अंधश्रद्धा: खुदाई में मिली देवी की मूर्ति का सच आया सामने
- 6 महीने पहले सुभाष रोड से खरीदी थी मूर्ति
- एक भक्त ने खरीदकर माेहबे महाराज को दी थी भेंट
डिजिटल डेस्क, नागपुर । उत्तर नागपुर स्थित समता नगर में खुदाई के दौरान मिली मूर्ति का सच सामने आया है। यह मूर्ति छह महीने पहले सुभाष रोड, गणेशपेठ गीता मंदिर के समीप से खरीदी गई थी। रवींद्र गुजर नामक भक्त ने मूर्ति खरीदकर ईश्वर मोहबे महाराज को भेंट दी थी। ऐसा मोहबे महाराज की करतूतों से पीड़ित सुनील वर्धे नामक व्यक्ति ने अपनी शिकायत में बताया है। वर्धे ने यह जानकारी अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के माध्यम से जरीपटका पुलिस थाने को लिखित शिकायत में दी है।
चमत्कार नहीं, अंधश्रद्धा को बढ़ावा
वर्धे से बातचीत व उसकी शिकायत के आधार पर अभा. अंधश्रद्धा समिति ने बताया है मूर्ति जमीन से निकलने के नाम पर अंधश्रद्धा को बढ़ावा दिया गया है। उत्तर नागपुर स्थित समता नगर में ईश्वर गणेश मोहबे महाराज ने प्लॉट खरीदा है। यहां निर्माणकार्य के चलते खुदाई का काम शुरू किया गया था। अचानक खुदाई में मूर्ति मिलने की चर्चा होने लगी। अगले दिन प्रसार माध्यमों में भी इस घटना को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया। प्राचीन मूर्ति होने की चर्चा को देखते हुए केंद्रीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधीक्षक अरुण मलिक पुलिस को साथ लेकर मौके पर पहुंचे। वहांं देखा गया कि मूर्ति की ऊंचाई अधिक है, जबकि खुदाई के गड्ढे की गहराई कम थी। पुरातत्व विभाग ने स्पष्ट किया था कि मूर्ति प्राचीन नहीं है। इसके बाद अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति की टीम ने इस मूर्ति का सच सामने लाने का निर्णय लिया। इस काम के लिए समिति ने अपने सूत्रों को लगा दिया। फिलहाल यह मूर्ति पुलिस सुरक्षा में है।
ऐसे लोगों से बचो, पहले सच जान लो
समिति ने स्पष्ट किया है किसी की आस्था, किसी के धर्म, पूजा-पाठ और ईश्वर भक्ति को लेकर उनका कोई विरोध नहीं है, लेकिन तंत्र-मंत्र, ढोंग और पाखंड, चमत्कार के नाम पर अंधश्रद्धा को बढ़ावा देना कानूनन गलत है। राज्य में ऐसा करने वालों के खिलाफ 2013 से जादू-टोना विरोधी कानून है। इसका उल्लंघन किया जा रहा है। लोगों को गुमराह कर, बहकाकर उनका आर्थिक, शारीरिक व मानसिक शोषण किया जाता है। इसलिए नागरिकों ने किसी भी चमत्कार, जादू-टोना या तंत्र-मंत्र का शिकार नहीं होना चाहिए। यहां केवल धोखाधड़ी का खेल होता है, जिसका शिकार आम लोग होते हैं। ऐसा भी समिति के राष्ट्रीय महासचिव हरीश देशमुख ने कहा है।
मोहबे महाराज करता रहा आर्थिक शोषण
समिति ने बताया कि यह मूर्ति खुदाई में नहीं मिली, बल्कि वहां रखी गई है। यह जानकारी पुरातत्व विभाग ने नायब तहसीलदार सुनील साडवे के सामने दी है। सुनील वर्धे की शिकायत के अनुसार कुछ समय पहले रवींद्र गुजर नामक व्यक्ति ईश्वर मोहबे महाराज का भक्त था। गुजर ने ही छह महीने पहले यह मूर्ति मोहबे महाराज को भेंट दी थी। यह मूर्ति सुभाष रोड गणेशपेठ गीता मंदिर के समीप से खरीदी गई थी। शिकायतकर्ता सुनील वर्धे ईश्वर मोहबे महाराज का पीड़ित है। अंधश्रद्धा के चलते वर्धे को मोहबे से आर्थिक शोषण करता रहा है। जब मोहबे की सचाई सामने आई तो वह शिकायत लेकर अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के पास पहुंचा था। उस समय प्रमाण नहीं होने से समिति द्वारा कोई कदम नहीं उठाया गया। लेकिन अब सच सामने आने से समिति ने पुलिस में शिकायत दी है। समिति के हरीश देशमुख, सुरेश झुरमुरे, नीलेश पाटील, सुनील वंजारी, बंडू जांभुलकर आदि ने जरीपटका थाने के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से भेंट कर चमत्कार के नाम पर अंधश्रद्धा को बढ़ावा देने वाले मोहबे महाराज के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।