नागपुर: हरित ऊर्जा के बूस्टर का इंतजार, दो निजी कंपनियों से 3300 मेगावॉट का करार
- बिजली की मांग बढ़ रही है
- प्राथमिकताएं बदलने की चर्चा
डिजिटल डेस्क, नागपुर. बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए महावितरण को हरित ऊर्जा के बूस्टर की जरूरत है। वर्तमान में बिजली की मांग पूरी करने के लिए निजी कंपनियों से बिजली खरीदी जा रही है। पर्यावरण पर भी असर हो रहा है। राज्य सरकार ने दो निजी कंपनियों से 3300 मेगावॉट हरित ऊर्जा खरीदने का करार तो किया है, लेकिन इसे जमीन पर उतरने में लंबा समय लग सकता है।
बिजली की मांग बढ़ रही है
नागपुर समेत राज्य में दिन ब दिन बिजली की मांग बढ़ती ही जा रही है। भीषण गर्मी में बिजली की खपत राज्य में (मुंबई छोड़कर) 26 हजार मेगावॉट को पार कर गई थी। बिजली की रिकार्ड मांग को पूरा करने के लिए एनटीपीसी के अलावा अदाणी, रतन इंडिया, जेएसडब्ल्यु, साई वर्धा जैसी कई निजी कंपनियों से बिजली खरीदनी पड़ रही है। हरित ऊर्जा से बिजली सस्ती मिलने के साथ ही पर्यावरण पर भी असर नहीं होगा। पर्यावरण पूरक ऊर्जा हाेने से कार्बन डाईआक्साइड का उत्सर्जन कम होगा। ग्रीन एनर्जी में बायोमास, गन्ने का वेस्ट, पवन ऊर्जा व अन्य नैसर्गिक स्रोत होते हैं।
उपभोक्ताओं को भी लाभ
निजी कंपनियों से खरीदी जा रही बिजली महंगी है। महावितरण के लिए यह घाटे का सौदा साबित हो रहा है। इसका असर उपभोक्ताआें पर भी हो रहा है। हरित ऊर्जा सस्ती होने का लाभ उपभोक्ताओं को भी मिल सकेगा। पर्यावरण भी ठीक रहने में मदद मिलेगी।
प्राथमिकताएं बदलने की चर्चा
समतल जल विद्युत निगम लि. के साथ 1800 मेगावॉट व नेशनल हाइड्रो पावर कॉरपोरेशन के साथ 1500 मेगावॉट का करार हुआ है। राज्य सरकार ने दोनों कंपनियों से हरित ऊर्जा खरीदी का करार तो किया, लेकिन इसे जमीन पर उतरने में लंबा समय लग सकता है। इस भीषण गर्मी में तो इसका लाभ नहीं हो सका। राज्य में राजनीतिक स्थिति को देखते हुए सरकार की प्राथमिकताएं बदलने की चर्चा है।