नागपुर: बाघों को कम पड़ रहा पेंच का जंगल, निकल रहे बाहर, मानव-वन्यजीव को बढ़ावा
- बढ़ रही मवेशियों के शिकार की घटनाएं
- खेती के काम करना मुश्किल
- 2 माह में पांच इंसानों को बनाया निशाना
डिजिटल डेस्क, नागपुर. महाराष्ट्र के पेंच व्याघ्र प्रकल्प में जंगल की तुलना में बाघों की संख्या बहुत ज्यादा हो गई है। जिसके कारण आए दिन बाघ रहवासी इलाकों में पहुंच रहे हैं। इससे मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ रहा है। गत 2 माह में रामटेक तहसील में 5 इंसानों को बाघ ने मारा है। जिससे एक ओर निवासियों की चिंता बढ़ गई है वहीं दूसरी ओर लोग खेती भी ठीक से नहीं कर पा रहे हैं। जिले का पेंच व्याघ्र प्रकल्प में ईस्ट व वेस्ट दो बीट आते हैं। जिसमें सिल्लारी, खुर्सापार, चोरबाहुली, कोलीतमारा, पनेरा, नागलवाड़ी आदि रेंज आते हैं। क्षेत्रफल की बात करें तो यह कुल क्षेत्र 7 सौ 41. 22 वर्ग किमी का है। लेकिन यहां बाघों की संख्या इतनी ज्यादा है, कि उन्हें दायरा कम पड़ रहा है। जानकारों की मानें तो एक बाघिन को 25 किमी वहीं एक बाघ को करीब 100 किमी का दायरा लगता है। लेकिन पेंच में बाघों की संख्या 54 रहने से बाघों को क्षेत्र बनाने में दिक्कत आ रही है। परिणामस्वरूप यह बाघ इंसानी इलाकों में अपने क्षेत्र बनाने के लिए पहुंच रहे हैं। जो कि मानव-वन्यजीव का कारण बन रहा है। जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र पेंच में 54 बाघ के अलावा 15 से ज्यादा शावक भी हैं। इसके अलावा मध्यप्रदेश के जंगल से भी लगातार यहां बाघों का आना-जाना लगा रहता है। जिससे बाघों की संख्या बढ़ जाती है। ऐसे में इंसानों पर अटैक के साथ मवेशियों का शिकार जैसी घटनाएं आए दिन होने से रामटेक तहसील में रहनेवालों को दहशत में जीवन जीना पड़ रहा है।
2 माह में पांच इंसानों को बनाया निशाना : आंकड़ों पर गौर करें तो गत 2 महीने में केवल रामटेक तहसील में ही 5 लोगों को बाघों ने मारा है। जिसें ज्यादातर मवेशी चरानेवाले हैं। घटना पहले वडंबा में हुई थी। इसके बाद नवेगांव फिर नाभी महाराजपुर, डोंगलतल व नवेदांव बेलदा में बाघ ने अटैक कर इंसानों की जान ले ली है।
खेती के काम करना मुश्किल
बताया गया कि बाघों की दहशत जिन जगहों पर है, वहां किसानों को खेती करना मुश्किल हो गया है। जंगल से बाहर आए बाघों के डर से लोग सुबह भी खेत में जाने से डर रहे हैं। जिसका सीधा असर उनके आर्थिक जीवन पर हो रहा है।
संख्या के हिसाब से क्षेत्र कम
वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट इंडिया के साथ काम करनेवाले वन्यजीव प्रेमी मयुर चैटर्जी ने बताया कि, एक नर बाघ को 100 वर्ग किमी का क्षेत्र लगता है। लेकिन पेंच का क्षेत्रफल 7 सौ 41 वर्ग किमी ही है, ऐसे में यहां ज्यादा से ज्यादा 10 बाघ ही रह सकते हैं। लेकिन संख्या 54 है, ऐसे में बाघ बाहर निकलने के लिए मजबूर हैं।
यहां से पकड़ सह्याद्री शिफ्ट करें
उद्यसिंग उर्फ गज्जु यादव, महामंत्री, भारतीय जनता पार्टी के मुंताबिक रामटेक तहसील में बाघों की संख्या इतनी ज्यादा हो गई है, कि बाघ इंसानी इलाकों में घुस रहे हैं। ऐसे में इन्हें पकड़कर ऐसी जगह शिफ्ट करना चाहिए, जहां बाघों की पॉपुलेशन नहीं है। सह्याद्री व नवेगांव नागझिरा में इन्हें छोड़ा जा सकता है। ताकि इंसानों की जान बच सके।
एफ-2 बाघिन बनेगी मां
नागपुर जिले के उमरेड करांडला में जल्द ही नये शावक देखने मिलनेवाले हैं। परिसर की बाघिन एफ-2 जल्द ही मां बननेवाली है। ऐसे में यहां बाघों की संख्या फिर से बढ़ जाएगी। अक्टूबर माह में यहां घूमने आनेवाले सैलानियों को यह शावक दिखाई दे सकते हैं। नागपुर का करांडला बाघों के लिए जाना जाता है। यही वह जंगल है, जहां जय टाइगर व सूर्या द बॉस जैसे टाइगर रहते थे। वर्तमान में यहां केवल 2 ही बाघ हैं, जिसमें एन-4 हैं, जोकि पवनी नागभीड़ से आया है। वहीं दूसरा जे मार्क नामक बाघ है। यह सिंदेवाही से यहां आया है। इसके अलावा कारांडला में चार बाघिन हैं। जिसमें फेरी, एक्स मार्क, कॉलरवाली व एफ-2 है। एफ-2 बाघिन को जल्द ही शावक होनेवाले हैं। जिसके बाद यहां के बाघों की संख्या बढ़ जाएगी। एफ-2 बाघिन सूर्या द बॉस व फेरी बाघिन की शावक है। अब फेरी बाघिन को होनेवाले शावक एन-4 के रहनेवाले हैं। कई बार सैलानियों ने इन्हें साथ देखा है।