शक्तिरूपा: मां के जाने के बाद लिया बच्चों की सेवा का व्रत

  • 250 महिलाओं को मिला रोजगार
  • 65 बच्चों की फ्री हार्ट सर्जरी
  • सरकार के साथ मिलकर चला रहीं कार्यक्रम

Bhaskar Hindi
Update: 2023-10-23 14:32 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर, चंद्रकांत चावरे| मां के जाने के बाद उनकी यादों को ताजा रखने की जिम्मेदारी एक बेटी ने उठाई। मां समाजसेवा में अग्रणी रहती थी। उसने सोचा कि क्यों न मां के इस कार्य को आगे बढ़ाएं, इसलिए उसने मां के नाम पर एक संस्था तैयार की और निर्धन, निराधार बच्चों की सेवा का व्रत लिया। गरीब, निर्धन परिवार की महिलाअों को रोजगार का हुनर सिखाना, उन्हें रोजगार उपलब्ध कराना, यही लक्ष्य है। इस शक्तिरूपा का नाम है सुनयना झाम।

250 महिलाओं को मिला रोजगार

2017 में श्यामली फाउंडेशन नाम की संस्था स्थापित कर जब खामला के पीछे की एक पिछड़ी बस्ती में शिविर लगाया, तो वहां जमकर विरोध हुआ। इस बस्ती में गरीब व निर्धन परिवारों की संख्या अधिक थी। यहां के अधिकतर पुरुष अपनी कमाई का हिस्सा व्यसनों में गंवा देते थे। परिणाम स्वरूप घर चलाने के लिए महिलाएं दूसरों के यहां काम कर जैसे-तैसे जीवन गुजार रही थीं। जब महिलाओं की मेहनत का पैसा आता था, तो वह भी पुरुष वर्ग झपट लेता था। महिलाओं से मारपीट की जाती थी। जब शिविर लेकर वहां महिलाओं को एकत्रित किया गया, तो पुरुषों ने इसका विरोध किया। सुनयना ने वहां के पुरुषों को विश्वास में लिया कि उनके परिवार की महिलाओं को रोजगार का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके आधार पर उसे अच्छी आमदनी होगी। परिवार खुशहाल होगा। इस तरह यहां की महिलाओं को कुछ दिनों तक ब्यूटी पार्लर का प्रशिक्षण दिया गया। यहां की एक-दो नहीं बल्कि, 250 महिलाएं ब्यूटी पार्लर का प्रशिक्षण प्राप्त कर चुकी हैं। जिन घरों में खाने के लाले थे, वहां खुशहाली है। महिलाएं दो पहिया वाहनों से आना-जाना कर ग्राहक को घर बैठे ब्यूटी पार्लर की सेवा दे रही हैं। इस काम से उन्हें अच्छी आमदनी होने लगी है।

65 बच्चों की फ्री हार्ट सर्जरी

सुनयना यहीं नहीं रुकीं। इस काम को करते करते उन्होंने देखा कि गरीब बच्चों को दिल की बीमारी के कारण पूरे परिवार को आर्थिक समस्या से जूझना पड़ता है। ऐसे बच्चों का उपचार करवाना जरूरी होता है, इसलिए सरकारी योजना अंतर्गत हार्ट सर्जरी करवाने की शुरुआत की। 6 साल से यह अभियान शुरू है। अब तक 65 बच्चों की फ्री हार्ट सर्जरी करवाई गई है। इस सर्जरी के लिए अधिकतम 2 लाख रुपए खर्च आता है। बच्चों में बधीरता होने से उनका विकास थम जाता है। ऐसे 13 बच्चों की कांक्लियर इम्प्लांट सर्जरी करवाई गई। ग्रामीण, पिछड़े व आदिवासी क्षेत्राें में व आदिवासी छात्रावास में नि:शुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर आयोजित किए जाते हैं। सुनयना ने अब तक 70 से अधिक शिविरों का आयोजन कर 10 हजार से अधिक बच्चों की स्वास्थ्य जांच करवाई है। इसके लिए वह स्वयं के व्यवसाय मेडिकल टूरिज्म से होने वाली आय से खर्च करती हैं। उनके कार्य को देखते हुए ऑनररी डॉक्टरेट अवार्ड काउंसिल द्वारा डॉक्टरेट की उपाधि दी गई है, वहीं वर्ल्ड ह्यूमन राइटस् प्रोटेक्शन कमिशन अमेरिका की सदस्य बनाया गया है।

सरकार के साथ मिलकर चला रहीं कार्यक्रम

भारत सरकार के साथ मिलकर सुनयना बच्चों के लिए दो कार्यक्रम चला रही हैं। इंटरप्रेन्योरशिप ओरिएंटल प्रोग्राम (ईओपी) और इंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम (ईडीपी) चलाए जा रहे हैं। यह कार्यक्रम स्कूल-कॉलेजों में चलाए जाते हैं। महाराष्ट्र और गुजरात की जिम्मेदारी सुनयना की संस्था को दी गई है। कार्यक्रम के अंतर्गत बच्चों को व्यवहार कुशलता का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसमें बैंकिंग, प्रशिक्षण, रोजगार आदि का समावेश है। सुनयना ने बताया कि उनके माता-पिता पहले से समाजसेवा में समर्पित थे, इसलिए उन्हें भी समाजसेवा करना अच्छा लगता है। वह भविष्य में गरीब, पिछड़ा वर्ग, निर्धन, निराधार बच्चों के उत्थान के लिए बहुत कुछ करना चाहती हैं।

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