मेयाे में पालनाघर: बच्चों के मनाेरंजन और प्ले स्कूल की होगी सुविधा, 30 से 50 बच्चों की क्षमता
- नर्सिंग स्टॉफ करेगा देखभाल
- प्ले स्कूल की होगी सुविधा
- मेयाे के पालनाघर में 30 से 50 बच्चों की क्षमता
डिजिटल डेस्क, नागपुर. सरकारी विभागों में सेवारत महिलाओं को प्रसूति पूर्व व बाद में छुटि्टयां मिलती हैं। बावजूद बच्चे की एक साल तक देखभाल करना जरूरी होता है। मेयो अस्पताल में सेवारत महिलाकर्मियों के बच्चों की देखभाल के लिए जल्द ही पालनाघर शुरू किया जाएगा।
30 से अधिक बच्चों को रखने की क्षमता
इंदिरा गांधी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेयो) में महिला डॉक्टरों से लेकर चतुर्थ श्रेणी महिलाकर्मियों की बड़ी संख्या है। प्रसूति के बाद उनके लिए ड्यूटी पर आना और बच्चे की देखभाल कर पाना संभव नहीं होता। ऐसी सभी माताओं के नवजात बच्चों के लिए मेयो में पालनाघर शुरु किया जानेवाला है। जिससे महिलाकर्मी व महिला डॉक्टर पालनाघर में अपने बच्चे को रख सकेंगे। उनकी देखभाल कर सकेंगे। मेयो में विद्यार्थियों के नर्सिंग छात्रावास के तल माले पर पालनाघर तैयार किये जाते हैं। पालनाघर में 30 से 50 बच्चों की क्षमता होगी। यहां रखे जानेवाले बच्चों के लिए खिलौने व प्ले स्कूल की व्यवस्था की जानेवाली है।
नर्सिंग स्टॉफ करेगा देखभाल
पालनाघर के बच्चों के स्वास्थ्य की देखभाल करने की जिम्मेदारी नर्सिंग स्टॉफ को सौंपी जानेवाली है। पालनाघर में स्त्री राेग व प्रसूति शास्त्र विभाग, बाल रोग विभाग के डॉक्टरों द्वारा बच्चों की नियमित जांच की जाएगी। बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए सीसीटीवी कैमरे व सुरक्षा रक्षकों की निगरानी रहेगी। मेयो के अधिष्ठाता डॉ. रवि चव्हाण की संकल्पना से पालनाघर तैयार किया जानेवाला है।
सकारात्मक पहल
डॉ. चव्हाण के अनुसार महिलाओं को प्रसूति के लिए छुटि्टयां मिलती है। लेकिन कई समस्याओं के चलते छुटि्टयां कम पड़ती है। बच्चों को कम से कम सालभर देखभाल की आवश्यकता होती है। उन्हें मातृत्व की छांव चाहिए। इससे उनका विकास और रोग प्रतिकारक शक्ति बढ़ती है। महिला व बच्चों की समस्याओं को देखते हुए सकारात्मक पहल के रूप में पालनाघर शुरू किया जा रहा है।