आक्रोश: 17 किसानों को थाने में बैठाया, रहा भारी तनाव

गैस पाइप लाइन का विरोध, किसान और प्रशासन आमने-सामने

Bhaskar Hindi
Update: 2023-11-17 05:13 GMT

डिजिटल डेस्क, वाड़ी (नागपुर)। नागपुर जिले के हिंगना, गुमगांव, सावनेर, कलमेश्वर से जाने वाली नैचुरल गैस (गेल) कंपनी की पाइप लाइन के विरोध में 25 किसानों ने बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ में याचिका दायर कर मांग की थी कि नागपुर जिले के हिंगना, कलमेश्वर और सावनेर तालुका से गुजरने वाली प्राकृतिक गैस पाइप लाइन 2022 परियोजना के लिए अधिगृहीत भूमि को वापस किया जाए। केरल राज्य की तर्ज पर दस गुना मुआवजा दिया जाए। हाई कोर्ट ने इस मामले में जिला अदालत में जाने को कहा। अब यह मामला काफी गरम हो चुका है। किसान और प्रशासन आमने सामने हैं।

कंपनी का पक्ष : पारिश्रमिक और मुआवजे का मामला राजस्व विभाग का है और इस संबंध में जिलाधिकारी ही उचित निर्णय लेंगे। -विवेक पदमवार, अधिकारी, गेल कंपनी

सुबह-सुबह तगड़ा पुलिस बंदोबस्त : गुरुवार सुबह अचानक पुलिस ने इस इलाके में खेत की ओर जाने वाले सभी रास्तों की घेराबंदी कर दी और दाताला शिवार में जेसीबी और पोकलैंड की मदद से खेत में खुदाई शुरू कर दी। भनक लगने पर किसान इकट्ठा होकर खेत की ओर निकले। पुलिस ने उन्हें रास्ते में ही रोकने का प्रयास किया। आखिरकार किसान पगड्डी से खुदाई स्थल पहुंचे और खुदाई रोकने की मांग पर अड़ गए। उन्हें हिरासत में लेकर पहले हिंगना पुलिस स्टेशन लाया गया। इनमें केतन मेंढे, तनेश झाड़े, संजय टेकाडे, लोकनाथ चिचुलकर, रवींद्र वानखेडे, तेजराज मुन, दीपक दुबे, नामदेव कुंभारे, एकनाथ कुंभारे, मेघराज चिंचुलकर, रिद्धेश्वर साठवणे, राजेन्द्र भुसारी, कुणाल देवतले, उमेश भलमे, मंगेश भलमे, शुभम साठवणे आदि किसान शामिल थे। किसान केतन मेंढे ने आरोप लगाया है कि हिरासत में लेते वक्त हिंगना पिआई विशाल काले ने उनके साथ अभद्रता की।

नोटिस दिया, मांग पर कदम नहीं उठाया : बता दें कि गेल इंडिया लिमिटेड कंपनी की सीएनजी गैस पाइप लाइन तालुका के गुमगांव, दाताला, शिवमडका, धनोली, सुमथाना, गिरोला आदि गांवों के खेतों से होकर गुजर रही है। यह पाइप लाइन जमीन में 20 फीट नीचे होगी। संबंधित किसानों को एक साल पहले नोटिस मिला, तो उन्होंने केरल राज्य की तर्ज पर मुआवजे की मांग की, लेकिन कंपनी ने कोई कदम नहीं उठाया।

आरोप : दबाव में काम कर रहा प्रशासन इस बीच, उधर खुदाई जारी रही। किसानों का कहना था कि खेत में कपास, तुअर की फसल और संतरा, मोसंबी के बगीचे हैं। जमीन की खुदाई करने पर उसे नुकसान पहुंचने पर उसकी भरपाई कौन करेगा। साथ ही कहा कि जिस जमीन से पाइप लाइन जा रही है, उस जमीन का योग्य मुआवजा दिया जाए। मौके की नजाकत को भांप बाद में किसानों को वहां से वाड़ी पुलिस थाने लाया गया। कांग्रेस नेता बाबा आष्टनकर, कोतेवाडा ग्राम पंचायत के पूर्व सरपंच रवींद्र आष्टनकर ने वाड़ी थाने में किसानों से मुलाकात की। किसानों का आरोप है कि उनका पक्ष सुने बगैर प्रशासन भी दबाव में काम कर रहा है। गेल के अधिकारी से इस संबंध में फोन पर संपर्क किया गया, तो उन्होंने गेंद सरकार के पाले में डाल दी। खेत मालिकों ने उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस तथा जिलाधिकारी डॉ.विपिन इटनकर पर नाराजी व्यक्त की।

किसानों के सामने यह भी शर्त : इस पाइपलाइन के बगल में 20 मीटर तक किसान कपास, सोयाबीन, तुअर जैसी नियमित फसलें उगा सकते हैं। संतरा, मोसंबी के बगीचे नहीं लगाए जा सकते। इस जगह पर कोई निर्माण भी नहीं किया जा सकता।

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