संज्ञान: कोरोना के दौरान बंद 30 रियायतों को लेकर सवाल

रेलवे प्रशासन को 2 सप्ताह में देने हैं जवाब

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-04 04:43 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर। काेरोना काल के दौरान रेलवे टिकट पर मिलने वाली 30 अलग-अलग श्रेणियों की रियायतें रद्द कर दी गई थीं। इस मामले में दायर जनहित याचिका पर  हुई सुनवाई में कोर्ट ने रेलवे प्रशासन को इन रियायतों को फिर से शुरू करने पर क्या फैसला लिया गया, इस बारे में दो सप्ताह के भीतर जवाब दायर करने के आदेश दिए।

सेवाएं बहाल करने का अनुरोध : इसके पहले नागपुर खंडपीठ ने रेलवे प्रशासन को आदेश दिया था कि रियायतें फिर से शुरू करने पर तीन महीने में फैसला लें, लेकिन कोई फैसला न होने की वजह से एड. सुंदीप बदाना ने यह जनहित याचिका दायर की है। याचिका के अनुसार, कोरोना काल में रेलवे में भीड़ कम करने के मकसद से ये रियायतें बंद कर दी गई थीं। पहले रेलवे टिकट शुल्क पर 55 तरह की रियायतें दी जाती थीं। कोरोना काल में रेलवे ने इनमें से 30 रियायतें बंद कर दीं। रेलवे ने इसके लिए 19 मार्च 2020 को आदेश जारी किया। इसमें दिव्यांग, मरीज, विधवा, बेरोजगार और कई अन्य लोगों को दी जाने वाली रियायतें रद्द कर दी गईं। अब कोरोना का डर खत्म हो चुका है और लॉकडाउन को भी काफी समय बीत चुका है। इसलिए इस याचिका के माध्यम से अनुरोध किया गया है कि इन सेवाओं को बहाल किया जाए।

स्पष्टीकरण देने का आदेश : याचिका पर न्या. नितीन सांबरे और न्या. अभय मंत्री के समक्ष सुनवाई हुई। क्या रियायतें बंद करने का रेलवे बोर्ड का निर्णय बोर्ड द्वारा पारित प्रस्ताव के अनुसरण में था या यह महज एक प्रशासनिक आदेश था? इस पर कोर्ट ने स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया। साथ ही कोर्ट ने रेलवे प्रशासन को दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है। याचिकाकर्ता एड. सुंदीप बदाना ने खुद पक्ष रखा। केंद्र सरकार की ओर से डेप्युटी सॉलिसिटर जनरल एड. नंदेश देशपांडे ने पक्ष रखा।

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