तैयारी: वंशावली जोड़ने के लिए समिति का गठन, जाति प्रमाण-पत्र जारी करने की दिक्कत होगी कम
- जाति वैधता प्रमाणपत्र जारी करने के पहले समिति की हरी झंडी जरूरी
- सामाजिक न्याय विभाग के सचिव सुमंत भांगे ने इस संबंध में आदेश जारी किए
- अभिलेख तो मिले लेकिन वंशावली नहीं जुड़ने से परेशानी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। मराठा-कुणबी व कुणबी-मराठा का जाति प्रमाण-पत्र व जाति वैधता प्रमाण-पत्र जारी करने में आने वाली दिक्कतों को दूर करने के लिए हर तहसील में तहसीलदार की अध्यक्षता में समिति का गठन किया जा रहा है। मराठा-कुणबी से संबंधित अभिलेख तो मिल गए, लेकिन वंशावली नहीं जुड़ने से जाति प्रमाण-पत्र जारी करने में दिक्कतें आ रही हैं। सामाजिक न्याय विभाग के सचिव सुमंत भांगे ने इस संबंध में आदेश जारी किया है।
दावा कमजोर पड़ने का कारण : कुणबी, मराठा-कुणबी व कुणबी-मराठा को आेबीसी का जाति प्रमाण-पत्र व जाति वैधता प्रमाण-पत्र जारी करते समय वंशावली जरूरी होती है। आवेदक, उसके पिता व दादा का उसी जाति का दस्तावेज होना जरूरी होता है। ये दस्तावेज निजामकालीन, राजस्व, भूमि अभिलेख, स्कूली शिक्षा या शासकीय विभाग से संबंधित हो सकते हैं। पहले शासकीय दस्तावेजाें में सरनेम नहीं हुआ करते थे। इसलिए दावा कमजोर पड़ता है। इसी तरह कई लोग मूल गांव छोड़कर दूसरी जगह शिफ्ट हो जाते हैं, इससे भी दावा कमजोर पड़ता है। जमीनें बेचने से भी दावा करना मुश्किल होता है। इन दिक्कतों को दूर करने के लिए शासनादेश जारी कर हर तहसील में समिति गठित करने के आदेश जारी हुए हैं।
समिति में शामिल अधिकारी तहसीलदार की अध्यक्षता वाली समिति में नायब तहसीलदार सदस्य सचिव व सदस्य के तौर पर गटविकास अधिकारी, पुलिस निरीक्षक, जाति वैधता समिति की संशोधन अधिकारी आैर उर्दू व मोडी लिपि के विशेषज्ञ शामिल रहेंगे। समिति के निर्णय पर उपविभागीय अधिकारी के पास अपील की जा सकेगी। आवेदक महाराष्ट्र राज्य का होना जरूरी है। वंशावली के संबंध में समिति से हरी झंडी मिलना जरूरी है आैर उसके बाद ही जाति वैधता प्रमाण-पत्र जारी हो सकेगाा। जिन आवेदकों की वंशावली आसानी से दस्तावेजों के साथ जुड़ रही है, उन्हें जाति संबंधी प्रमाण-पत्र प्राप्त करने में अन्य तरह की दिक्कत नहीं होगी।