शिक्षा: ज्ञान स्रोत केंद्र से विद्यार्थी ले रहे ऑनलाइन ज्ञान, रिमोट लॉगिन के जरिये मिल रहा लाभ

  • 4.50 लाख विद्यार्थियों को मिली सुविधा
  • 60 लाख रुपए खर्च कर खरीदा डेटाबेस
  • डेटाबेस का उपयोग कर फ्यूचर बना रहे

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-01 07:49 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर विद्यापीठ का ग्रंथालय, जिसे ज्ञान स्रोत केंद्र के नाम से भी जाना जाता है, वह विद्यार्थियों का फ्यूचर केंद्र बन गया है। हाल के दिनों में ग्रंथालय ने बड़ी उड़ान भरी है। ग्रंथालय अब पुस्तकों से निकलकर विद्यार्थियों के मोबाइल तक पहुंच गया है। विद्यार्थी ग्रंथालय की मेंबरशिप लेकर घर बैठे ऑनलाइन रिमोर्ट लॉगिन के जरिये पढ़ाई कर रहे हैं। पिछले साल लगभग 4 लाख 50 हजार विद्यार्थियों ने इसका उपयोग किया है। केंद्र द्वारा उपलब्ध डेटाबेस का उपयोग कर वे अपना फ्यूचर बना रहे हैं।

केंद्र में ई-रिसोर्सेस उपलब्ध : पिछले वर्ष लगभग 60 लाख रुपए के डेटाबेस खरीदे गए, जिससे ई-रिसोर्सेस के जरिए विभिन्न विषयों की लाखों किताबें, आर्टिकल, थीसिस उपलब्ध कराए गए हैं। इसमें स्कोप्स, इप्सको, आईईईई, सीएमआईई, मनुपात्रा जैसे डेटाबेस शामिल हैं। इसके जरिये विद्यार्थियों को ऑनलाइन हेल्थ साइंस, कानून, न्यायालय, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कला, मानविकी, कंप्यूटिंग आदि से जुड़े विविध आर्टिकल, पत्रिका, थीसिस उपलब्ध कराए गए हैं। इन्हें केंद्र के विद्यार्थी लॉग इन आईडी के जरिये घर बैठे प्राप्त कर सकते हैं। महाराष्ट्र में नागपुर विश्वविद्यालय पहला ऐसा विश्वविद्यालय है, जो विद्यापीठ के विद्यार्थियों के अलावा एफिलिएटेड कॉलेज को मेंबर बना कर वहां के विद्यार्थियों को भी यह सुविधा उपलब्ध कराएगा। हर साल लगभग 2500 नई किताबें जुड़ती हैं। ज्ञान स्रोत केंद्र अब तक 503 एफिलिएटेड कॉलेज के साथ जुड़कर ई-रिसोर्सेस विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध कराने जा रहा है।

किताबों का डिजिटाइजेशन : राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विद्यापीठ द्वारा संचालित रामदासपेठ स्थित ज्ञान स्रोत केंद्र में डिजिटइजेशन शुरू हो चुका है। केंद्र में लगभग 4 लाख 24 हजार किताबें हैं, जिनमें पीएचडी थीसिस के लिए 16549 का थीसिस, 200 पत्रिकाएं और 37000 पुरानी पत्रिका बाउंड वाल्यूम के रूप में उपलब्ध हैं। यहां 14000 पांडुलिपि, हस्तलिपि उपलब्ध हैं, जो कि 300 से 400 साल पुरानी हैं। इसे संजो कर लोगों को पढ़ने के लिए उपलब्ध कराने के लिए ज्ञान स्रोत केंद्र ने पांडुलिपियों के डिजिटइजेशन के लिए राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके तहत इन हस्तलिपि का नि:शुल्क डिजिटइजेशन शुरू हो चुका है, जो 2025 तक यह केंद्र की वेबसाइट के जरिये नि:शुल्क विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा, साथ ही रिसर्च के लिए व अन्य विद्यार्थियों के लिए केंद्र द्वारा साहित्यिक चोरी को पहचानने वाला सॉफ्टवेयर भी उपलब्ध कराया जाता है, जिससे साहित्यिक चोरी का पता लगाया जा सके।

दिव्यांगों के लिए खास सुविधा : दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए अलग कक्ष है, जिसमें उन्हें इनेब्लिंग यूनिट का प्रबंध कराया गया है, जिसमें यूनिट किताब को स्कैन करता है और बोलकर सुनाता है, जिससे विद्यार्थी उसे सुन कर याद कर सकें। आने वाले समय में भंडारा, गोंदिया, वर्धा के विद्यार्थियों के लिए भी कॉलेज से जुड़कर वाचन कक्ष खोले जाएंगे।

समाचार पत्रों का हैं संग्रह : केंद्र में विभिन्न भाषाओं के 18 समाचार पत्र उपलब्ध कराए जाते हैं। 10 साल तक के पुराने समाचार पत्र के आर्काइव भी उपलब्ध हैं।

सुरक्षा पहलू : 2016 के एक्ट के बाद इस ग्रंथालय का नाम बदलकर ज्ञान स्रोत केंद्र रखा गया। 24/7 विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध रहता हैं केंद्र। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए 24 घंटे 5 सुरक्षा गार्ड और एक महिला गार्ड तैनात रहते हैं, साथ ही स्मोक अलार्म, 24 घंटे सीसीटीवी के जरिए केंद्र की निगरानी की जाती है।

सिविल सर्विसेस के लिए उपलब्ध : केंद्र में रातुम नागपुर विद्यापीठ से स्नातकोत्तर कर चुके विद्यार्थियों को एमपीएससी, यूपीएससी आदि सिविल सेवाओं की परीक्षा करने वाले विद्यार्थियों के लिए 35℅ सीटें भी उपलब्ध कराई जाती हैं।

पिछले साल के आंकड़े : पिछले साल लगभग 4 लाख 50 हजार विद्यार्थियों ने ई-सर्विसेस का लाभ उठाया, जिसमें लगभग 80 हजार विद्यार्थियों ने रीडिंग रूम का उपयोग किया और 2500 नए विद्यार्थियों ने मेंबरशिप ली।

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