रणनीति: 2019 में पराजित विधानसभा की सीटों पर भाजपा का रहेगा फोकस
राजनीतिक कार्यकर्ताओं की जानकारी जुटाने की तैयारी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्य में लोकसभा की 45 व विधानसभा की 225 सीटें जीतने का संकल्प पूरा करने के लिए भाजपा उन सीटों पर अधिक फोकस करेगी, जहां उसके उम्मीदवार जीते या जीतते रहे हैं। विधानसभा चुनाव के तैयारी के तहत 2019 में पराजित सीटों पर सर्वाधिक फोकस किया जाएगा। चुनाव जीतने की क्षमता रखने वाले राजनीतिक कार्यकर्ताओं की जानकारी जुटाई जाएगी। चुनाव के पहले विविध दलों के ऐसे कार्यकर्ता व नेता को भाजपा में शामिल किया जाएगा, जो अपने क्षेत्र में प्रभाव रखता हो। कांग्रेस ही नहीं, शिवसेना व राकांपा के दोनों गुटों के नेताओं को भाजपा में लाने का प्रयास किया जाएगा।
बैठक में बनी यह रणनीति : शनिवार को नैवेद्यम स्टार सभागृह काेराडी में प्रदेश भाजपा की बैठक में प्रमुख नेताओं ने चुनाव कार्य की रणनीति पर विचार साझा किए। भाजपा गठबंधन में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व की शिवसेना व अजित पवार के नेतृत्व की राकांपा के शामिल होने से सीट साझेदारी में अड़चन आ सकती है। भाजपा ऐसी स्थिति बनाना चाहती है कि लोकसभा व विधानसभा चुनाव में सहयोगी दल किसी मांग की जिद पर न रहें। 2019 के चुनाव में भाजपा ने 106 सीटें जीती थी। सभी सीटों पर भाजपा की दावेदारी कायम रहेगी। इसके अलावा 42 सीटों पर भाजपा के विधायक पराजित हुए थे। उन सीटों पर विशेष फोकस रखा जाएगा।
चौंकाने वाले निर्णय संभव : नेताओं ने साफ कहा कि उम्मीदवार चयन के लिए ऐसे निर्णय लिए जा सकते हैं, जो कुछ दावेदारों के लिए चौंकानेवाले रहेंगे। लेकिन उन दावेदारों या विधायकों को अधिक चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, जो 5 वर्ष तक विकास कार्य के मामले में सक्रिय रहे। सामाजिक व राजनीतिक स्थिति का प्रभाव उम्मीदवार चयन में रहता है। लेकिन इस बार यह मानकर चला जाएगा कि केंद्र सरकार की कल्याण योजनाएं चुनाव परिणाम के लिए निर्णायक रहेगी।
अपनी-अपनी बात रखी : भाजपा के राष्ट्रीय सहसंगठन मंत्री शिवप्रकाश ने संगठन व कार्य, केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी ने भाजपा की सफलता का सफर व कार्यकर्ता विषय पर मार्गदर्शन किया। अाशीष शेलार ने प्रस्तावना रखते हुए मुंबई व राजनीतिक व सामाजिक स्थिति की जानकारी दी। वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कार्यकर्ताओं का मनाेबल बढ़ाया। राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावडे ने 3 माह के लोकसभा प्रवास की जानकारी दी। चुनाव कार्य के लिए 650 पदाधिकारी सभी जिले में जाएंगे। 600 सुपर वॉरियर तैयार हैं। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आरक्षण विषय पर विस्तृत जानकारी साझा की। राष्ट्रीय सचिव पंकजा मुंडे ने भी राजनीतिक स्थिति पर संबोधित किया। प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने आभार माना।
शरद पवार चाहते तो मराठा आरक्षण दिला सकते थे : फडणवीस
राकांपा अध्यक्ष शरद पवार को मराठा आरक्षण विरोधी ठहराते हुए उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि पवार चाहते तो मराठा का आरक्षण दिला सकते थे। मंडल आयोग लागू होने के समय ही पवार मराठा आरक्षण दिला सकते थे। पवार ने आरक्षण के नाम पर विविध समाज को केवल उम्मीदोें के भरोसे रखा। महाविकास आघाडी सरकार के समय सुप्रिया सुले कहती रहीं कि राज्य में मराठा आरक्षण के बिना कोई दूसरा सवाल नहीं है क्या? भाजपा सरकार के समय मराठा को आरक्षण दिया गया था वह उच्चतम न्यायालय में अस्वीकृत हुआ, तब राज्य में सरकार बदल गई थी। ओबीसी पर अन्याय नहीं होने दिया जाएगा। मराठा व ओबीसी भाजपा के लिए वोटबैंक नहीं हैं।
पराजय के भय से मोर्चे पर उद्धव : बावनकुले
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लेकर कहा कि पराजय के भय से वह मोर्चा निकाल रहे हैं। सत्ता में रहते हुए उनका लोगों से जुड़ाव नहीं रहा। सत्ता का उपयोग जनकल्याण के लिए करने के बजाय फेसबुक लाइव में उद्धव व्यस्त रहे। 3 राज्यों में भाजपा के दमदार चुनाव प्रदर्शन को देख उद्धव मोर्चा निकालने का स्वांग कर रहे हैं। उनकी बातों पर न तो राज्य की जनता विश्वास करती है न ही मुंबई की जनता को भरोसा है। जिन मुद्दों को लेकर उद्धव मोर्चा निकाल रहे हैं, उनमें से 90 प्रतिशत मुद्दों की जानकारी उन्हें नहीं है।
प्रदेश कमेटी की बैठक में गडकरी : प्रदेश भाजपा की संगठनात्मक राजनीति से काफी समय से दूर रहे केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितीन गडकरी पदाधिकारी बैठक में स्वागतकर्ता के तौर पर उपस्थित रहे। उन्होंने प्रमुख पदाधिकारियों का स्वागत किया। संगठन कार्य में योगदान का आह्वान करते हुए उन्होंने वक्तव्य दोहराया कि पुराने व संकट के साथियों को कभी नहीं भूलना चाहिए। भाजपा की सफलता के लिए कई ज्ञात अज्ञात कार्यकर्ताओं ने योगदान दिया है।
मोबाइल की अनुमति नहीं
पदाधिकारियों की बैठक में जिला प्रमुख, विभाग प्रमुख सहित अन्य पदाधिकारी थे, लेकिन सभागृह में किसी को भी मोबाइल फोन रखने की अनुमति नहीं थी। चर्चा को लेकर पार्टी ने गोपनीयता रखी।