शिक्षा: रिक्त पदों ने बढ़ाई परेशानी, जिला परिषद स्कूलों में शैक्षणिक कार्य गड़बड़ाया
- शिक्षकों पर केंद्र प्रमुखों का अतिरिक्त बोझ
- पर्यवेक्षकीय पदों की जिम्मेदारी
- शैैक्षणिक कार्य रामभरोसे चल रहा
डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिला परिषद के शिक्षा विभाग में शिक्षक और पर्यवेक्षकीय पद बड़े पैमाने पर रिक्त हैं। शिक्षकों पर केंद्र प्रमुख का अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। केंद्र प्रमुखों पर विस्तार अधिकारी, विस्तार अधिकारी पर गटशिक्षणाधिकारी की जिम्मेदारी आ पड़ी है। पहले ही शिक्षकों के पद रिक्त हैं। ऊपर से पर्यवेक्षकीय पदों की जिम्मेदारीआने से शैक्षणिक कार्य भगवान भरोसे चल रहा है।
बीईओ के 11 पद रिक्त, 2 कार्यरत तहसील स्तर पर शिक्षा विभाग की कमान संभालने वाले गटशिक्षणाधिकारी (बीईओ) के 13 पद मंजूर हैं। उसमें से केवल 2 पदों पर गटशिक्षणाधिकारी कार्यरत हैं। 11 पद रिक्त हैं। विस्तार अधिकारियों के कंधों पर गटशिक्षणाधिकारी की जिम्मेदारी है।
केंद्र प्रमुखों के आधे पद रिक्त : शिक्षा विभाग में केंद्र प्रमुख का पद महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रशासन और स्कूल के बीच केंद्र प्रमुख सेतू के भूमिका निभाते हैं। जिले में केंद्र प्रमुख के आधे से ज्यादा पद रिक्त हैं। जो कार्यरत हैं, उनमें से अधिकांश के कंधों पर विस्तार अधिकारी की जिम्मेदारी है। एक साथ दो पदों की जिम्मेदारी का बोझ पड़ने से केंद्र प्रमुख स्कूलों को भेंट नहीं दे पा रहे हैं। केंद्र प्रमुख स्कूलों पर नहीं पहुंच पाने से शिक्षकों पर नियंत्रण कम हो गया है। मौके का फायदा उठाकर लापरवाह शिक्षकों ने अपनी सुविधा के हिसाब से स्कूल का समय तय कर रखा है।
गैरशैक्षणिक काम का बोझ : जिप के शिक्षा विभाग में शिक्षकों के रिक्त पदों का आंकड़ा साढ़े आठ सौ के आसपास पहुंच गया है। विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए शिक्षक कम पड़ रहे हैं। ऊपर से गैरशैक्षणिक कामों का बोझ डाला जा रहा है। नवभारत साक्षरता अभियान में शिक्षकों को सहभागी होने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। लोकसभा चुनाव की गतिविधियां शुरू हो जाने से शिक्षकों पर बीएलओ की जिम्मेदारी डाली गई है। मराठा आरक्षण को लेकर राज्य में तनाव बढ़ने पर खुला वर्ग और ओबीसी के सर्वेक्षण की गतिविधियां तेज हो गई है। सर्वेक्षण की जिम्मेदारी शिक्षकों पर आनेवाली है। शालेय पोषण आहर, निर्माणकार्य, समय-समय पर ऑनलाइन जानकारी भेजने की सख्ती, बैठकें, गांव व तहसील स्तर पर चलाए जानेवाले विविध उपक्रम का बोझ बढ़ने से शिक्षकों पर काम का दबाव बढ़ रहा है। सरकार शिक्षक भर्ती का केवल आश्वासन देकर तारीख-पे-तारीख दे रही है। शिक्षकों के रिक्त पदों पर भर्ती कर काम का ताण कम करने की मांग की जा रही है।