पहल: मरीजों को राहत, नागपुर के वाठोड़ा में नासुप्र बनाएगी 300 बेड का अस्पताल
- सूर्यानगर में प्रस्तावित दिव्यांग पार्क की जगह में बदलाव
- नासुप्र की विश्वस्त मंडल की बैठक में अनेक महत्वपूर्ण निर्णय
- शिवाजी महाराज के जीवन पर आधारित शिवसृष्टि प्रकल्प होगा तैयार
डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर सुधार प्रन्यास भी स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में कदम रखने जा रही है। नासुप्र द्वारा प्रस्तावित चांदमारी मंदिर के सामने वाठोडा में 300 बेड के हॉस्पिटल के निर्माणकार्य को सरकार से मंजूरी प्राप्त हुई है। नासुप्र द्वारा उक्त प्रक्रिया पूरा करने का दावा करते हुए इस हॉस्पिटल को स्वतंत्रतावीर विनायक दामोदर सावरकर का नाम देने का निर्णय लिया गया है। नासुप्र की विश्वस्त मंडल की बैठक में इसे मंजूदी गई है। इसके अलावा अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। नासुप्र मुख्यालय में आयोजित बैठक में नासुप्र सभापति मनोजकुमार सूर्यवंशी, विधायक मोहन मते, नगररचना विभाग के सहसंचालक व नासुप्र विश्वस्त प्रमोद गावंडे आदि उपस्थित थे।
जगह बदलने से स्कोप व रकम में फेरबदल : बैठक में सूर्यानगर में प्रस्तावित दिव्यांग पार्क की जगह में भी बदलाव को मंजूरी दी गई है। केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी की पहल पर दिव्यांग बच्चों का शारीरिक व बौद्धिक विकास के लिए ‘अनुभूति इन्क्यलूसिव पार्क और प्राथमिक स्कूल’ मौजा पारडी की जगह पर बनाने का निर्णय लिया गया था। लेकिन इस जगह पर बच्चे क्रिकेट, फुटबॉल, वॉलीबॉल, बैडमिंट खेलने के कारण केंद्रीय मंत्री ने उक्त प्रकल्प समीपस्थ नासुप्र की जगह पर स्थानांतरित करने के निर्देश दिए थे। अब जगह बदलने से प्रकल्प का स्कोप व रकम दोनों में फेरबदल होने से सुधारित डीपीआर 14.85 करोड़ रुपए सरकार को मंजूरी के लिए भेजा गया है। इसी तरह गोकुलपेठ मार्केट प्रकल्प के लिए आर्किटेक्ट, सलाहकार के रूप में मे. हितेन एन्ड एसोसिट्स की नियुक्ति को मंजूरी दी गई है। पुणे की तर्ज पर नागपुर में भी शिवाजी महाराज के जीवन पर आधारित शिवसृष्टि प्रकल्प तैयार किया जाएगा। इसमें महाराज के 14 किल्लों की प्रतिकृति, दस लाइट व साउंड शो, महाराज के जीवन पर आधारित प्रसंग, छायाचित्र व स्थल चित्र शामिल रहेंगे। इसके अलावा अनेक निर्णय बैठक में लिए गए।
10% काम बाकी, पर पैसे नहीं : प्रादेशिक मनोचिकित्सालय परिसर में निर्माणाधीण 100 बिस्तर का जिला अस्पताल 8 साल से पूरा नहीं हो पाया है। सरकार की तरफ से समय पर मांग के अनुसार निधि नहीं मिलने से यहां का काम कछुआ गति से चल रहा है। दो साल में 10 करोड़ रुपए की मांग की गई है, लेकिन इसी दिसंबर में केवल 1.50 करोड़ रुपए मिले हैं। आर्थिक साल खत्म होने के बाद फिर से निधि की नये सिरे से मांग की जाएगी। बार-बार दस्तावेज प्रक्रिया के चलते और समय पर निधि नहीं मिलने से यह अस्पताल कब पूरा होगा, इस बारे में कोई निश्चितता नहीं है।
10 करोड़ रुपए मांगे थे लेकिन 1.50 करोड़ मिले : सूत्रों के अनुसार, जिला अस्पताल के लिए मांग के अनुसार समय पर निधि नहीं मिलने से इसके निर्माण में देरी हो रही है। दो साल में सरकार से 10 करोड़ रुपए मांगे गए, लेकिन हाल ही में दिसंबर में 1.50 करोड़ रुपए मिले हैं। यह निधि खत्म होने पर नया आर्थिक वर्ष शुरू होगा। फिर से नये सिरे से मांग करनी पड़ेगी। बरसों से ऐसा ही हो रहा है, इसलिए निर्माण में विलंब हो रहा है। यही पर सिविल सर्जन कार्यालय बनाया जा रहा है। इस कार्यालय का सभागार छोटा होने से ऊपर एक माला चढ़ाया गया है। वहां अतिरिक्त स्लैब का काम पूरा हो चुका है। अब फिनिशिंग की जा रही है। यहां की केबल शिफ्टिंग का काम एमएसईबी को दिया गया है। कैबल शिफ्टिंग के बाद मुख्य द्वार लगाकर सौंदर्यीकरण किया जाएगा। सौंदर्यीकरण के साथ ही जिला अस्पताल को मुख्य सड़क के साथ जोड़ा जाएगा। इन तमाम कामों के लिए इस समय 5 से 7 करोड़ रुपए की आवश्यकता है। जब तक निधि उपलब्ध नहीं होगी, तब तक आगे के काम गतिमान नहीं होंगे।
90 फीसदी काम पूरा : सरकार ने 2013 में जिला अस्पताल बनाने की घोषणा की थी। सरकार बदलने से 2015 में फिर एक बार इस योजना को मंजूरी दी गई। उस समय योजना के लिए 28. 48 करोड़ रुपए मंजूर किए गए। 2016 में मानकापुर स्थित प्रादेशिक मनोचिकित्सालय परिसर में इसके निर्माण के लिए भूमिपूजन किया गया। निधि व अन्य प्रक्रिया में विलंब होने से इसका निर्माण 2018 में शुरू हुआ। इसकी लागत 28.48 करोड़ से बढ़कर 45 करोड़ रुपए हो गई। अस्पताल के लिए 35999 वर्ग मीटर जमीन के 6408 वर्ग मीटर हिस्से पर इमारत का निर्माण किया गया है। इसके बाद छत पर सिविल सर्जन कार्यालय के लिए एक सभागार का निर्माण किया गया है। निर्माण का 90 फीसदी काम हो चुका है। अब छोटे-बड़े कार्य व फिनिशिंग बाकी है। इन कार्यों के लिए निधि की आवश्यकता है।