शिक्षा: गणवेश को लेकर राज्य सरकार व शिक्षकों में ठनी, दो बार दिए जाते हैं यूनिफार्म

  • 136 करोड़ रुपए की लड़ाई...
  • 65 हजार के लगभग है विद्यार्थियों की संख्या
  • अगले शैक्षणिक सत्र से हो सकता है एक समान गणवेश का फार्मूला

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-02 06:51 GMT

समीर पठान , नागपुर । समग्र शिक्षा अभियान अंतर्गत अगले शैक्षणिक सत्र से राज्य के सभी जिला परिषद स्कूलों का गणवेश एक समान रहेगा। राज्य सरकार ने गत दिनों आदेश जारी कर शैक्षणिक सत्र 2024-2025 में इसे अमल करने के निर्देश दिए हैं। सरकार ने गत वर्ष एक समान गणवेश लागू करने की आड़ में स्कूल प्रबंधन कमेटी से अधिकार छीनकर अपने पास लेने का प्रयास किया था लेकिन राज्यव्यापी विरोध होने पर अमल टाल दिया गया। अगले शैक्षणिक सत्र से एक समान गणवेश का फार्मूला अपनाने पर फिर गणवेश वितरण के अधिकार राज्य सरकार अपने पास लेने की चाल चलने का अनुमान लगाया जा रहा है। 

पहली से आठवीं के विद्यार्थी लाभार्थी : शासकीय तथा स्थानीय स्वराज संस्था द्वारा चलाए जाने वाले स्कूलों के विद्यार्थियों को समग्र शिक्षा अभियान अंतर्गत शैक्षणिक सत्र में दो शालेय गणवेश के लिए 600 रुपए अनुदान दिया जाता है। पहली से आठवीं कक्षा के विद्यार्थी शालेय गणवेश योजना के लाभार्थी हैं। पहले इस योजना अंतर्गत अनुसूचित जाति, जनजाति तथा गरीबी रेखा के नीचे परिवार के छात्र तथा सभी वर्ग की छात्राओं को गणवेश दिए जाते थे। चालू शैक्षणिक वर्ष में सरकार से सभी विद्यार्थियों को गणवेश देने की योजना बनाई गई। स्कूल खुलने पर शुरूआत में एक और बाद में दूसरा गणवेश दिया गया।

स्कूल प्रबंधन कमेटी को खरीदी का अधिकार : विद्यार्थियों का गणवेश तय करना और खरीदी कर वितरण करने का अधिकार स्कूल प्रबंधन कमेटी को है। समग्र शिक्षा अभियान से जिला परिषद को निधि उपलब्ध कराई जाती है। जिला परिषद स्तर से संबंधित स्कूल के मुख्याध्यापक के खाते में निधि जमा होती है। स्कूल प्रबंधन कमेटी अपने स्तर पर गणवेश खरीदी कर विद्यार्थियों में वितरण करती है।

सिर्फ नागपुर जिले में 65000 लाभार्थी : जिला परिषद के 1515 स्कूल है। इन स्कूलों में 80 हजार विद्यार्थी है। शालेय गणवेश के लिए पात्र पहली से आठवीं कक्षा की विद्यार्थी संख्या 65 हजार के लगभग है। एक गणवेश के लिए 300 रुपए देय है। प्रति विद्यार्थी 2 गणवेश के लिए 600 अनुदान दिया जाता है। अकेले नागपुर जिले में शालेय गणवेश योजना पर लगभग 4 करोड़ रुपए खर्च होता है। महाराष्ट्र में कुल 34 जिला परिषद हैं। औसतन प्रति जिला गणवेश पर 4 करोड़ खर्च का ही आंकड़ा लें, तो इस हिसाब से प्रदेश में सिर्फ गणवेश योजना पर लगभग 136 करोड़ खर्च होते हैं।

राज्य स्तर से निर्धारित होगा गणवेश : गणवेश तय करने के अधिकारी राज्य सरकार ने शालेय प्रबंधन कमेटी से छीन लिए। कपड़े की गुणवत्ता और रंग तय करने का अधिकार राज्य सरकार ने अपने पास ले लिया है। स्थानीय स्तर से गणवेश खरीदी करने पर एक समान गणवेश की शर्तों का पालन करने में दिक्कत होगी। उस समस्या का हल निकालने के लिए राज्य स्तर से खरीदी का विकल्प आगे कर सरकार ने वितरण के अधिकार अपने पास लेने की चाल चली है, ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही है।

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