क्राइम: अपराधों पर नियंत्रण नहीं होने से छेड़छाड़ और अश्लील कमेंट के मामले में नागपुर सबसे आगे

  • दुष्कर्म के 247 प्रकरणों में से 75 प्रकरणों में शादी का झांसा देकर यौन-शोषण का
  • एनसीआरबी रिपोर्ट में हुआ खुलासा
  • समय पर कार्र‌वाई न होने से लगातार बढ़ रहे मामला

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-13 06:55 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर। उपराजधानी नागपुर को सभी तरीके से महफूज और सुरक्षित शहर माना जाता है, लेकिन अपराधों पर नियंत्रण नहीं होने से सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं से छेड़छाड़ और अश्लील कमेंट करने के मामले में यह शहर देश में सबसे आगे होने का खुलासा हाल ही में जारी एनसीआरबी रिपोर्ट में हुआ है। इस खुलासे के बाद हमने इनके कारणों की तलाश की, तो पता चला महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचारों पर यदि पुलिस तुरंत कार्रवाई करे, तो वह रुक सकते थे। समय पर कार्रवाई नहीं होने के कारण यह लगातार बढ़ते गए।

तीन वर्ष के आंकड़े : नागपुर पुलिस से प्राप्त तीन वर्ष के आंकड़ों पर नजर डालें, तो काफी चौंकाने वाले हैं। वर्ष 2021 में दुष्कर्म के 234, छेड़छाड़ के 356, अपहरण के 415, दहेज प्रतिबंधक कानून व घरेलू हिंसा के 117, ऐसे कुल 1,122 मामले शहरभर में दर्ज हुए थे। वर्ष 2022 में दुष्कर्म के 250, छेड़छाड़ के 340, अपहरण के 460 और दहेज व घरेलू हिंसा के 235, ऐसे कुल 1,285 मामले दर्ज हुए थे, जबकि वर्ष 2023 में दुष्कर्म के 247, छेड़छाड़ के 474, अपहरण के 479 और दहेज व घरेलू हिंसा के 267 कुल, 1,467 मामले दर्ज हुए हैं।

जिस पर विश्वास किया, उसने ही भरोसा तोड़ा : आंकड़ों से पता चलता है कि, वर्ष 2022 में दुष्कर्म के 250 दर्ज प्रकरणों में से 78 प्रकरणों में महिला व लड़की का यौन शोषण उन लोगों के हाथों हुआ, जिन पर वह भरोसा करती थीं और घर बसाने का सपना देखती थीं, लेकिन उन्हें छला गया। दुष्कर्म के 92 प्रकरण प्रेम संबंधों के चलते हुए। दुष्कर्म के 75 प्रकरणों में पीड़िता के रिश्तेदार व परिचित की ही लिप्तता रही, जबकि दुष्कर्म के 5 प्रकरणों में अपरिचित की लिप्तता रही। ऐसा ही वर्ष 2023 में भी हुआ। दुष्कर्म के 247 प्रकरणों में से 75 प्रकरणों में शादी का झांसा देकर यौन-शोषण किया गया। दुष्कर्म के 55 प्रकरण प्रेम संबंधों के चलते हुए। सबसे ज्यादा 115 दुष्कर्म की घटनाओं को रिश्तेदार अथवा परिचित ने ही अंजाम दिया। एक प्रकरण अपरिचित का पाया गया है। इससे यह पता चलता है कि, पीड़िताओं ने सबसे ज्यादा प्रेमी, रिश्तेदार या परिचितों पर भरोसा किया, लेकिन उन्होंने ही भरोसा तोड़ा। इन आंकड़ों ने सभ्य समाज के गाल पर तमाचा जड़ा है।

सुविधा देना ही कर्तव्य नहीं : बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष छाया गुरव का कहना है कि, कामकाजी माता-पिता बच्चों को मोबाइल, लैपटॉप, इंटरनेट सुविधा, वाहन आदि उपलब्ध कराते हैं, लेकिन उसका सही उपयोग हो रहा है या नहीं, उस ध्यान नहीं देते हैं। सुविधा देकर माता-पिता का कर्तव्य पूरा नहीं होता, उन्हें बच्चों पर ध्यान भी देना जरूरी है। कमरे में एकांत में बैठा बच्चा पढ़ाई कर रहा है या इंटरनेट पर अश्लील फिल्म देख रहा है। अथवा मित्रों के साथ चैटिंग कर रहा है, यह देखना जरूरी है। माता-पिता और बच्चों में मित्रता जैसा रिश्ता होना चाहिए। समय-समय पर बातचीत के जरिए उनका मार्गदर्शन कर अच्छे-बुरे की सीख देना चाहिए।

संयुक्त परिवार से दूरी भी एक कारण : संयुक्त परिवार में महिला सबसे ज्यादा सुरक्षित पुलिस विभाग से सेवानिवृत्त एवं राष्ट्र निर्माण संगठन की पदाधिकारी भारती तिवारी, सामाजिक कार्यकर्ता प्रतीक्षा वासनिक, मंजिरी पौनिकर का महिलाओं के पहनावे पर कहना है कि, व्यक्तिगत स्वतंत्रता हर किसी को है, लेकिन इसकी आड़ में कुछ लोग अंग प्रदर्शन करते हैं। लेट नाइट पार्टी, छोटे परिवार भी महिलाओं की सुरक्षा के लिए ठीक नहीं हैं। उनका मानना है कि, संयुक्त परिवार में महिला व कशोर आयु बच्चों पर परिवार के बड़े बजुर्गों की नजर रहती है। स्कूल-कॉलेज से आने में लेट होने पर या कहीं बाहर जाने पर हमेशा टोका-टाकी होती है। कई बार यह टोका-टाकी हमें अच्छी सीख दे जाती है।

महिला सुरक्षा को लेकर और कड़े कदम उठाएंगे : महिलाओं की सुरक्षा को लेकर पुलिस तत्पर है। कामकाजी महिला को घर जाने में देर हो या वह खुद को असुरक्षित महसूस करती है, तो बडी कॉप के तहत पुलिस उस महिला को सुरक्षित घर छोड़ती है। स्कूल-कॉलेज व छात्रावास में पुलिस दीदी व पुलिस काका अभियान जारी है। एंटी रोमियो स्क्वॉड सक्रिय है। आने वाले समय में महिलाओं की सुरक्षा के प्रति ओर भी गंभीर कदम उठाए जाएंगे। -डॉ. रवींद्र सिंगल, पुलिस आयुक्त, नागपुर शहर पुलिस

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