आंदोलन: तृतीयपंथी हक्क अधिकार संघर्ष समिति ने विधानभवन में दी दस्तक
मांगों को लेकर निकाला मोर्चा
डिजिटल डेस्क, नागपुर। तृतीयपंथी हक्क अधिकार संघर्ष समिति के मोर्चे ने भी विधान भवन पर दस्तक दी। समन्वयक शमिभा पाटील के नेतृत्व में दिनभर नारेबाजी और प्रदर्शन किया गया। शमिभा ने बताया कि, 30 अक्टूबर से 4 नवंबर 2023 तक उन्होंने अपनी मांगों को लेकर जलगांव में भूख हड़ताल की। 12 अप्रैल और 27 जून को मुंबई के आजाद मैदान में मोर्चा निकाला। सरकार के प्रतिनिधियों से बात हुई, लेकिन उनकी झोली में आश्वासनों के सिवाय कुछ नहीं आया। मोर्चे के शिष्टमंडल को जल संपदा मंत्री गुलाबराव पाटील से मिलने ले जाया गया। वहां पर मौजूद मीडिया कर्मियों से शिष्टमंडल बात करना चाहता था, लेकिन मंत्री के पास समय नहीं होने से बात नहीं करने दी गई। वापस जाते समय उन्हें दूसरे रास्ते से ले जाया गया। उस दौरान मीडिया कर्मियों से बात नहीं करने देने को लेकर पुलिस और शिष्टमंडल के बीच तीखी नोक-झोंक हुई, इससे कुछ समय के लिए तनाव का माहौल रहा। पुलिस भर्ती व अन्य नौकरियों में आरक्षण दें, शिक्षा, नौकरी आदि शासकीय योजनाओं में स्त्री की तर्ज पर तृतीयपंथी का भी पर्याय रखें, सामाजिक न्याय विभाग की तर्ज पर जिलास्तर पर तृतीयपंथी के अधिकार और कल्याण के लिए संरक्षण मंडल की स्थापना करें और पदवीधर तृतीयपंथी की नियुक्ति करें, उच्च शिक्षित अथवा विदेश में शिक्षा के लिए जाने वाले तृतीयपंथी की आर्थिक सहायता करें आदि।
तृतीय पंथियों का विधान भवन गेट के सामने हंगामा : शीतसत्र के चौथे दिन तृतीय पंथियों ने विधान भवन गेट के सामने सदन परिसर में मीडिया पोडियम पर बात करने की जिद करते हुए हंगामा किया। कुछ समय के लिए तनाव की स्थिति उत्पन्न हुई। पुलिस ने उन्हें समझा-बुझाकर शांत किया।विधान भवन के सामने 10 से 15 तृतीय पंथी पहुंचे। सदन परिसर में जाकर मीडिया से बात करने की मांग करने लगे। उन्हें अंदर जाने से मना किया। उनका कहना था कि, मीडिया के माध्यम से अपनी बात सरकार तक पहुंचाना चाहते हैं। सुरक्षा रक्षकों ने उन्हें अंदर जाने से रोकने पर उलझ गए। महिला सुरक्षा रक्षकों ने उन्हें समझाने का प्रयास किया। उनमें से कुछ तृतीय पंथी मानने के लिए तैयार नहीं थे। स्थिति तनावपूर्ण होती देख सुरक्षा रक्षकों ने गेट बंद कर दिया। उन्हें समझाया गया कि, पास निकालकर लाने पर उन्हें अंदर जाने की अनुमति देने में कोई आपत्ति नहीं है, तब जाकर शांत हुए और सुरक्षा रक्षकों ने राहत की सांस ली।