हेयर ट्रांसप्लांट: अनधिकृत सेंटरों की जानकारी से अनभिज्ञ मनपा, बिना विशेषज्ञों के चलता है काम

  • डॉक्टर के साथ टेक्निशियन्स भी करते हैं उपचार
  • शिकायत मिलने पर होती है कार्रवाई
  • बिना विशेषज्ञों के चलता है काम

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-08 12:14 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर. उपराजधानी में कितने हेयर ट्रांसप्लांट सेंटर अनधिकृत हैं, इसकी जानकारी मनपा के पास नहीं है। ऐसा इसलिए कि जब तक कोई अनधिकृत सेंटर की शिकायत नहीं करता, तब तक मनपा द्वारा जांच-पड़ताल नहीं की जाती। दो साल पहले विदर्भ हेयर रिस्टोरेशन एसोसिएशन (वीएचआरए) ने 8 सेंटर अनधिकृत होने की जानकारी मनपा को दी थी। बाद में इन सेंटरों को नियमानुसार अधिकृत किया गया। सेंटरों की खामियों को दूर कर पात्र मनुष्यबल रखने के निर्देश दिए गए थे। तब से नागपुर में कुल 15 सेंटर्स अधिकृत हैं। बीते दो साल में अनधिकृत सेंटरों की संख्या बढ़ने का अनुमान व्यक्त किया गया है। लेकिन मनपा के पास ऐसी जानकारी या शिकायत नहीं होने से किसी भी सेंटर की जांच-पड़ताल नहीं की जा सकती।

नोटिस देने के बाद दूर हुई थीं खामियां : दो साल पहले वीएचआरए ने मनपा को अनधिकृत रुप से चल रहे हेयर ट्रांसप्लांट सेंटरों की जानकारी देकर नियमानुसार कार्रवाई की मांग की थी। इसके बाद मनपा ने दो सेंटरों काे पंजीयन कराने के लिए बाध्य किया। उस समय नागपुर में 15 सेंटर चल रहे थे। उनमें से केवल 7 सेंटर ही अधिकृत थे। जबकि सालभर में 60 फीसदी लोग अनधिकृत सेंटरों में और 40 फीसदी लोग अधिकृत सेंटरों में जाकर हेयर ट्रांसप्लांट करवाने की जानकारी सामने आई थी। इस शिकायत को गंभीरता से लिया गया था। जोन स्तर पर हेयर ट्रांसप्लांट सेंटरों का पता लगाया गया था। सेंटरों की शिकायत मिलते ही वहां जांच-पड़ताल की गई । उन सेंटरों को नोटिस देकर खामियां दूर करने का निर्देश दिया था। बाद में उनका पंजीयन कर नियमानुसार अधिकृत किया गया।

मनपा स्वयं नहीं करती जांच : अधिकृत व अनधिकृत हेयर ट्रांसप्लांट सेंटरों में काफी अंतर होता है। सूत्रों के अनुसार स्वास्थ्य नियमावली की पूर्तता करनेवाले सेंटरों को मनपा द्वारा पंजीकृत किया जाता है। यह अधिकृत सेंटर कहलाते हैं। वहीं जो सेंटर बिना पंजीयन के चल रहे हैं, उन्हें अनधिकृत माना जाता है। मनपा स्वयं होकर इन सेंटरों का सर्वे नहीं करती है। अधिकृत सेंटर में एमसीएच प्लास्टिक सर्जरी या एमडी डर्मेटोलॉजी डिग्रीधारक होता है। इस कोर्स के साथ ही वह व्यक्ति तीन साल तक सर्जिकल ट्रेनिंग पूरा कर चुका होता है। इसलिए उसे विशेषज्ञ माना जाता है। उसे चीरा लगाना, एनेस्थेसिया देना, टांके लगाना, आपात स्थिति में ऑपरेशन थिएटर के सभी संसाधनों का उपयोग करना आता है। किस स्थिति में कौनसी दवा, इंजेक्शन देना चाहिए, रिएक्शन होने पर क्या करना चाहिए आदि का ज्ञान होता है।

बिना विशेषज्ञों के चलता है काम : अनधिकृत सेंटरों में कुछ में केवल डॉक्टर का नाम होता है, लेकिन काम करनेवाले विशेषज्ञ नहीं होते। कहीं ब्यूटिशियन्स, कहीं टेक्निशियन्स, कहीं बीएएमस डॉक्टर्स तो कहीं डॉक्टरों के सहायक ही हेयर ट्रांसप्लांट करते हैं। इन सेंटरों में हेयर ट्रांसप्लांट के लिए जरूरी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होती हैं। अधिकतर लोग अपने अनुभव के आधार पर ही यह काम करते हैं। इससे ट्रांसप्लांट करनेवालों की जोखिम बढ़ जाती है। सूत्रों का दावा है कि जिले में सालाना 800 लोगों की सर्जरियां हाेने का अनुमान है। इनमें से 60 फीसदी अनधिकृत सेंटरों पर सर्जरी व 40 फीसदी अधिकृत सेंटरों में सर्जरी करवाते हैं। हेयर ट्रांसप्लांट में 50 हजार से 1.25 लाख रुपए तक खर्च आता है। इसके अलावा विविध समस्याएं पैदा होने पर अलग से खर्च करना पड़ता है। अधिकृत के मुकाबले अनधिकृत सेंटरों के दाम कम होते हैं।

शिकायत मिलने पर होती है कार्रवाई

मुकुंद खुजे, प्रभारी अधिकारी (हॉस्पिटल रजिस्ट्रेशन) के मुताबिक मनपा स्वयं होकर सेंटरों की जांच-पड़ताल नहीं करती। जब तक कोई शिकायत नहीं आती, तब तक कार्यवाही नहीं कर सकते। संबंधितों को नोटिस देकर खामियों को दूर करने कहा जाता है। जब सारी खामियां दूर कर दी जाती हैं तो ऐसे सेंटरों को अधिकृत किया जाता है। फिलहाल मनपा के पास अनधिकृत सेंटर की जानकारी या शिकायत नहीं आई है।


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