अनुसंधान: अब पानी में घुल जाएगा प्लॉस्टिक

"बायोडिग्रेडेबल प्लॉस्टिक' बनाने के लिए पीएचडी शोधकर्ताओं द्वारा अनुसंधान

Bhaskar Hindi
Update: 2023-10-28 10:35 GMT

डिजिटटल डेस्क, नागपुर। प्लॉस्टिक के इस्तेमाल से पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है, इसलिए "नो यूज प्लॉस्टिक' को लेकर जन जागरण करते हुए पेपर बैग का इस्तेमाल बढ़ाने की बात की जा रही है। फिर भी प्लॉस्टिक का यूज धड़ल्ले से हो रहा है। इस समस्या पर समाधान और पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए "बायोडिग्रेडेबल प्लॉस्टिक' बनाने के लिए पीएचडी शोधकर्ताओं द्वारा अनुसंधान किया जा रहा है। बायो पॉलिमर से यह प्लॉस्टिक बनाया जाएगा। यह प्लॉस्टिक कुछ घंटे पानी में रखने से पूरी तरह घुल-मिल जाएगा। विशेष बात यह है कि इस प्लॉस्टिक से पानी प्रदूषित न हो, इस पर भी अनुसंधान हो रहा है।

पूरे देश से शामिल हुए शोधकर्ता

राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विद्यापीठ की ओर से थर्मोडायनामिक्स पर 13वें राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया है। विद्यापीठ के केमिस्ट्री विभाग द्वारा इंडियन थर्मोडायनामिक सोसाइटी के सहयोग से यह राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया है। संयोजक डॉ. रविन जुगादे ने बताया कि गुरुवार से शुरू हुए तीन दिन तक चलने वाले राष्ट्रीय सम्मेलन में पूरे देशभर से करीब 150 पीएचडी शोधकर्ता शामिल होकर उन्हाेंने शोध प्रबंध रखे हैं। उनमें से ही एक "बायोडिग्रेडेबल प्लॉस्टिक' विषय पर शोध प्रबंध सम्मेलन में रखा गया। यह सम्मेलन बेसिक थर्मोडायनामिक्स, मटेरियल साइंस और फॉर्मेसी विषयों पर आधारित है। शनिवार को सम्मेलन का समापन होने वाला है। कुरुक्षेत्र विद्यापीठ, सुरत, आईआईटी मुंबई, आईआईटी चेन्नई, सुरत, रायपुर, पुणे, कोल्हापुर, चंद्रपुर, वर्धा, भंडारा विद्यापीठ के पीएचडी शोधकर्ताओं ने सम्मेलन में भाग लिया है।

जहरीले पदार्थों को पानी से दूर करना उद्देश्य

ज्यादातर नदियों, तालाबों का पानी पीने लायक नहीं रह गया है, इसलिए आज वाटर ट्रीटमेंट करने की जरूरत पड़ रही है। इस समस्या को लेकर एब्जॉर्ब मटेरियल बनाने का शोधकर्ताओं ने शोध प्रबंध रखा है। यह मटेरियल पानी में रहने वाले हानिकारक तथा जहरीले पदार्थों को आसानी से एब्जॉर्ब कर लेगा। इससे पानी की अशुद्धियों को दूर करके पानी को योग्य गुणवत्ता प्राप्त हो सकेगी।
कार्बन डाइऑक्साइड कम करना

वाहनों से निकलने वाला धुआं और इस कारण हो रहा प्रदूषण आज एक बड़ी समस्या बन गई है। प्रदूषण से कार्बन डाइऑक्साइड कम करने को लेकर मेटेरियल बनाना, औषधियों की शक्ति बढ़ाने के लिए और बीमारी को लेकर असरदार उपचार हो, इन बातों को ध्यान में रखते हुए ड्रग डिलीवरी एेजंेट माॅलीक्यूल पर अनुसंधान किया जा रहा है।

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