केंद्रीय बजट: विदर्भ को बड़े प्रकल्पों की उम्मीद, नागपुर में हो इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स की स्थापना
- सीआईआईआर की घोषणा की मांग
- केंद्रीय बजट में बड़े प्रकल्पों की उम्मी
डिजिटल डेस्क, नागपुर. आगामी 22 जुलाई से लोकसभा का बजट सत्र शुरू होगा, सत्र के दूसरे दिन 23 जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लोकसभा में केंद्रीय बजट पेश करेंगी। दशकों से विदर्भ की जनता को बड़े प्रकल्पों की आस है, उम्मीद है कि इस बार केंद्रीय परिवहन मंत्री नितीन गड़करी और राज्य के उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र के प्रयासों को सफलता मिलेगी। प्राकृतिक संसाधनों के विशेषज्ञ प्रदीप माहेश्वरी ने बताया कि विदर्भ के गढ़चिरोली और चंद्रपुर में सी बी एम (कोल बेड मीथेन) मिलने की पुष्टि हुई है। ओएनजीसी को इस गैस को निकालने हेतु सरकार को दिशा निर्देश देकर आने वाले स्टील संयंत्रों के लिये स्वच्छ ईंधन रियायती दरों पर उपलब्ध कराना चाहिए। कपड़ा मंत्रालय का बड़ा निर्यात लक्ष्य है। इस लक्ष्य को पूरा करने हेतु राज्य के साथ-साथ केंद्र सरकार से भी मदद मिलनी चाहिए ताकि इस क्षेत्र में पीएलआई योजना के अंतर्गत नया निवेश और विदेशी निवेश भी आ सके। कपास काे बांग्लादेश निर्यात करने की बजाय, यहीं कपड़ा बनाकर निर्यात होना चाहिए।
नागपुर में हो इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स की स्थापना
माहेश्वरी के अनुसार नागपुर एवं आसपास के राज्यों को मिलाकर करीब 500 मिलियन टन खनिज का उत्पादन होता है, इसमें सभी तरह के खनिज शामिल हैं। जंगल से बाहर के खनिज समाप्ति की ओर हैं। बढ़ती हुई आवश्यकताओं कर पूर्ति के लिए अंडर ग्राउंड माइन और जंगलों में माइनिंग करना पड़ेगा। एच आर डी मंत्रालय द्वारा नागपुर में इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स की स्थापना की घोषणा की अपेक्षा है।
सीआईआईआर की घोषणा हो
उन्होंने बताया कि नागपुर देश के मध्य भाग में स्थित है। सारे प्राकृतिक संसाधन जैसे बिजली, खनिज, पानी, जमीन यहां उपलब्ध है। काफी कम दरों पर यहां औद्योगिक उत्पादन संभव है इसे केंद्र सरकार का प्रोत्साहन मिलना चाहिए। नागपुर से 250 किमी के परिक्षेत्र में सेंट्रल इन्वेस्टमेंट एंड इंडस्ट्रियल रीजन की स्थापना कर स्टील एवं इससे बनने वाली चीजे, कपास से कपड़ा व रेडीमेड गारमेंट तक और सर्कुलर इकॉनमी के तहत वाहनों की स्क्रैपिंग कर रीसाइक्लिंग तक इसमें हो सकती है। इस सीआईआईआर की घोषणा बजट में होनी चाहिए। नागपुर और पूरा विदर्भ इस समय बेरोजगारी और कई तरह की समस्याओं से ग्रसित है और राज्य सरकार की उपेक्षा का शिकार है, केंद्रीय बजट में विदर्भ को राहत का इंतजार है।