नागपुर में नहीं थम रही आग की घटनाएं, 5 माह में 24 हेक्टेयर पेंच का जंगल जल कर हुआ खाक
- घटनाओं को रोकने के लिए वन विभाग करोड़ों खर्च कर रहा
डिजिटल डेस्क, नागपुर। जंगलों में आग लगने की घटनाओं को रोकने के लिए वन विभाग करोड़ों खर्च कर रहा है, लेकिन नुकसान को टालने में सफलता नहीं मिल पा रही है। कहते हैं, न प्रकृति के सामने किसी की नहीं चलती है। बात पेंच व्याघ्र प्रकल्प की बात करें तो भले ही गत वर्ष की तुलना आग कम लगी है, लेकिन पूरी तरह से अंकुश लगाने में वन विभाग सफल नहीं हो पाया। जनवरी से अब तक यानी 5 महीने में ही आग की चपेट में 24 हेक्टेयर जंगल आ चुका है। वन संपत्ति का भारी नुकसान दर्ज किया गया है।
कुदरत के आगे सब बेकार : आग की बढ़ती घटनाओं को देख वन विभाग ने घटनाओं को रोकने के लिए वन विभाग करोड़ों खर्च कर रहाई उपाय योजना शुरू की है। इसमें ग्राम निवासियों को इनाम देना, सैटेलाइट की मदद लेना, फायर ब्लोअर मशीनों की संख्या बढ़ाना आदि शामिल है। हालांकि कुदरत के आगे यह बेकार साबित हो रहा है। जनवरी से अब तक कुल 24 हेक्टेयर पेंच का जंगल जलकर खाक हो गया है। पिछले आंकड़े देखें तो यह भी जंगल धधकने की गवाही दे रहे हैं।
विदेशी कैमरे की मदद ली जा रही है : वर्तमान स्थिति में अब वन विभाग ने एक कैमरे की मदद ली है, जिसे विदेश से लाया है। अब यह कैमरा किस तरह जंगल को स्वाहा होने से बचाता है, इसकी ओर हर किसी की नजर गड़ी है।
चिंगारी भी काफी हो जाती है : कुल 741 वर्ग किमी में फैले इस जंगल में 430 वर्ग किमी कोर इलाका है, जबकि 311 वर्ग किमी बफर इलाका है। यहां बड़ी संख्या में यहां वन्यजीव रहते हैं। पूरा जंगल बारिश में बड़ी-बड़ी घास से ढंका रहता है। ठंड के बाद ग्रीष्म के शुरुआत तक घास की हरी चादर सूखने से सूखे कचरे में तब्दील हो जाती है। ऐसे में इसे जलने के लिए एकमात्र चिंगारी की जरूरत होती है। कई बार बहुत ज्यादा धूप के कारण यहां आग लगने की घटना होती है। तेज हवा से पेड़ों में घर्षण भी आग का कारण बनता है। कई बार मानवी गलतियां भी आग लगाने का कारण बनती हैं। वन क्षेत्र के आस-पास कई गांव मौजूद होने से ग्राम निवासियों का यहां आना-जान लगा रहता है। बीड़ी, सिगरेट या किसी अन्य काम से जलाई जाने वाली आग जंगल में आग लगाने का कारण बन जाती है। हर साल वन विभाग को जंगल जलने से लाखों का नुकसान सहना पड़ता है।