गुहार: दत्तक दिए बेटे को फिर पाने के लिए हाई कोर्ट पहुंचे माता-पिता
- राज्य सरकार और अन्य प्रतिवादियों को नोटिस
- सिर्फ 500 रुपए के स्टॉम्प पर हुआ था एग्रीमेंट
डिजिटल डेस्क, नागपुर। अपने ही रिश्तेदार को दत्तक दिए तीन साल के बेटे को पाने के लिए उसके मां-बाप ने बाम्बे हाई कोर्ट के नागपुर खंडपीठ में हैबियस कॉर्पस की याचिका दायर की है। मामले पर न्या. विनय जोशी और न्या. महेंद्र चांदवानी के समक्ष हुई सुनवाई में अदालत ने राज्य सरकार सहित अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए एक सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं।
करार का उल्लंघन : नागपुर में रहने वाले याचिकाकर्ता दम्पति की 2 फरवरी 2012 को शादी हुई थी। उनको दस साल की एक बेटी भी है। 2 अक्टूबर 2020 को इस दम्पति को एक साथ तीन बच्चे हुए। बच्चों को जन्म देने वाली महिला की बहन और बहनोई को एक भी बच्चा नहीं था। इसलिए उन्हाेंने दम्पति से एक बच्चा दत्तक देने की मांग की थी। बच्चे के मूल मां-बाप हम ही रहेंगे, जब भी उससे मिलने घर आएंगे, तब बच्चे से हमें मिलने देना होगा, बच्चे के जन्मदिन और तौहार के मौके हम उसे घर ले जा सकेंगे, आदि शर्तों पर यह दम्पति बच्चा दत्तक देने के लिए राजी हो गए। उन्होंने 500 रुपए के स्टॉम्प पर एग्रीमेंट भी किया। 2 अक्टूबर 2023 को बच्चे के जन्मदिन पर जब मां-बाप बच्चे से मिलने बहन और बहनोई के घर गए तो उन्होंने बच्चे को मिलने नहीं दिया। एग्रीमेंट का यह उल्लंघन था। इसलिए मां-बाप ने यह याचिका दायर की है। मामले पर कोर्ट ने राज्य सरकार, सक्करदरा पुलिस, बहन और बहनोई को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं। याचिकाकर्ता की ओर से एड. शिल्पा गिरटकर ने पैरवी की।
यह है मामला : बच्चे से मिलने को इनकार करने की वजह से मां की ममता जागी और उसने बहन और बहनोई के खिलाफ सक्करदरा पुलिस ठाणे में शिकायत दर्ज की, लेकिन पारिवारिक मामला होने के कारण पुलिस ने अागे कोई कार्रवाई नहीं की। बाद में मां-बाप ने बच्चे के हिरासत के लिए सत्र न्यायालय में याचिका दायर की। अदालत ने मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी। दूसरी ओर, बहन और बहनोई ने भी फैमिली कोर्ट में कानूनी पालक घोषित करने के लिए याचिका दायर की है और यह याचिका प्रलंबित है।