एक ही एंबुलेंस के भरोसे मरीजों को लाना-ले जाना, टीबी वार्ड तक पहुंचने करना पड़ता है इंतजार
डिजिटल डेस्क, नागपुर. सरकारी अस्पतालों के लिए करोड़ों रुपए की विविध योजनाओं की मंजूरी मिली है। मेडिकल व मेयो अस्पताल में विकासकार्य प्रगति पर हैं। लेकिन मूलभूत सुविधाएं ही नाकाफी होने से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। शनिवार की रात 10.30 बजे मेडिकल की कैज्युअल्टी के सामने स्ट्रेचर पर एक महिला मरीज थी। वहीं पर एक निजी कंपनी का अटेंडेंट (जैसा कि उसने बताया) मोबाइल देखने में मस्त था। जब उसे बुलाकर पूछा कि वह इस समय कैज्युअल्टी के गेट के पास क्या कर रहा, ड्यूटी कहां है। तब उसने जो बताया वह अाश्चर्यकारक था। सबसे बड़ी और चिंता की बात यह कि दिनभर में एक ही एंबुलेंस से अलग-अलग बीमारियों के 15-20 मरीजों को लाना-ले जाना किया जाता है। लेकिन एंबुलेंस की वॉशिंग व धुलाई नहीं की जाती।
1-1 घंटा इंतजार
इस अटेंडेंट ने बताया कि वह एंबुलेंस का इंतजार कर रहा है। एंबुलेंस सुपर स्पेशलिटी में पेशंट छोड़ने गई है। उसने स्टेचर पर लेटी महिला मरीज को सुपर में ले जाने के लिए एंबुलेंस का इंतजार करने की बात बताई। उसने बताया कि सुपर स्पेशालिटी, टीबी वार्ड, मेडिकल तीनों स्थानों की दूरी लंबी होने से मरीजों को एंबुलेंस में लाना-ले जाना करना पड़ता है। यह काम एक ही एंबुलेंस के सहारे हो रहा है। जब तक एक स्थान से एंबुलेंस खाली होकर नहीं आती, तब तक मरीज को ऐसे ही इंतजार करना पड़ता है। दिनभर में 15 से 20 मरीजों को अलग-अलग कारणों से इधर से उधर करना पड़ता है। इस चक्कर में कमसे कम आधा और अधिकतम 1 घंटा लगता है।
सैनिटाइज्ड के मामले में गोलमोल जवाब
जब एक बीमारी से ग्रस्त मरीज को दूसरे स्थान पर छोड़ा जाता है तो फिर एंबुलेंस में दूसरे मरीज को रखा जाता है। दोनों मरीज को अलग-अलग बीमारियां होती हैं, लेकिन एंबुलेंस की सफाई के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। इस बारे में अटेंडेंट ने बताया कि एंबुलेंस की वॉशिंग नहीं होती, लेकिन सैनिटाइज्ड किया जाता है। हर मरीज को गंतव्य तक छोड़ने के बाद सैनिटाइज्ड नहीं किया जाता। उसने यह बताया कि ऐसा बार-बार करना संभव नहीं है। इतना समय ही नहीं रहता। टीबी वार्ड व अन्य संक्रामक बीमारियों के बारे में लीपापोती की गई। बताया कि टीबी के मरीजों को लाना-ले जाना करना पड़ा तो सैनिटाइज्ड किया जाता है। गोलमोल उत्तर से इतना तो समझ आ गया कि अलग-अलग बीमारियों के मरीजों को एक ही एंबुलेंस में ले जाया जाता है, लेकिन सफाई नहीं की जाती।