महाराजबाग: मृत हिरणों को इस तरह दफनाया कि खुले न राज
अधिकारी-कर्मचारियों की भूमिका की होगी जांच
डिजिटल डेस्क, नागपुर। बाढ़ में महाराजबाग प्राणी संग्रहालय के हिरणों की मौत के मामले को लेकर अब जिला प्रशासन भी मुस्तैद हो गया है। इस मामले को दबाकर रखने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों पर किसी भी समय गाज गिर सकती है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, महाराजबाग प्राणी संग्रहालय के अंदर हिरणों के बाड़े में 15 हिरणों की मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
भरोसेमंद कर्मचारियों को ही बुलाया : चर्चा है कि घटना के दूसरे दिन सुबह के समय ही महाराजबाग प्राणी संग्रहालय परिसर में ही मृत िहरणों को दफनाया गया। हिरणों को दफनाने के समय अधिकारियों ने सिर्फ भरोसेमंद कर्मचारियों को ही बुलवाया था। सवाल यह भी है कि आखिर घटना की रात किसकी ड्यूटी थी, जिस भी अधिकारी या कर्मचारी की डयूटी थी, उसने बाढ़ से खुद को बचा लिया, लेकिन हिरणों को मरने के लिए छोड़ दिया। इसके बारे में जिला प्रशासन की आेर से जानकारी मांगी गई है। जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारियों पर निलंबन की गाज गिरने की संभावना है।
आयकर विभाग की भी नजर : मृत हिरणों का दफनाने के लिए मजदूर बुलाए गए थे या फिर कोई यंत्र का उपयोग किया गया, इस रहस्य पर से पर्दा उठना बाकी है। यह तो वही बता सकेंगे, जिन्होंने मृत हिरणों को दफनाने का काम करवाया है। महाराजबाग प्राणी संग्रहालय के कुछ अधिकारी-कर्मचारियों के पास अकूत दौलत जमा हो गई है। वे फारच्यूर्नर जैसी महंगी कारों का इस्तेमाल करते हैं। इनके पास इतनी महंगी कारें कहां से आई। इसके बारे में आयकर विभाग भी छानबीन कर सकता है।