ओहदे पर शक...: सरकार को करोड़ाे का चूना लगाने वाले को ही बनाया ट्रिब्यूनल का सदस्य
दस्तावेजों में फेरफार व गलत असेसमेंट (निर्धारण) आदेश पारित करने का है आरोप
डिजिटल डेस्क, नागपुर। स्टेट जीएसटी नागपुर में सह आयुक्त के पद पर रहते हुए सरकार को 42 करोड़ से ज्यादा का चूना लगाने का आरोप जिस अधिकारी पर लगा है, उसी को स्टेट जीएसटी ट्रिब्यूनल में सदस्य बनाया गया है। सरकार के आदेश पर बनी तीन सदस्यीय समिति ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन सह आयुक्त वी. डी. कमठेवाड ने दस्तावेजों में फेरफार व गलत असेसमेंट (निर्धारण) आदेश पारित करके सरकार को करोड़ों के राजस्व का चूना लगाया है।
गलत असेसमेंट का आरोप : स्टेट जीएसटी नागपुर में तत्कालीन सह आयुक्त वी. डी. कमठेवाड पर दस्तावेजों में फेरफार, मूल पत्र बदलकर उसी तारीख में (पुरानी तारीख) में आउटवर्ड एंट्री दिखाने, व्यापारियों को अनुचित लाभ पहुंचाने का आरोप है। राज्य के वित्त मंत्रालय ने शिकायत का संज्ञान लेते हुए आयुक्त स्टेट जीएसटी मुंबई को जांच के लिए शिकायत पत्र भेजा था। स्टेट जीएसटी मुंबई ने अतिरिक्त आयुक्त स्टेट जीएसटी नागपुर को मामले की जांच करने को कहा था। अतिरिक्त आयुक्त ने सह आयुक्त जनार्दन राऊत की अध्यक्षता में सह आयुक्त तुकाराम गडदे (सदस्य) व सह आयुक्त राजेश जाधव (सदस्य) तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया था। जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट 9 मई को अतिरिक्त आयुक्त नागपुर को सौंपी। अतिरिक्त आयुक्त ने जांच रिपोर्ट आयुक्त स्टेट जीएसटी मुंबई को भेज दी है।
जांच समिति के निष्कर्ष : जांच समिति के अध्यक्ष जनार्दन राऊत ने जांच के बाद अपने निष्कर्ष में कहा कि शिकायत में तथ्य है। कार्यालयीन दस्तावेजों में गड़बड़ी करने से व गलत पद्धति से निर्धारण (असेसमेंट) आदेश पारित किया। इसी तरह गलत अनुपालन रिपोर्ट पेश करके लेखा आक्षेप (आडिट आब्जेक्शन) बंद करने से शासन को करोड़ों की राजस्व हानि हुई है, ऐसा दिखाई देता है। हालांकि समिति के अन्य दो सदस्य तुकाराम गडदे व राजेश जाधव अध्यक्ष के निष्कर्ष से सहमत नहीं है। दोनों ने इसे प्रोसिजरल लैप्स मानते हुए प्रतिक्रियात्मक व व्यवस्थात्मक चूक मानने का सुझाव दिया है। एक आउटवर्ड क्रमांक के दो पत्र व लेखा आक्षेप मान्य या अमान्य करने का अधिकार सह आयुक्त को होने की बात कही है।
जून में रिटायर्ड, सितंबर में ट्रिब्यूनल के सदस्य बने : तत्कालीन सह आयुक्त वी. टी. कमठेवाड 30 जून 2022 को नागपुर से रिटायर हुए आैर सितंबर 2022 में उनकी नियुक्ति स्टेट जीएसटी ट्रिब्यूनल में सदस्य के रूप में हुई।
जांच समिति के अनुसार 42 करोड़ से अधिक का नुकसान : जांच समिति के अध्यक्ष ने सरकार को किस तरह राजस्व (ब्याज सहित) की हानि हुई, इसका सिलसिलेवार ब्योरा दिया है। मे. केलटेक एनर्जिज लि. नागपुर से 4 करोड़ 54 लाख 65 हजार से अधिक, मे. सोलर इडंस्ट्रीज इंडिया लिमिटेड नागपुर से 35 करोड़ 55 लाख 43 हजार से अधिक, लिंकसन इंटरनेशनल लिमिटेड नागपुर से 76 लाख 50 हजार व मे. प्लास्टिसर्ज इंडिया लिमिटेड अमरावती से 1 करोड़ 32 लाख 41 हजार से अधिक इस तरह सरकार को कुल 42 करोड़ 19 लाख 1 हजार 596 रुपए की राजस्व (ब्याज सहित) हानि हुई है।
दस्तावेजों के साथ शिकायत : शिकायतकर्ता राजेश कश्यप ने कहा कि तत्कालीन सह आयुक्त वी. डी. कमठेवाड ने अधिकारों का दुरुपयोग करके व्यापारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया। सरकार को करोड़ों का चूना लगाया गया है। दस्तावेजांे के साथ शिकायत की थी। उन्होंने दावा किया कि जांच में तथ्य पाने के बावजूद अभी तक स्टेट जीएसटी ट्रिब्यूनल के सदस्य वी. डी. कमठेवाड पर कार्रवाई नहीं हुई है। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस व अजित पवार से पूरे मामले की शिकायत की है। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राजस्व हानि के लिए जिम्मेदार वी. डी. कमठेवाड पर तुरंत एक्शन लेनी चाहिए।
सरकार लेगी निर्णय : तीन सदस्यीय समिति ने वी. डी. कमठेवाड पर लगे आरोपों की विस्तृत जांच की। 9 मई को जांच रिपोर्ट प्राप्त हुई। यह कार्यालय अध्यक्ष के विचार से सहमत है। 11 मई 2023 को जांच रिपोर्ट आयुक्त स्टेट जीएसटी मुंबई को उचित कार्रवाई के लिए भेज दी गई। पूरे मामले पर सरकार निर्णय लेगी। जांच रिपोर्ट गोपनीय होने से इसका खुलासा नहीं किया जा सकता।-अनंता राख, अतिरिक्त आयुक्त स्टेट जीएसटी नागपुर.