छुटि्टयां रद्द: वीकली ऑफ पर ड्यूटी करने वाले अधिकारी-कर्मचारी पर सरकार हर दिन 2-3 करोड़ रुपए खर्च कर रही वहन
- एक दशक पहले मिलते थे सिर्फ 60 रुपए, अब मिलते हैं 1700 रुपए
- वेतन के हिसाब से वीकली ऑफ का पैसा तय होता है
- 28 जनवरी तक सभी प्रकार की छुट्टियां रद्द
अभय यादव , नागपुर । देश में कहीं पर भी कोई कार्यक्रम, आंदोलन या कोई विशेष कार्यक्रम के आयोजन होने पर पुलिस विभाग की साप्ताहिक छुट्टियां तक रद्द कर दी जाती हैं। पुलिस विभाग ही संभवत: देश में ऐसा विभाग है, जो साप्ताहिक अवकाश के दिन भी जनसेवा में तत्पर रहता है। यह बात दिगर है कि सप्ताहिक अवकाश के दिन पुलिस के जवान से लेकर अधिकारी- कर्मचारी को उनके वेतन के अनुसार साप्ताहिक अवकाश के दिन डयूटी करने पर सरकार उन्हें उस दिन के पैसे का भुगतान करती है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एक दशक पहले पुलिसकर्मी और अधिकारियों को वीकली ऑफ (साप्ताहिक अवकाश) के दिन डयूटी करने पर सिर्फ 60 से 65 रुपए मिला करते थे, यह स्थिति वर्ष 2016 तक ऐसे ही बनी रही लेकिन अब सिपाही से एएसआई तक 1000 से 1700 रुपए तक और वरिष्ठ अधिकारियों को इससे अधिक रकम मिलती है। अधिकारी- कर्मचारी को उनके वेतन के हिसाब से वीकली ऑफ का पैसा तय होता है।
मेडिकल लीव ही ले सकेंगे : राज्य में पुलिस विभाग की 28 जनवरी तक सभी प्रकार की छुट्टियां रद्द कर दी गई हंै, जिसमें वीकली ऑफ व आकस्मिक अवकाश भी शामिल हैं। इससे शहर पुलिस विभाग के जवानों में नाराजगी है। वे अपनी नाराजगी जाहिर नहीं कर सकते हैं, लेकिन कुछ पुलिस जवानों का कहना है कि आकस्मिक अवकाश रद्द नहीं किया जाना चाहिए था। अब जरूरत पड़ने पर आकस्मिक अवकाश के बजाय कोई भी सिर्फ मेडिकल लीव ही लागू होगा। पुलिसवालों की पीड़ा यह है कि यह सब कुछ मुंबई में हो रहे मनोज जरांगे पाटील के आंदोलन के चलते हुआ। इसके पहले आकस्मिक अवकाश रद्द नहीं किया गया था। जबकि मनोज जरांगे पाटील का आंदोलन मुंबई में हो रहा है। कई पुलिस जवानों का सवाल यही है कि नागपुर शहर पुलिस के जवानों की सभी छुट्टियां क्यों बंद (रद्द) कर दी गई हैं, यह बात समझ से परे है। मुंबई में हो रहे इस आंदोलन से विदर्भ या नागपुर का कोई लेना देना नहीं है।
8 वीकली ऑफ के मिलते हैं पैसे : अकेले नागपुर शहर पुलिस के जवानों पर हर साल 11 करोड़ रुपए से अधिक रकम सरकार को पुलिस जवानों व अधिकारियों द्वारा वीकली ऑफ के दिन डयूटी करने पर खर्च करनी पड़ती है। कोई भी पुलिस जवान या अधिकारी को वीकली ऑफ के साल भर में सिर्फ 8 बार ही पैसे लेने की मंजूरी दी गई है, जबकि हर माह प्रत्येक पुलिस अधिकारी- कर्मचारी को 4 वीकली ऑफ मिलते हंै, इस हिसाब से सालभर में करीब 48 वीकली ऑफ मिलते हंै। कई पुलिस जवान और अधिकारी 8 बार से अधिक वीकली ऑफ के दिन भी काम करते हैं।
8 हजार से अधिक पुलिस जवान : संतरानगरी में 8 हजार से अधिक पुलिस जवान शहर विभाग में कार्यरत हैं। कुछ पुलिस जवानों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वर्ष 2022 में वीकली ऑफ के दिन असेंबली बंदोबस्त किए थे, उस समय के डयूटी का पैसा वर्ष 2023 में मिला। वर्ष 2023 में दिसंबर माह में असेंबली में वीकली ऑफ के दिन बंदोबस्त में ड्यूटी करने पर पैसा अभी मिलना बाकी है। उधर इस बार शासन की ओर से जीआर निकाला गया है कि 28 जनवरी तक वीकली ऑफ से लेकर ईएल, सीएल सहित सभी प्रकार की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं। इससे पुलिस जवानों में नाराजगी है। उनकी नाराजगी का कारण यह भी है कि सालभर में वीकली ऑफ के दिन ड्यूटी करने पर सरकार सिर्फ 8 वीकली ऑफ का ही पैसा देती है।
कहीं न कहीं कार्यक्रम होते रहते हैं : वीकली ऑफ के दिन काम करने वाले पुलिस जवानों पर हर दिन सरकार को राज्य भर में पुलिस जवानों के वीकली ऑफ पर ड्यूटी करने पर करीब 2 से 3 करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च वहन करना पड़ रहा है। राज्य में कहीं न कहीं आए दिन कोई न कोई आयोजन, आंदोलन या अन्य कार्यक्रम होते रहते हैं, जिसमें वीआईपी, वीवीआईपी सहित अन्य नेता या मंत्री कार्यक्रमों में शामिल होते हैं। ऐसे में पुलिस कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक को वीकली ऑफ के दिन भी डयूटी करनी पड़ती है। राज्य में करीब 1.50 लाख पुलिस जवान हैं, ये अगर वीकली ऑफ के दिन कार्य करते हैं तो सरकार को हर रोज उक्त रकम खर्च करनी पड़ती है।