एमपीआईडी अधिनियम: शहर में कुल 26 आपराधिक मामले दर्ज, अब तक पीड़ितों को एक भी पैसा नहीं मिला

  • 4 साल में 89 करोड़ की धोखाधड़ी पीड़ितों को एक भी पैसा नहीं मिला
  • उपभोक्ता न्यायालय में कई मामले दर्ज

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-01 13:19 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर. महाराष्ट्र प्रोटेक्शन ऑफ इंटरेस्ट्स ऑफ डिपोजिटर्स अधिनियम (एमपीआईडी) एक विशेष अधिनियम है, जिसमें वित्तीय प्रतिष्ठान में जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के उद्देश्य से कड़े प्रावधान हैं तथा यह सक्षम प्राधिकारी को प्रतिष्ठान की संपत्तियों को कुर्क करने तथा ऐसी कुर्क संपत्तियों की नीलामी के माध्यम से बकाया राशि वसूलने का अधिकार देता है। लेकिन पिछले चार वर्षों में नागपुर शहर में एमपीआईडी के तहत दर्ज किए गए मामलों मे पीड़ितों को एक भी पैसा नहीं मिलने की चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। इसलिए, यह सवाल उठाया गया है कि क्या एमपीआईडी ​​अधिनियम वास्तव में पीड़ितों के हितों की रक्षा करता है?

उपभोक्ता न्यायालय में कई मामले दर्ज : धोखेबाजों द्वारा लाखों रुपए से ठगे जाने को लेकर उपभोक्ता न्यायालय में कई मामले दर्ज हैं। इनमें से कुछ मामलों में जमाकर्ताओं की ओर से पक्ष रखते समय एड. सुदीप बदाना को ध्यान में आया कि उक्त मामले में आपराधिक जांच में बाधा उत्पन्न हुई है। इसी के चलते एड. बदाना ने 2020 से एमपीआईडी ​​अधिनियम के तहत दर्ज मामलों, धोखाधड़ी की राशि, फ्रीज की गई राशि और अंततः लाभार्थियों को वापस की गई राशि का डेटा मांगने के लिए एक आरटीआई दायर की थी। इस पर आर्थिक अपराध, पुलिस आयुक्त कार्यालय, नागपुर शहर ने जवाब दिया है। इसके अनुसार, वर्ष 2020 से 2024 के दौरान एमपीआईडी अधिनियम के तहत नागपुर शहर में कुल 26 अापराधिक मामले दर्ज किए हैं।

एमपीआईडी के तहत दर्ज केस

वर्ष मामले धोखाधड़ी की रकम

2020 11 46,84,74,781

2021 04 9,52,33,235

2022 05 17,17,21,121

2023 05 16,32,77,314

2024 01 जांच जारी

कुल 26 89,87,06,451

किसी भी मामले का निपटारा नहीं : आरोप पत्र के अनुसार धोखाधड़ी की कुल रकम 89 करोड़ ज्यादा है। साथ ही 2020 से अब तक साझा किए गए डेटा के अनुसार किसी भी पीड़ित को एक पैसा भी नहीं दिया गया है, क्योंकि किसी भी मामले का निपटारा नहीं किया गया है और यहां तक ​​​​कि फ्रीज की गई राशि का भी ऐसे अपराधों में उल्लेख नहीं किया गया है। आर्थिक अपराध, नागपुर शहर ने अपने जवाब में स्पष्ट किया है कि मामले का निपटारा होने के बाद कोर्ट के आदेश के बाद ही पीड़ितों को रकम दी जाएगी।

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