345 बताया जाता है।
मेडिकल में न सूचना मिली न वैैक्सीन पहुंची : स्वदेशी वैक्सीन की खुशी कागजों पर : सर्वाइकल कैंसर रोगियों के लिए एचपीवी वैक्सीन रोकथाम के लिए प्रभावी है। अंतरराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा इसका निर्माण होता है। बाजार में इसकी कीमत 5000 से 8000 रुपए तक है। मेडिकल में आने वाले मरीज आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं। इसलिए उनके लिए यह वैक्सीन खरीद पाना संभव नहीं होता। कुछ मरीजों के परिजन जैसे-तैसे जुगाड़ कर वैक्सीन लेकर आते हैं। वहीं अधिकतर मरीजों के परिजन कीमत सुनकर उपचार नहीं करा पाते हैं। कई मरीज आर्थिक हालत के कारण उपचार ही बंद कर देते हैं। नई स्वदेशी वैक्सीन की खबर ने खुशियां दी है, लेकिन 15 महीने से यह वैक्सीन मेडिकल में पहुंची ही नहीं है।
90 फीसदी कारगर है यह : इस वैक्सीन के निर्माण पर तीन साल तक अध्ययन हुआ है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) को सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए इस वैक्सीन निर्माण व बिक्री की अनुमति दी है। यह वैक्सीन सर्वाइकल कैंसर रोकने में 90 फीसदी से अधिक प्रभावी बताई गई है। इस वैक्सीन की बिक्री कीमत 200 से 400 रुपए के होने की संभावना जताई गई थी। इसलिए अार्थिक रूप से कमजोर वर्ग को इसका लाभ मिलेगा। सरकार ने इसे टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल करने का संकेत दिया था। जब तक यह वैक्सीन मेडिकल में नहीं पहुंचती, तब तक आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के मरीजों को लाभ नहीं मिल पाएगा।