खुलासा: रोजंदारी पर पाल रखे किशोर पहुंचाते हैं गांजे की पुड़िया, धड़ल्ले से बिक रहा है
डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर में गांजे ने गहराई तक जड़ें जमा ली है, जिसे उखाड़ पाना अब आसान नहीं रह गया है। गली से लेकर चौराहों तक गांजा तस्करों का मकड़जाल फैला हुआ है । गांजा तस्करी में लिप्त लोगों ने रोजंदारी पर कुछ किशोरों को पाल रखा है, जो ग्राहक का ऑर्डर मिलने पर उसे गांजे की पुड़िया पहुंचाने का काम करते हैं। इसके बदले में उन्हें हर रोज करीब 300-400 रुपए मिल जाते हंै। क्राइम ब्रांच के विविध दस्ते व एनडीपीएस के दस्तों के लिए भी इस कारोबार को जड़ से खत्म कर पाना बेहद मुश्किल हो गया है। अब यह तभी संभव है, जब पकड़े गए आरोपियों से यह पता लगाने में कामयाबी मिले कि, आखिर वह किससे गांजा या अन्य मादक पदार्थ खरीदकर बेचते हैं। शहर में ओडिशा, आंध्रप्रदेश सहित अन्य राज्यों से आता है, यह बात पुलिस के आला अफसरों को भी पता है, लेकिन पुलिस के लंबे हाथ बड़े तस्करों तक कब पहुंचते हंै, यह देखना होगा।
ट्रेवल्स बसों की जांच तक नहीं
गृहमंत्री के शहर में चंद मामूली कार्रवाई को छोड़ दिया जाए, तो अभी तक गांजे के खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई सामने नहीं आई है। शहर में गांजा सड़क मार्ग, ट्रैवल्स बसों माध्यम से आने की चर्चा है। सड़क मार्ग से आने वाली बसों की जांच न तो कभी पुलिस विभाग नजर आता है और न ही आरटीओ।
इन क्षेत्रों में बे-खौफ बिकता है
सूत्रों के अनुसार लकड़गंज, वाठोडा, मस्कासाथ, शांति नगर, इतवारी, पारडी सहित कई इलाकों में बे-खौफ गांजा बेचा जा रहा है। लकड़गंज क्षेत्र में गीता, मस्कासाथ पुलिया के पास गली में दुबे, वाठोडा में रेखा, पारडी में पप्पू, ललित, शांति नगर- इतवारी क्षेत्र में खलील, पहलवान सहित कई लोग बड़े पैमाने पर गांजे की खरीदी- बिक्री में रहे हैं। इनमें से कई नाम पहले भी चर्चित रहे हैं।
एक फोन पर भी मिल जाता है गांजा
शहर में चरस भी बिक रही है। इस बात से पुलिस अंजान है, ऐसा नहीं है, लेकिन कार्रवाई करने से क्यों कतराती, यह वह ही जानें। अधिकारी वर्ग भी छोटी-छोटी कार्रवाई में ही खुश है। अब गांजे का ऑर्डर एक फोन पर आसानी से मिल जाता है। पैडलर या गांजा विक्रेता खुद पहुंचाने का काम करता है। उल्लेखनीय है कि, इस वर्ष गांजे के खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई अब तक सामने नहीं आई है।