नागपुर मनपा: ऐसे चल रहा तेल का खेल - 200 लीटर की टंकी और 224 लीटर डीजल भरवाने के बिल
- हर बार 80 लीटर बैलेंस दिखाकर उठाते हैं ईंधन
- किसकी टंकी में जा रहा है आखिर अतिरिक्त डीजल
- अक्सर विवादों में रहा है यह विभाग
डिजिटल डेस्क, नागपुर, योगेश चिवंडे | मनपा कारखाना विभाग में तेल का खेल मामला सामने आया है। वाहन की 200 लीटर क्षमता वाली डीजल टंकी में 200 लीटर से अधिक पेट्रोल-डीजल भराने का खेल उजागर हुआ है। विशेष यह कि जितनी बार वाहन में पेट्रोल-डीजल भराया गया, उतनी बार 80 लीटर ईंधन बैलेंस दिखाया गया। 80 लीटर पेट्रोल-डीजल बैलेंस दिखाकर अतिरिक्त 144 या फिर 128 लीटर डीजल भरा गया है। मतलब 200 लीटर की क्षमता वाले टैंक में 224 लीटर तक डीजल भरने के बिल बनाए गए। सूचना के अधिकार अंतर्गत इस जानकारी का खुलासा हुआ है। सवाल है कि अगर टंकी 200 लीटर की है, तो फिर अतिरिक्त ईंधन किस टंकी में भरा गया।
अक्सर विवादों में रहा है यह विभाग
ग्रेट नाग रोड स्थित कारखाना विभाग हर बार विवादों में रहा है। अनियमितता और भ्रष्टाचार को लेकर इसके पहले भी विभाग के कार्यकारी अभियंता से लेकर अनेक अधिकारियों को निलंबित किया गया है। नए मामले से विभाग फिर सुर्खियों में है। महाराष्ट्र प्रदेश सफाई कामगार महासंघ के कार्याध्यक्ष किशोर समुंद्रे द्वारा मांगी गई सूचना के अधिकार के तहत इन जानकारियों का खुलासा हुआ है। जानकारी में पेट्रोल-डीजल के नाम पर करोड़ों रुपए के नुकसान की आशंका जताई गई है। नियमानुसार किसी वाहन को डीजल व पेट्रोल देते समय यह देखा जाता है कि संबंधित वाहन प्रति लीटर कितने किलोमीटर या कितने घंटे काम कर सकता है, किन्तु यहां मनमानी तरीके से आर्थिक हित साधने के उद्देश्य से पेट्रोल-डीजल देने का खुलासा हुआ है।
सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी की बानगी
31 दिसंबर 2022 को डोजर (क्रमांक एसडी 76 ई) में 128 लीटर डीजल डाला गया, जबकि वाहन में पहले 80 लीटर डीजल बैलेंस था।
4 जनवरी 2023 को इसी डोजर में 144 लीटर डीजल डाला गया, इसमें भी 80 लीटर पहले से बैलेंस था।
5 जनवरी 2023 को फिर 144 लीटर डीजर भरा गया, इसमें भी 80 लीटर पहले का बैलेंस दिखाया गया।
बड़ा सवाल...असंभव संभव कैसे
आरटीआई में ऐसे अनेक रसीदों की जानकारी जोड़ी गई है, जिसमें 200 लीटर से अधिक ईंधन दिखाया गया है। सवाल है कि 200 लीटर क्षमता वाली टंकी में 200 से ज्यादा लीटर डीजल कैसे भरा गया। विशेष यह कि रिकार्ड में इन वाहनों से लगातार सात घंटे काम दिखाया जाता है, जबकि सात घंटे तक कोई भी मशीनरी लगातार काम नहीं कर सकती है।
हैरत भरा एक और खुलासा...
70 लाख का वाहन, 55 लाख दुरुस्ती पर खर्च
जानकारी में एक और खुलासा हुआ है। मनपा कारखाना विभाग ने 2008 में 70 लाख रुपए की लागत से बीईएमएल डोजर (क्रमांक बीडी-65) की खरीदी किया था। 2019-20 तक इसकी दुरुस्ती पर 55.02 लाख रुपए खर्च कर दिए। फिर इसमें इंजन गर्म होने की समस्या बताकर 2020 में कबाड़ में डाल दिया। 12 वर्ष में वाहन ने 14, 400 घंटे काम किया था। इस हिसाब से साल भर में 1200 घंटे और महीने में मात्र 100 घंटे काम किया। मतलब एक दिन में सिर्फ 3.33 घंटे ही इस डोजर से काम लिया गया। इसके बावजूद इस वाहन को महज 12 साल में कबाड़ में डाल दिया गया, जबकि किसी भी वाहन की कार्यरत क्षमता 15 साल होती है। इस संबंध में मनपा कारखाना विभाग के कार्यकारी अभियंता के मोबाइल पर अनेक बार संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन कोई प्रतिसाद नहीं मिल पाया।