सख्ती: महाठग अजित पारसे को कोर्ट से नहीं मिली राहत, गिरफ्तारी पूर्व जमानत याचिका खारिज

  • चेक पर फर्जी हस्ताक्षर करने का है आरोप
  • 18 लाख रुपए की धोखाधड़ी
  • राष्ट्रपति भवन का वीवीआईपी का फर्जी पास भी बनवाया

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-02 08:05 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बाॅम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने गुरुवार को महाठग अजित पारसे की गिरफ्तारी पूर्व जमानत याचिका खारिज कर दी। करोड़ों रुपए का सीएसआर फंड हासिल करने के लिए वझलवार ड्राइविंग स्कूल के संचालक मनीष वझलवार से 18 लाख रुपए की धोखाधड़ी करने का पारसे पर आरोप है। इस मामले में कोर्ट ने पारसे को राहत देने से इनकार कर दिया और गिरफ्तारी पूर्व जमानत याचिका सहित एक अन्य पुराने आपराधिक मामलों में नियमित जमानत याचिका भी खारिज कर दी है। मनीष वझलवार से धोखाधड़ी करने के मामले में पारसे के खिलाफ अंबाझरी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज है। हाई कोर्ट ने डॉ. राजेश मुरकुटे के मामले में पारसे को जमानत देने से इनकार कर दिया था। इस मामले में न्या. उर्मिला जोशी-फलके के समक्ष सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा- आरोपी का अपराध में शामिल होना और शिकायकर्ता को धोखा देना स्पष्ट हो रहा है। पारसे की ओर से एड. देवेंद्र चौहान और सरकार की ओर से एड. एन.आर. रोडे ने पैरवी की।

बता दें कि, अजित पारसे पर चेक पर फर्जी हस्ताक्षर करने, जांच के दौरान पासरे के पास से सरकारी मोहरें मिलने और उसने राष्ट्रपति भवन का वीवीआईपी का फर्जी पास बनाने का भी आरोप है। इन सभी गिरफ्तारी पूर्व जमानत याचिकाओं को अदालत ने सुनवाई में खारिज किया है। गौरतलब है कि, इन सभी मामलों की जांच के लिए पुलिस ने पारसे की हिरासत की मांग की थी।

सीए अनूप सगदेव की जमानत याचिका खारिज : बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर खंडपीठ ने गुरूवार को करोड़ों की हेराफेरी के आरोपी सीए अनूप सगदेव की गिरफ्तारी पूर्व जमानत याचिका खारिज कर दी। एक कॉलेज के सेवानिवृत्त विभाग प्रमुख किशोर वाघमारे की शिकायत पर सीताबर्डी पुलिस ने सीए सगदेव के खिलाफ अपराधिक मामला दर्ज किया है।

यह है मामला : शिकायतकर्ता वाघमारे अंकुर लॉजिस्टिक्स नामक कंपनी का संचालन कर रहे थे। इस कंपनी के लेखांकन मामलों का प्रबंधन करने के लिए अनूप सगदेव के पिता चारुदत्त सगदेव को नियुक्त किया गया था। वाघमारे ने 2000 में कंपनी को बंद करने का फैसला किया, लेकिन अनूप ने उन्हें कंपनी बंद नहीं करने दी। 25 फरवरी 2017 को वाघमारे को आयकर विभाग से नोटिस मिला। उन्हें जानकारी मिली कि, सगदेव ने इस कंपनी के माध्यम से 3 करोड़ 99 लाख 90 हजार रुपए का अवैध लेन-देन किया है। इस संबंध में सगदेव ने कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दिया है, तब वाघमारे ने सीताबर्डी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी। इस मामले में सत्र न्यायालय ने सीए अनूप सगदेव को गिरफ्तारी पूर्व जमानत देने से इनकार कर दिया था। इसलिए सगदेव ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस मामले पर न्या. उर्मिला जोशी-फलके के समक्ष हुई सुनवाई हुई। कोर्ट ने सभी पक्ष सुनकर सगदेव की जमानत याचिका खारिज कर दी।

Tags:    

Similar News