नरखेड़: कुएं में तड़पकर मरा बाघ, सूचना मिलने के डेढ़ घंटे बाद पहुंचे अधिकारी
- नागरिकों ने कहा- अधिकारियों की लापरवाही
- तड़पकर मरा बाघ
- कुएं में गिरा था
डिजिटल डेस्क, नागपुर/नरखेड़. शनिवार को नरखेड़ उपवन क्षेत्र के पिपला खुर्द के जुनापानी गांव के एक खेत के कुएं में बाघ गिर गया। लोगों ने संबंधित राउंड अफसर और रेंजर को इसकी जानकारी फोन पर दी। दोनों अफसर जुनापानी से 5 किमी दूर सावरगांव में एक नेता के कार्यक्रम में थे। उन्होंने लोगों के कॉल को गंभीरता से नहीं लिया और जो अंतर 10 मिनट में नापा जा सकता था, उसे नापने में डेढ़ घंटा लगा दिया। इस लापरवाही के चलते बाघ ने दम तोड़ दिया। इस पूरे मामले में लीपापोती कर बचाव करने का आरोप लगाया जा रहा है।
नागरिकों ने कहा- अधिकारियों की लापरवाही
जानकारी के अनुसार, जुनापानी गांव के खेत सर्वे क्र.-74 में स्थित कुएं में बाघ गिरा था। घटना शाम करीब 4 बजे की है। आवाज सुनकर लोग पहुंचे, तो देखा कि कुएं में बाघ छटपटा रहा है। तुरंत इसकी जानकारी राउंड अफसर व रेंजर को मोबाइल पर दी गई। नागरिकों के अनुसार शुरुआत में मोबाइल पर कोई प्रतिसाद नहीं दिया। इसके बाद जब बात हुई, तो करीब 5.30 बजे दोनों पहुंचे। तब तक बाघ दम तोड़ चुका था।
छिंदवाड़ा वन क्षेत्र का बाघ होने की संभावना
नागरिकों का आरोप है कि इस पूरे मामले पर लीपापोती करने का प्रयास किया जा रहा है। लोगों ने वीडियो भी बनाया गया है, जिसमें बाघ जिंदा दिख रहा है। नागपुर वन विभाग के उपवन संरक्षक डॉ. भारत सिंह हाडा ने बताया कि इस बाघ की आयु 7-8 साल थी। वह पानी में 6 से 7 घंटे पहले गिरा होगा। बाघों में पानी में 3-4 घंटे तक जीवित रहने की क्षमता होती है। अगर ऐसा है, तो बाघ 4 घंटे पहले यानी सुबह 12 बजे गिरा होगा। अधिकारी ने बताया कि बाघ के मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा वन क्षेत्र से आने की संभावना है। शिकार के चक्कर में वह अंधे कुए में गिर गया। जब वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी मौके पर पहुंचे, तो बाघ मर चुका था।
चर्चा 6 माह से थी
नागरिकों के अनुसार इस क्षेत्र में बाघ होने की चर्चा पिछले छह माह से है। उन्होंने कई बार इस बारे में संबंधित राउंड अफसर व रेंजर को बताया है, लेकिन उन्हाेंने लोगों की बात को अनसुना किया। उनका यह मानना था कि, यह तेंदुए का इलाका है, इसलिए यहां बाघ नहीं हो सकते। शनिवार को जिस गांव के कुएं में बाघ गिरा, वहां से 5 किमी दूर एक नेता के कार्यक्रम में राउंड अफसर व रेंजर गए थे।
उच्च स्तरीय जांच की मांग
कुएं का पानी खाली कर बाघ को निकाला गया। मानद वन्यजीव संरक्षक डॉ. मयूर काटे के सामने पंचनामा तैयार किया गया। नरखेड़ के वन परिक्षेत्र अधिकारी डी.एन. बल्कि ने कार्यवाही पूरी की। नागरिकों ने उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।